सीएम योगी आदित्यनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव यूपी में 10 सीटों पर होने वाले उपचुनाव से पहले एक-दूसरे पर आक्रामक होते जा रहे हैं। तंज और जुबानी जंग में कुत्ते की पूंछ, माफिया, नाक रगड़ने से लेकर संतुलन गड़बड़ाने जैसे तीखे शब्दों का इस्तेमाल हो रहा है। मुख्यमंत्री जनसभाओं के जरिए सपा के कार्यकाल पर निशाना साधते हैं, तो अखिलेश यादव प्रेस कॉन्फ्रेंस में योगी पर सीधा हमला बोल रहे। साथ ही सोशल मीडिया साइट ‘एक्स’ का भी सहारा ले रहे। आखिर यह जुबानी जंग इतनी तीखी क्यों हो चली है? अखिलेश यादव, जो सीधे सीएम योगी पर वार करने से परहेज करते थे, वह इतना आक्रामक क्यों हो गए हैं? इस रिपोर्ट में पढ़िए- पहले दोनों नेताओं के बयानों पर नजर… सपा मुखिया अखिलेश यादव क्यों सीधे सीएम योगी पर हमलावर हैं? वजह: 2024 के लोकसभा चुनाव में 37 सीटों ने सपा मुखिया को दिया आत्मविश्वास
2014 के चुनाव के बाद से समाजवादी पार्टी लगातार कमजोर होती जा रही थी। 2014 के लोकसभा चुनाव में सपा राज्य की सत्ता में होते हुए भी 5 सीटों पर सिमट गई थी। ये 5 सीटें भी मुलायम सिंह यादव के परिवार के लोग ही जीत पाए थे। फिर 2017 में राज्य में विधानसभा चुनाव हुआ। इसमें 5 साल के कार्यकाल के बाद सपा की करारी हार हुई। फिर आया साल 2019। इस लोकसभा चुनाव में सपा और बसपा ने गठबंधन कर लिया। इसके बावजूद सपा 5 सीटों से आगे नहीं बढ़ सकी। 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा एक बार फिर भाजपा से हार गई। राज्य में दोबारा योगी आदित्यनाथ की सरकार बनी। सपा और भाजपा के बीच शह-मात का यह खेल साल 2024 में पहुंचा। मई में लोकसभा चुनाव हुए। हर पहलू को परखने और तमाम गुणा-गणित के बाद राजनीति पर करीबी नजर रखने वालों ने कह रखा था कि संभावना एक बार फिर केंद्र में भाजपा की सरकार बनने की है। फिर आया 4 जून यानी फैसले का दिन। यूपी में भाजपा के प्रदर्शन को लेकर जो आकलन थे, अंदाजे थे, वो सब कहीं पीछे छूट गए। सपा आगे निकल चुकी थी। सपा ने इस चुनाव में भाजपा को पछाड़ते हुए यूपी की 80 लोकसभा सीटों में से 37 पर जीत दर्ज की। जो भाजपा 2019 के लोकसभा चुनाव में यूपी में 62 सीटें जीती थी, वो इस बार 33 सीटों पर सिमट गई। इन नतीजों ने साफ तौर पर भाजपा को न सिर्फ यूपी में पछाड़ दिया, केंद्र में अपने दम पर बहुमत से रोक दिया। इन सब के बीच लगातार चार चुनाव हारने के बाद जिस सपा का ग्राफ गिरता जा रहा था, उसे 2024 के चुनाव ने देश की तीसरे नंबर की पार्टी बना दिया। ऐसे में समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव का आक्रामक होना स्वाभाविक है। 2024 की जीत के बाद अखिलेश यादव और उनकी पार्टी 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर आत्मविश्वास से भरी नजर आ रही है। उन्हें 2027 में भी जीत नजर आने लगी है। अखिलेश की आक्रामकता और सीधे मुख्यमंत्री पर जुबानी हमला, इसी आत्मविश्वास का नतीजा बताया जा रहा है। 2022 के चुनाव में भी खूब चले थे शब्दों का बाण
