भाजपा ने देश भर में 10 करोड़ सदस्य बनाने का लक्ष्य रखा है। सदस्यता अभियान के पहले फेज में 2 से 25 सितंबर तक डेढ़ करोड़ सदस्य बनाकर यूपी पहले स्थान पर है। 25 सितंबर तक की रिपोर्ट में सामने आया है कि खासतौर पर सांसद और राज्यसभा सदस्य पार्टी के नए सदस्य बनाने में सक्रिय नहीं हैं। यूपी के 33 सांसदों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 27,425 सदस्य बनाकर सबसे आगे हैं। यूपी में यूं तो 75 जिले हैं, लेकिन भाजपा ने अपने संगठनात्मक कामकाज के दृष्टिकोण से इन्हें 98 हिस्से में बांट रखा है। यानी पार्टी 98 जिलों के हिसाब से मॉनिटरिंग करती है या अपने कार्यक्रम चलाती है। सदस्यता अभियान की पार्टी के स्तर पर समीक्षा हो रही है। सामने आया है कि कार्यकर्ता तो अधिक से अधिक सदस्य बनाने में जुटे हैं, लेकिन पार्टी के पदाधिकारी, जनप्रतिनिधि अभियान में दिलचस्पी नहीं ले रहे। लोकसभा सांसद और राज्यसभा सदस्य को 20,000 सदस्य बनाने का लक्ष्य दिया है। रेफरेल लिंक से सदस्य बनाने में केंद्रीय मंत्री, पूर्व मंत्री और सांसद 10% सदस्य भी नहीं बना सके। यही वजह है कि प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने सोमवार को राजधानी में सदस्यता अभियान की समीक्षा बैठक का आयोजन रखा है। पीडब्ल्यूडी के विश्वेश्वरैया हॉल में होने वाली बैठक में सभी प्रदेश पदाधिकारी, क्षेत्रीय अध्यक्ष, सभी विधायक, एमएलसी, सांसद, राज्यसभा सदस्य, महापौर, जिला पंचायत अध्यक्ष, जिलाध्यक्ष और जिला प्रभारी बुलाए गए हैं। बड़े नेताओं को इसलिए डर नहीं
जानकारों का मानना है कि केंद्रीय मंत्रियों, प्रदेश सरकार के मंत्रियों, सांसद और विधायकों को पता है कि सदस्यता अभियान से उनके राजनीतिक भविष्य पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है। इसलिए वह सदस्यता अभियान में इतने ही सदस्य बना रहे हैं, जिससे वह खुद सक्रिय सदस्य बने रहें। वहीं, कार्यकर्ताओं को उम्मीद है कि आगामी समय में संगठन या सरकार में उन्हें कोई जिम्मेदारी मिल सकती है, इसलिए वह अधिक से अधिक सदस्य बनाने में जुटे हैं। यूपी के मंत्रियों की बात करें तो 28 मंत्री ऐसे हैं, जो अब तक एक हजार की संख्या भी पूरा नहीं कर पाए हैं। अभियान में भी खींचतान
भाजपा के सदस्यता अभियान में भी खींचतान मची हुई है। ऐसा माना जाता है कि जो भी सदस्यता अभियान का संयोजक बनता है, उसका राजनीतिक भविष्य उज्ज्वल होता है। 2014 में सदस्यता अभियान के लिए तत्कालीन प्रदेश महामंत्री स्वतंत्र देव सिंह को संयोजक बनाया गया था। 2017 में भाजपा सरकार बनने पर स्वतंत्र देव सिंह राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार बनाए गए। 2019 में सदस्यता अभियान के लिए तत्कालीन प्रदेश महामंत्री जेपीएस राठौर को अभियान का संयोजक बनाया गया। 2022 में योगी सरकार 2.0 में जेपीएस को सहकारिता राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार बनाया गया। इस बार अभियान संयोजक को लेकर पार्टी के पदाधिकारियों में खींचतान मची हुई है। लिहाजा किसी को भी अधिकृत तौर पर अभियान का संयोजक घोषित नहीं किया गया। प्रदेश महामंत्री गोविंद नारायण शुक्ला, अमरपाल मौर्य, अनूप गुप्ता, रामप्रताप सिंह चौहान और प्रदेश उपाध्यक्ष धर्मेंद्र सिंह सेंथवार संयुक्त रूप से काम कर रहे हैं। अब बात उप चुनाव वाली सीटों की, जानिए सदस्यता का हाल
आगामी दिनों में विधानसभा की 10 सीटों पर उप चुनाव होना है। गाजियाबाद को छोड़कर उप चुनाव की नौ सीटों पर मतदाताओं की तुलना में दस फीसदी भी सदस्य नहीं बने हैं। यूपी में औसतन प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में चार लाख मतदाता हैं। भाजपा के प्रदेश महामंत्री गोविंद नारायण शुक्ला का कहना है, ‘सदस्यता अभियान में यूपी को दो करोड़ सदस्य बनाने का लक्ष्य मिला है। प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी और महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह खुद प्रतिदिन अभियान की समीक्षा कर रहे हैं। जहां स्थिति कमजोर है, वहां पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।’ ये भी पढ़ें… योगी सबसे आगे, 28 मंत्रियों को पीछे छोड़ा:सदस्य बनाने में संगठन से बड़ी रही सरकार, भूपेंद्र चौधरी सिर्फ 184 लोग जोड़ पाए भाजपा के सदस्यता अभियान में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 28 मंत्रियों को पीछे छोड़ दिया। पहले चरण में योगी ने 53,055 सदस्य बनाए हैं। उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने मात्र 1,557 सदस्य बनाए। प्रदेश में भाजपा की राजनीति में बीते साढ़े तीन महीने से ‘संगठन सरकार से बड़ा होता है’ को लेकर छिड़ी राजनीतिक खींचतान के बीच संगठन के सदस्य बनाने में सरकार बड़ी साबित हुई। प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी महज 184 सदस्य बना सके। पढ़ें पूरी खबर…

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