बलिया में गंगा-सरयू नदी ने तबाही मचा रखी है। गंगा की तेज लहरों से नेशनल हाईवे 40 मीटर तक बह गया, जिससे यूपी और बिहार का संपर्क टूट गया है। हाईवे टूटने से 36 से अधिक गांव डूब चुके हैं। लोग ऊंची जगह पर जाकर रातें गुजार रहे हैं। वहीं, कई गांव टापू में तब्दील हो गए हैं। बलिया जिला तीन तरफ से सरयू और गंगा से घिरा है। यहां के टिकुलिया गांव के 120 घर सरयू नदी की कटान से पानी में समा गए। लोग बेघर हो गए। 2 लाख से ज्यादा की आबादी बाढ़ से प्रभावित है। प्रशासन अलर्ट मोड में है। NDRF टीम गश्त कर लोगों का रेस्क्यू कर रही है। प्रशासन ने नाव की व्यवस्था भी की है। गांव में 5 फीट तक भरे पानी के बीच लोग खाने तक के लिए बेबस हैं। बाढ़ प्रभावित इलाकों के हालात जानने के लिए दैनिक भास्कर की टीम बलिया पहुंची… सबसे पहले देखिए बाढ़ की भयावह तस्वीरें… हाईवे टूटने से 30 से ज्यादा गांव में भरा पानी
बाढ़ के बीच हम बलिया के चांद दियर यादव बस्ती पहुंचे। बाढ़ ने यहां सबसे ज्यादा तबाही मचा रखी है। पूरा गांव 5 फीट तक पानी में डूबा है। यहां बांध पर लोग तिरपाल टांग कर रह रहे हैं। कई परिवार ऐसे हैं, जो खुले आसमान के नीचे रात गुजारने पर मजबूर हैं। बच्चे हमें आशा भरी नजरों से देख रहे थे। कुछ परिवार मदद के इंतजार में हैं। हमारी मुलाकात सबसे पहले नवजात बच्चे को गोद में लिए नेहा से हुई। नेहा ने अपना दर्द बयां किया। उस रात का मंजर बहुत भयावह था
नेहा ने कहा- सड़क पर शरण लेनी पड़ी है। सब कुछ पानी में डूब गया है। मजबूर होकर यहां आना पड़ा। गुरुवार (19 सितंबर) रात दो बजे अचानक गांव में शोर मचा। नींद खुली तो देखा हर तरफ चीख-पुकार मची थी। लोग एक दूसरे की जान बचाने में जुटे थे। मैं बच्चे को गोद में लेकर भागी। बाकी परिवार को भी जगाया। रात के अंधेरे में कुछ समझ नहीं आ रहा था। हर तरफ तेजी से पानी फैल रहा था। किसी को समझ नहीं आ रहा था कि पानी कहां से आ रहा है। लोग घर के सामान की चिंता छोड़ बस जान बचाने के लिए भागने लगे। गांव के सभी लोग किसी तरह भाग कर ऊंचे स्थान पर पहुंचे। हमारे देखते-देखते घरों में पानी भर गया। सिर्फ जान बची, बाकी सब पानी में डूब गया। सुबह होने पर पता चला हाइवे टूट गया, गंगा का पानी गांव में घुस गया है। ज्यादा पानी होने से रास्ते का अंदाजा नहीं लगा पाया
चांद दियर गांव में एक व्यक्ति जान जोखिम में डालकर राहत सामग्री ले जाते हुए दिखाई दिया। व्यक्ति के सीने से ऊपर तक पानी था। वह सिर पर राहत सामग्री लिए थे। एनडीआरएफ के जवानों ने उनका रेस्क्यू किया। जिसके बाद उसने बताया कि अथाह पानी है। सोचा था सड़क पकड़ लेंगे, लेकिन अब समझ नहीं आ रहा किधर जाएं। पानी ज्यादा होने से अंदाजा नहीं लगा पाया कि सड़क कहां है। बहुत मुश्किल से यहां तक पहुंचा हूं। खाने के इंतजाम में गया था। पेट के लिए इतनी मेहनत कर रहा। जान जोखिम में डालनी पड़ रही है। राहत सामाग्री लेकर लौटा हूं। इसी बीच भरत शाह कमर से ऊपर पानी के बीच होते हुए अपने डूबे हुए घर से आते दिखे। उन्होंने कहा- सड़क पर मवेशी हैं, कोई नाव की व्यवस्था रहती तो कुछ राहत मिलती। 30 से अधिक घर पानी से घिरे हुए हैं। इलाका जलमग्न है। पीने का शुद्ध पानी नहीं मिल रहा, छतों पर बैठे बेटी-बहू खाने -पीने के लिए तरस रही हैं। रात में बस चीख पुकार सुनाई दे रही थी