2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में भी भाजपा और सपा दोनों ओर से शब्दों के बाण चले थे। यह बात अलग है कि उस समय मंचों से ज्यादा ट्विटर (अब एक्स) पर वन लाइनर पंच के जरिए एक-दूसरे पर हमले कर रहे थे। मुख्यमंत्री योगी के ट्विटर हैंडिल से ट्वीट हुआ- चोला समाजवादी + सोच दंगावादी + सपने परिवारवादी = तमंचावादी। इसके जवाब में अखिलेश यादव ने लिखा- बाबा जी पैदल भी हैं, बे-दल भी हैं। इसके बाद योगी ने लिखा- वे ‘जिन्ना’ के उपासक है, हम ‘सरदार पटेल’ के पुजारी हैं। उनको पाकिस्तान प्यारा है, हम मां भारती पर जान न्योछावर करते हैं। जवाब में अखिलेश यादव ने लिखा- कभी कहा मथुरा…कभी कहा अयोध्या…और अब कह रहे हैं…गोरखपुर। जनता से पहले इनकी पार्टी ने ही इनको वापस घर भेज दिया है। दरअसल इनको टिकट मिला नहीं, इनकी वापसी का टिकट कट गया है। सीधे नाम लेने से बचने वाले सीएम योगी क्यों अखिलेश के हर बयान का जवाब दे रहे? वजह: लोकसभा चुनाव में सीटें गंवाने के बाद उपचुनाव सीएम के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बना
अखिलेश यादव से मुकाबले के लिए पहले उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को आगे किया गया। वजह थी अखिलेश यादव पिछड़े वर्ग से आते हैं, इसलिए भाजपा ने भी पिछड़े वर्ग के ही नेता को मुकाबले के लिए आगे किया। लेकिन, अखिलेश यादव बगैर नाम लिए केशव को कभी मोहरा, कभी दिल्ली का पासवर्ड बताते रहे। उन्हें कभी अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया। जब इस मुकाबले में केशव पीछे रह गए, तो खुद मुख्यमंत्री योगी ने मोर्चा संभाला। वैसे तो योगी का मिजाज हमेशा से ही आक्रामक रुख वाला रहा है। चाहे वह चुनाव से पहले की बात हो या चुनाव के बाद। अपनी सभाओं में वह पहले भी इसी अंदाज में सपा पर आक्रमण करते रहे हैं। लेकिन, अखिलेश यादव के आक्रामक होने के बाद योगी ने भी अपने शब्दों की धार तेज कर दी। अब वह सीधे तौर पर अखिलेश यादव पर निशाना साधने लगे हैं। अखिलेश जो कहते हैं, उसका जवाब सीएम अपनी सभाओं में देते हैं। योगी के ज्यादा आक्रामक होने की एक वजह और भी है। वह है लोकसभा चुनाव में सीटें गंवाने के बाद अब उपचुनाव वाली 10 सीटों पर उनकी प्रतिष्ठा। मुख्यमंत्री हर हाल में इन 10 सीटों में से ज्यादा से ज्यादा सीटें भाजपा के पाले में करने के लिए मेहनत कर रहे हैं। मुख्यमंत्री का प्रचार का तरीका वही है, जो लोकसभा चुनाव में था। क्या पहली बार हो रही ऐसी बयानबाजी?
