‘कल सोमवार का दिन था, हम सुबह से प्रसाद की थालियां सजाकर बैठे रहे, लेकिन श्रद्धालु प्रसाद लेने नहीं आए।’ ये कहना है मंदिर के बाहर चार पीढ़ी से दुकान चलाने वाले लाल जी कश्यप का। लखनऊ के सैकड़ों साल पुराने मनकामेश्वर मंदिर के अंदर अब बाहर के प्रसाद की नो एंट्री के पोस्टर लगा दिए गए हैं। इसका असर मंदिर के आस-पास प्रसाद बेचने वाले दुकानदारों पर पड़ रहा है। मंदिर के आसपास 25 दुकानदार प्रसाद बेचते हैं। अगर ज्यादा दिनों तक बाहर का प्रसाद बेचने पर रोक लगी रही तो 100 से अधिक लोगों के जीवन पर संकट खड़ा हो जाएगा। दैनिक भास्कर की टीम मंदिर पहुंची और दुकानदारों के साथ श्रद्धालुओं से भी बातचीत की। पहले जानते हैं मंदिर के बाहर प्रसाद बेचने वाले दुकानदार क्या कहते हैं
हम अपनी पड़ताल में सबसे पहले मंदिर के आसपास प्रसाद की दुकान लगाने वाले लोगों के पास पहुंचे। यहां हमने यह जानने का प्रयास किया कि बाहर के प्रसाद पर रोक लगने के बाद उनके कारोबार पर क्या असर पड़ा है? मंदिर के आस-पास प्रसाद की करीब 25 दुकानें हैं। इन दुकानों पर 100 से ज्यादा लोग काम करते हैं। अगर इस तरह की रोक जारी रही तो सभी के सामने रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करना भी मुश्किल हो जाएगा। 80 साल के बुजुर्ग बोले- दादा के जमाने से बेच रहे प्रसाद
रामेश्वर दयाल ने बताया कि हमारी चार से ज्यादा पीढ़ियां यहां पर प्रसाद बेचते-बेचते गुजर गईं। लगभग 100 साल से ज्यादा समय हो गया, हमारी दुकान से मंदिर में प्रसाद चढ़ता है। कभी किसी ने कोई सवाल नहीं उठाया। अब महंत दिव्या गिरी का आदेश आने से हमारे सामने जीवन यापन का संकट आ जाएगा। सभी दुकानदार महंत दिव्या गिरी से मिलकर इस आदेश को वापस लेने की मांग करेंगे, ताकि परिवार की दिवाली अच्छी से मन सके। 100 साल से रह रहे, अब हो गए बाहरी…
अपनी पड़ताल के अगले पड़ाव पर हम मंदिर के मुख्य द्वार के बाहर प्रसाद बेचने वाले जुगल किशोर के पास पहुंचे। यहां पर प्रसाद बेचने वाले अन्य दुकानदार भी मिले। हमने बातचीत की तो सभी ने साफ तौर पर कहा कि जांच करानी है, तो घी, खोया, चीनी सभी चीजों की जांच करानी चाहिए। इस तरह से एकदम से प्रसाद की बिक्री बंद न की जाए। आप बताओ, यहां बाबा 100 साल से प्रसाद बेच रहे हैं, ये भी तो मंदिर के ही हैं। हम भी तो मंदिर के ही हैं, लेकिन महंत जी के एक आदेश ने हम सबको बाहरी बना दिया। अब सब कुछ बाबा भोलेनाथ के ऊपर ही है। अब बात करते हैं यहां प्रसाद चढ़ाने आए श्रद्धालुओं की…
अगली कड़ी में हमने मंदिर में दर्शन करने आए श्रद्धालुओं से बातचीत की। इसमें कुछ लोगों ने इस आदेश का समर्थन किया तो कुछ लोगों ने आपत्ति भी जताई। श्रद्धालु अभिषेक ने कहा कि मनकामेश्वर मंदिर में शुद्धता की जांच आवश्यक है। प्रसाद बेचने वाले भी सनातन धर्म को मानने वाले हैं। किसी एक मंदिर में अगर प्रसाद में गलत हुआ, इसका मतलब यह नहीं कि सभी मंदिरों में है। प्रसाद बंद करना समस्या का समाधान नहीं है। अब बात करते हैं प्रसाद से होने वाले कारोबार की…
अब हम आपको बताते हैं, मनकामेश्वर मंदिर के आसपास करीब 25 दुकानों में प्रसाद बनाकर बेचा जाता है। इन दुकानों पर करीब 100 से ज्यादा लोग काम करते हैं। मंदिर में प्रतिदिन लगभग 1500 श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। सावन के महीने में यह संख्या दो गुना से अधिक होती है। दुकानदारों की मानें, तो औसतन एक श्रद्धालु 51 रुपए का प्रसाद खरीदता है। ऐसे में यहां से एक महीने में करीब 20 लाख रुपए से ज्यादा प्रसाद की बिक्री होती है। ज्यादा दिनों तक प्रसाद की बिक्री पर रोक रहेगी, तो व्यापार में भारी नुकसान होगा। धर्म और आस्था से बढ़कर नहीं है आर्थिक लाभ
बाहर के प्रसाद पर रोक के पोस्टर जारी करने वाली महंत दिव्या गिरी महाराज का कहना है कि धर्म और आस्था से बढ़कर कुछ नहीं है। आर्थिक लाभ जरूरी नहीं है। लखनऊ के मनकामेश्वर मंदिर में प्रसाद चढ़ाने के नियम यह खबर भी पढ़ें… लखनऊ के मनकामेश्वर मंदिर में नहीं चढ़ेगा बाहर का प्रसाद:सूखे मेवे का लगा सकेंगे भोग; तिरुपति लड्डू विवाद के बाद फैसला मनकामेश्वर मंदिर की महंत दिव्य गिरी ने बाहर से लाए गए प्रसाद पर बैन लगाते हुए नोटिस चस्पा कराया है। महंत दिव्य गिरी की तरफ जारी लेटर में साफ कहा गया है कि बाजार से खरीदा गया प्रसाद मंदिर में बैन कर दिया गया है। पूरी खबर पढ़ें…