बांध पर परिवार के साथ रह रहे नंदलाल यादव ने कहा कि अचानक आधी रात के बाद पानी घर में घुसा, नजारा भयावह था। जैसे-तैसे हम लोग जान बचाकर भागे। हर तरफ चीख-पुकार मची थी। घर से कोई सामान भी लेकर नहीं जा सके। सब कुछ पानी में डूब गया। राहत के नाम पर थोड़ा बहुत खाने-पीने का सामान मिला। बाकी कुछ नहीं बचा। हाईवे टूटने से तबाही मची है। मजबूरी में सड़क पर रह रहे। पूरा परिवार यहीं रह रहा। गांव में जाने की हिम्मत नहीं हो रही। जहां देखो पानी ही पानी नजर आ रहा है। छत तक पानी था किसी तरह बच्चों को लेकर भागी
रुक्मिना ने कहा रात में जब सब लोग चिल्लाने लगे तो मैं सहम गई। पानी मेरी छत तक आ गया। बच्चों को लेकर परेशान हो गई। दूसरे की छत के सहारे जैसे-तैसे चांद दियर चौराहे तक आए। बस किसी तरह जिंदा हैं। सबसे ज्यादा परेशानी खाने की हो रही। जिला प्रशासन ने जो राहत सामग्री दी थी, वह दबंग किस्म के लोगों ने छीन ली। साहब लोग अगर घर-घर जाकर सामग्री देते तब मिल सकती थी। काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अगर हाईवे नहीं टूटा होता तो कभी हमारे घर तक पानी नहीं आता। छत पर फंसा परिवार
इसी बीच हमारी नजर सीने तक पानी से होकर आ रहे व्यक्ति पर पड़ी। उन्होंने कहा कि साहब कुछ नहीं बचा। महिलाएं कैसे बाहर निकलें, छत पर बैठी हैं। नाव के बिना निकलना मुश्किल है। ग्राम प्रधान तक झांकने नहीं आए। पशु सड़क पर बांधकर उन्हें देखने जा रहा हूं। घर की महिलाएं टकटकी लगाए मदद का इंतजार कर रही हैं। सड़क किनारे खाना खा रहे बुजुर्ग ने कहा कि बाबू यही दिन देखना बाकी था। 70 साल की उम्र में ऐसा प्रलय हमने नहीं देखा। इतना कहते-कहते बुजुर्ग रो पड़े। एनडीआरएफ की टीम ने कुछ महिलाओं को राहत सामग्री के साथ उनके घर पहुंचाया। बुजुर्ग महिला जानकी ने कहा कि हमें पता ही नहीं था। इतनी बड़ी तबाही आ चुकी है। चारो तरफ हाहाकार मचा था। देखते ही देखते पानी बानी बढ़ता जा रहा था। पता नहीं चल रहा था इतना पानी आ कहां से रहा है। यही एक राहत पैकेट मिला है, इससे क्या होगा। आप मेरा पूरा परिवार देख लीजिए, कैसे गुजर बसर होगा। हम लोग भगवान के भरोसे हैं। अब कुछ नहीं समझ आ रहा। पानी में तैरते हुए राज किशोर बोले हमें भी ले चलिए
पानी में तैरते हुए कांपती आवाज में राज किशोर बोले- साहब हमें भी लेते चलिए, राशन लेने चलूंगा। जो भी मिल जाएगा, कुछ बच्चों के लिए सहारा बन जाएगा। खाना कैसे बनेगा,यह सोचना है साहब। तैरते हुए ही चल दिया कि जो भी मिलेगा, लेकर आऊंगा। ये खबर भी पढ़ें… उन्नाव में 2000 घरों में घुसा गंगा का पानी: सड़कों पर 2 फीट पानी, 500 बीघा फसलें तबाह यूपी में नदियां उफान पर हैं। उन्नाव में गंगा ने अपना रौद्र रूप दिखाना शुरू कर दिया है। यहां फसलें, गांव और स्कूल सब जलमग्न हैं। गांव में 2 से 3 फीट तक पानी भरा है। कई गांव टापू बन गए हैं। गांव में पानी ही पानी दिख रहा है। गंगा खतरे के निशान से 7 सेमी ऊपर बह रही है। यहां 2000 घर बाढ़ की चपेट में हैं। कई गांवों का संपर्क मुख्य मार्ग से टूट चुका है। 500 बीघे से ज्यादा की फसल बर्बाद हो चुकी है। बाढ़ ने सबसे ज्यादा तबाही उन्नाव के कटरी इलाके में मचाई है। पढ़ें पूरी खबर…