आज पूरा देश राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 155वीं जयंती मना रहा है। बापू का काशी से खास लगाव था। वह काशी हिंदू विश्वविद्यालय के स्थापना समारोह में भी शामिल हुए थे। महात्मा गांधी वर्ष 1903 में पहली बार काशी आए थे। उन्होंने काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन किया और उसके बाद गांधी की दूसरी यात्रा 3 फरवरी 1916 को बसंत पंचमी को हुई। उसी दिन काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना हुई थी जिसमें बापू ने शिरकत की थी। आइए…पहले बापू के तस्वीर को देखते है….. आइए अब महात्मा गांधी से जुड़े कुछ किस्से जो वाराणसी से जुड़े थे प्रोफेसर प्रवीण राणा ने बताया कि महात्मा गांधी की अंतिम काशी यात्रा 21 जनवरी, 1942 को हुई। उन्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय के रजत जयंती कार्यक्रम में मंच पर व्याख्यान दिया। उन्होंने मंच से कहा विश्वविद्यालय में आगमन के दौरान मन में एक बात उत्कंठा उठी। आज सुबह हम शिवप्रसाद गुप्त के घर से लौट रहे थे। रास्ते में विश्वविद्यालय का विशाल प्रवेश द्वार पड़ा। उस पर नजर गई तो देखा, रोमन लिपि में लिखा था “BENARES HINDU UNIVERSITY” और हिंदी में उसका अनुवाद काफी छोटे अक्षरों में लिखा था। उन्होंने कहा इतना छोटा कि ऐनक लगाने पर भी नहीं पढ़ा जाता। मैं हैरान हूं। आखिर, क्या बात है। मैं मानता हूं कि इसमें मालवीय जी महाराज का कोई दोष नहीं। यह गलती इंजीनियर की है। सवाल यह है कि मुख्य द्वार पर अंग्रेजी जरूरत ही क्या हैं वहां पर। गांधी के जाने के बाद अंग्रेजी नाम हटाकर हिंदी के बड़े अक्षरों में काशी हिंदू विश्वविद्यालय लिखा गया। गांधी जी ने बीएचयू में जहां पर अपना भाषण दिया था आज उस जगह को गांधी चबूतरा के नाम से जाना जाता है। बापू काशी विश्वनाथ मंदिर जाने वाले गलियों में गंदगी देख हुए थे नाराज 1903 में पहली बार जब महात्मा गांधी काशी आए तो सबसे पहले उन्होंने काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन पूजन की इच्छा जाहिर की। इस दौरान जब वो दर्शन के लिए गए तो गलियों में गंदगी देख नाराज हो गए। 1916 में दूसरी यात्रा के दौरान भी काशी विश्वनाथ मंदिर दर्शन को जाते वक्त कुछ ऐसी ही तस्वीर उनके सामने आई। जिसके बाद उन्होंने बीएचयू के स्थापना दिवस पर काशी विश्वनाथ मंदिर की दशा की दिलचस्प तुलना भारतीय समाज से कर के तंज किया था। महात्मा गांधी ने कहा कि इस महान मंदिर में जब कोई अजनबी आए, मंदिर की स्थिति देख उनकी हिंदुओं के बारे में क्या सोच होगी फिर वो हमारी निंदा करेगा, इसलिए स्वच्छता को हमे अपने आदत में लाना होगा। प्रोफेसर प्रवीण राणा ने बताया कि काशी विश्वनाथ मंदिर में भी दर्शन के दौरान मंदिर जाने वाले मार्ग और मंदिर में गंदगी देख वो नाराज हुए थे। विद्यापीठ का किया शिलान्यास महात्मा गांधी पांचवी काशी यात्रा पर 9 फरवरी 1921 को आए। पहले दिन उन्होंने टाउनहाल में जनसभा की जिसमें उन्होंने विदेशी वस्त्रों के बहिष्कार का इस सभा में आह्वान किया। 10 फरवरी को 1921 को काशी विद्यापीठ का शिलान्यास किया। उन्होंने कहा कि ‘जितने विद्यालय सरकार के असर में हैं, वहां विद्या नहीं लेनी चाहिए। जहां गोरों की ध्वजा फहराती है, वहां विद्यादान लेना पाप है। असहयोग को बढ़ाने के लिए ही विद्यापीठ की स्थापना हुई है। यही हमारा एकमात्र शस्त्र है। दूसरा कर्तव्य मातृभाषा को विकसित करना है। मेरी प्रार्थना है कि प्रतिदिन विद्यापीठ की वृद्धि हो। विश्वविद्यालय कैंपस में बना है बापू चबूतरा
बीएचयू कैंपस में महात्मा गांधी की याद में बापू चबूतरा भी बनाया गया है। यहां चीफ प्रॉक्टर आफिस के सामने इग्नू क्षेत्रीय कार्यालय परिसर में जो चबूतरा बना है, उस पर 21 जनवरी 1942 को बैठकर बापू ने सांध्य प्रार्थना की थी। वाराणसी में महात्मा गांधी कब-कब रहे