राजनीतिक विश्लेषक राम दत्त त्रिपाठी कहते हैं- इससे पहले इस स्तर की राजनीति कम से कम यूपी में किसी दौर में नहीं हुई। हां, योगी की ओर से अलग-अलग चुनाव में सीधा हमला सपा सरकार, माफिया के साथ संबंध को लेकर किया जाता रहा है। विधानसभा में कई बार सपा नेताओं और योगी के बीच तल्खी भी देखी गई। अब नया यह हुआ है कि अखिलेश यादव की ओर से इसका जवाब आने लगा है। इसे लोकसभा चुनाव में मिली जीत को एक कारण के तौर पर देखा जा सकता है। इसके अलावा अगर योगी अपने मतदाताओं को खुश रखने के लिए ऐसी भाषा का प्रयोग कर रहे हैं, तो अखिलेश भी अपने मतदाताओं को एकजुट और उनमें उत्साह भरने के लिए लगातार तंज कस रहे हैं। वोट बैंक की खातिर साधते रहेंगे निशाना
राजनीतिक विश्लेषक राजेंद्र कुमार कहते हैं- यह पूरा मामला चर्चा में रहने का एक तरीका है। योगी ठेठ और आक्रामक अंदाज में अपनी बात कहते हैं। वहीं, अखिलेश तंज के रूप में सलीके से हमला करते हैं। मुख्यमंत्री हिंदुत्व के एजेंडे को लेकर और सपा के कार्यकाल को लेकर हमला करते हैं। अखिलेश यादव एनकाउंटर और बुलडोजर के जरिए अपने वोट बैंक को यह संदेश देने की कोशिश करते हैं कि यह तानाशाही की सरकार है। ये पुलिस के बल पर सरकार चलाना चाहते हैं। अखिलेश का तंज मुख्यमंत्री को चुभ जाता है, जिसका जवाब वह और भी तीखे अंदाज में देते हैं। अपने-अपने वर्ग को संदेश देने के लिए यह जंग जारी रहेगी। 2027 के विधानसभा चुनाव तक खिंचेगा यह सिलसिला
उत्तर प्रदेश की राजनीति को करीब से देखने वालों की मानें, तो यह सिलसिला राज्य में 2027 विधानसभा चुनाव तक चलेगा। एक तरफ अखिलेश यादव हैं जो अपने पीडीए यानी पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक के फॉर्मूले से पीछे हटने वाले नहीं। यही उनकी रणनीति का केंद्र है। दूसरी तरफ भाजपा उसका तोड़ खोजने की कोशिश कर रही है। वह अभी तक अखिलेश यादव के इस चक्रव्यूह को भेद नहीं पाई है। इस लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद भी भाजपा काे विश्वास है कि वह हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के मुद्दे पर चुनाव में फिर कामयाबी हासिल कर लेगी। भाजपा का पूरा फोकस भी इसी रणनीति पर है और इसका सबसे बड़ा चेहरा हैं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ। भाजपा योगी को हिंदुत्व और राष्ट्रवाद का सबसे बड़ा चेहरा बनाकर चुनावों में उतरने की तैयारी में है। ऐसे में 2027 का चुनाव खत्म होने से पहले दोनों नेताओं के बीच इस जुबानी जंग के बंद होने के दूर-दूर तक कोई आसार नजर नहीं आ रहे। थमने के उलट मुमकिन है कि इसमें और भी तेजी आ जाए। ये भी पढ़ें… यूपी में ढाबा-रेस्टोरेंट पर मालिक की नेम प्लेट जरूरी, CCTV, कर्मचारियों का पुलिस वेरिफिकेशन कराना होगा उत्तर प्रदेश में मंगलवार, 24 सितंबर से खाने-पीने की दुकानों पर नेमप्लेट यानी दुकानदार का नाम लिखना अनिवार्य हो गया है। CM योगी आदित्यनाथ ने खाद्य विभाग की मीटिंग में यह आदेश दिया। उन्होंने कहा, ‘प्रदेश के सभी होटलों, ढाबों, रेस्टोरेंट की गहन जांच और हर कर्मचारी का पुलिस वेरिफिकेशन किया जाए। खाने की चीजों की शुद्धता के लिए खाद्य सुरक्षा अधिनियम में जरूरी बदलाव किए जाएं। पढ़ें पूरी खबर…