‘क्लास 7th में रानी लक्ष्मी बाई इंटर कालेज की क्रिकेट टीम का अच्छा बैट्समैन था। एक दिन कोच नहीं आए तो हम सभी जॉगिंग करने लगे। इस दौरान मेरे पिता के दोस्त जितेंद्र यादव जो एथलेटिक्स के कोच थे। उन्होंने मुझे पास बुलाया और मुझसे पूछा दौड़ोगे तो मैंने कहा- कोच सर नहीं आये हैं। आज दौड़ सकता हूं और दौड़ गया। उस दिन उनके सभी खिलाड़ी पीछे रह गए।’ ये कहकर लालपुर स्टेडियम के छात्रावास में रह रहे झांसी के अंशु रजक ने भगवान का धन्यवाद दिया। वह कहते हैं- इसके बाद उन्होंने मुझे एथलेटिक्स में खेलने को कहा और पिता से कहकर मुझे 100 मीटर और 200 मीटर रेस के लिए ट्रेनिंग देने लगे। जिसके बाद मेरा चयन खेल प्राधिकरण के हॉस्टल के लिए हो गया और पिछले ढाई साल से मैं यहां प्रशिक्षण ले रहा हूं। मैंने जूनियर में नेशनल का रिकार्ड बनाया है। अब मेरा लक्ष्य इंटरनेशनल स्पर्धा में गोल्ड लाना है। उन्होंने आगे कहा-मेरे पिता झांसी में डेयरी चलाते हैं। उन्होंने हमेशा मेरा हौसला बढ़ाया। उन्हींं की वजह से आज ट्रैक पर हूं। अंशु का लक्ष्य क्या है? अंशु की प्रेरणा क्या है? अंशु ने किस तरह से यह नेशनल रिकार्ड बनाया? इस पर हमने उनसे बात की… पहले क्रिकेटर था अब दौड़ रहा
अंशु रजक के बारे में जानने के लिए हम वाराणसी डॉ. भीमराव अंबेडकर स्टेडियम, बड़ा लालपुर पहुंचे। अंशु अपने साथ के खिलाड़ियों के साथ हल्का अभ्यास कर रहे थे। हमने उनसे इसका कारण पूछा तो बोले- आज प्रैक्टिस से ऑफ पर हूं। इसके बाद हम वहीं बेंच पर बैठ गए। हमने उनसे पूछा- ट्रैक एन्ड फील्ड पर कब से आये? बोले- सर मैं तो अच्छा क्रिकेटर था। एक दिन कोच नहीं आये और फिर मै रेसर बन गया। स्प्रिंटर के रूप में लोग अब मुझे जानते हैं। डिस्ट्रिक्ट लेवल और रीजनल स्तर पर गोल्ड मिला
अंशु रजक ने बताया- मैं रानी लक्ष्मी बाई इंटर कालेज, झांसी में पढ़ता था। मुझे जिला स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिता में हिस्सा लेने का मौक़ा अपने विद्यालय की तरफ से मिला तो मैंने 100 और 200 मीटर में गोल्ड पर कब्जा जमाया। इसके बाद मंडल स्तरीय प्रतियोगिता और स्टेट लेवल प्रतियोगिता में भी मेडल आया। जिसके बाद मेरी किस्मत बदल गई। स्टेट कैंप के लिए हुआ चयन
अंशु ने बताया- इसके बाद मैंने फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। मेरा चयन खेल विभाग द्वारा स्टेट कैंप के लिए हुआ। वहां दिए गए प्रशिक्षण के बाद मुझे स्पोर्ट्स हॉस्टल वाराणसी एलॉट हुआ और पिछले ढाई सालों से यहां प्रैक्टिस कर रहा हूं। इस समय परमानंदपुर स्थित विकास इंटर कालेज में इंटर में हूं। वहां के लिए और वाराणसी के लिए लगातार पदक लाना लक्ष्य है। उसैन बोल्ट हैं प्रेरणा, नेशनल रिकार्ड है अंशु के नाम
उसैन बोल्ट को अपनी प्रेरणा मैंने वाले अंशु ने पिछले साल कोयंबटूर में हुई नेशनल अंडर 18 नेशनल प्रतियोगिता में 100 मीटर में 10.63 सेकेंड का समय निकालकर सभी को चौका दिया। इस टाइम से फिनिश करने के बाद अंशु को गोल्ड मेडल के साथ ही साथ नेशनल रिकार्ड भी नाम हो गया। इसके अलावा 200 मीटर में भी गोल्ड जीता था। अभी तक अंशु के पास तीन गोल्ड हैं। अब जानिए क्या करते हैं अंशु के पिता और माता, और क्या है अंशु का लक्ष्य … अंशु के पिता झांसी में चलाते हैं डेयरी, बेटे का हौसला नहीं होने दिया कम
अंशु के पिता सुनील रजक झांसी के मेहंदीबाग, नई बस्ती के रहने वाले हैं। डेयरी और मुर्गी का पोल्ट्री फार्म चलाते हैं। उन्होंने फोन पर बताया- मेरे दो बेटे हैं अंशु और अमन। अंशु शुरू से ही पढ़ाई और खेलने में तेज था। इसलिए उसे क्रिकेट के कोच ने टीम में जगह दी, जब वह क्लास 7th में था। उसी दौरान मेरे दोस्त की नजर उस पर पड़ी और उसने उसे दौड़ने के लिए कहा जिसमें वह खरा उतरा पर क्रिकेट की दीवानगी में डूबे अंशु को मनाना पड़ा। उसके बाद उसने सिर्फ ट्रैक से दोस्ती कर ली जिसका नतीजा नेशनल रिकार्ड है। बीच में कभी उसने ये नहीं कहा इसे छोड़ना है, क्योंकि अब वह बहुत तेज भाग रहा है। अंशु की मां सुधा रजक एक गृहणी हैं। अंशु का लक्ष्य ओलिंपिक
अंशु ने बताया- वो अंडर 18 प्रतियोगिताओं में खेल रहा रहा है। इसमें नेशनल रिकार्ड के साथ उसके पास गोल्ड मैडल है। तीन स्वर्ण पदक जीतने के बाद अब अगले इवेंट में फिर दम लगाना है। मैं अगले साल होने वाले नेशनल इवेंट के लिए मेहनत कर रहा हूं। इसके अलावा मेरा लक्ष्य इंटरनेशनल प्रतियोगिताओं के अलावा ओलिंपिक मेरा लक्ष्य लक्ष्य है। उपक्रीड़ाधिकारी डॉ. मंजूर आलम ने की सराहना
डॉ भीमराव स्पोर्टस स्टेडियम लालपुर के क्रीड़ाधिकारी डॉ मंजूर आलम ने बताया- अंशु ढाई साल से हॉस्टल का प्लेयर है। यहां रोजाना स्ट्रेंथ बढ़ा रहा है। उसने काशी के स्टेडियम, काशी और प्रदेश का नाम रोशन कर रहा है। अगर उसे मौका मिले तो वह सीनियर वर्ग में भी अच्छा प्रदर्शन कर सकता है। उसने उसैन बोल्ट को अपनी प्रेरणा बनाया है। उसने 10.63 सेकेंड में दौड़ जीती थी जो नेशनल रिकार्ड है।

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