यूपी में एक साल बाद विधानसभा की 17 समितियों का गठन हुआ है। इनमें भाजपा ने अपने ज्यादातर विधायकों को समायोजित किया है। साथ ही अगड़े और पिछड़े का संतुलन बनाने की कोशिश की है। वहीं, सपा ने समितियों में भी PDA के फॉर्मूले को बरकरार रखा है। सपा ने पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक वर्ग के विधायकों को ज्यादा से ज्यादा मौका दिया है। विधानसभा में इस वर्ष बजट सत्र में विपक्ष ने समितियों के गठन की मांग उठाई थी। संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने आश्वासन दिया था कि सदन की अगली बैठक तक समिति का गठन हो जाएगा। इस साल मानसून सत्र में सुरेश खन्ना ने स्वीकार भी किया था कि उन्होंने सदन में समिति गठन का आश्वासन दिया था, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। फिर उन्होंने आश्वासन दिया कि अगली बैठक से पहले समिति गठित हो जाएगी। लंबी जद्दोजहद के बाद विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने सत्तापक्ष और विपक्ष से मिले प्रस्तावों के आधार पर गुरुवार को समितियों का गठन कर दिया। भाजपा ने समिति में सभापति पद पर एक ब्राह्मण, एक वैश्य, एक ठाकुर, एक पिछड़े और एक दलित वर्ग के विधायक को मौका दिया है। वहीं, सपा ने कमोबेश सभी दलित, मुस्लिम और पिछड़े विधायकों को समितियों में शामिल होने का मौका दिया। भाजपा में काफी मंथन हुआ: सूत्रों के मुताबिक सपा, कांग्रेस और जनसत्ता दल लोकतांत्रिक की ओर से समितियों के लिए नाम पहले ही मिल गए थे। लेकिन, भाजपा की ओर से नाम मिलने में समय लगा। भाजपा में सरकार और संगठन के स्तर पर समितियों में विधायकों के समायोजन को लेकर लंबा मंथन हुआ। बसपा को जगह नहीं मिली: विधानसभा में बसपा के एक मात्र विधायक उमाशंकर सिंह हैं। उमाशंकर सिंह बीते कुछ दिनों से अस्वस्थ हैं। स्वास्थ्य कारणों से उन्हें किसी समिति में शामिल नहीं किया गया। उपाध्यक्ष की नियुक्ति भी जल्द होगी: विधानसभा के एक अधिकारी ने बताया कि उपाध्यक्ष की नियुक्ति भी जल्द होगी। सरकार और भाजपा में इसको लेकर हो रहे मंथन की चर्चा विधानसभा तक पहुंची है। राज्यसभा चुनाव में सपा से बगावत कर भाजपा के पक्ष में मतदान करने वाले 7 विधायकों में से किसी एक को उपसभापति बनाया जा सकता है। इनमें ऊंचाहार से विधायक मनोज पांडेय, अंबेडकर नगर से विधायक राकेश पांडेय और गौरीगंज से विधायक राकेश प्रताप सिंह का नाम प्रमुख है। अभय सिंह और विनोद चतुर्वेदी को नहीं मिली जगह : सपा के बागी विधायक अभय सिंह और विनोद चतुर्वेदी का नाम सपा की ओर से नहीं भेजा गया था। दोनों विधायकों को राज्यसभा चुनाव में भाजपा को वोट देने के बदले समिति में शामिल नहीं किया। बागी विधायक पूजा पाल, आशुतोष मौर्या को भी किसी समिति में जगह नहीं मिली। उपाध्यक्ष की जगह अध्यक्ष रहेंगे सभापति: प्रश्न एवं संदर्भ समिति, विधान पुस्तकालय समिति, विशेषाधिकार समिति, याचिका समिति और आवास संबंधी संयुक्त समिति में विधानसभा उपाध्यक्ष समिति के सभापति होते हैं। लेकिन, विधानसभा में उपाध्यक्ष का पद खाली होने के कारण इन समितियों में विधानसभा अध्यक्ष को सभापति पद से संबद्ध किया गया है। प्राकलन समिति सभापति- अमित अग्रवाल सदस्य- हरीश चंद्र, साकेंद्र प्रताप वर्मा, सुभाष त्रिपाठी, हरिओम, महेंद्र चंद्रगुप्ता, राजेश त्रिपाठी, रामपाल वर्मा, रवेंद्र पाल सिंह, डॉ. मंजू शिवाच, बाबन सिंह, रामप्रताप वर्मा, धर्मेंद्र सिंह तोमर, महेंद्र सिंह खड़गवंशी, प्रेमपाल सिंह धनगर, अजय कुमार, डॉ. संग्राम सिंह, जियाउद्दीन रिजवी, रविदास मेहरोत्रा, शाहिद मंजूर, बृजेश कठेरिया, लकी यादव, सचिन यादव,राम निवास वर्मा और विनोद सरोज। सार्वजनिक उपक्रम एवं निगम संयुक्त समिति सभापति- मेजर सुनील दत्त द्विवेदी सदस्य- ज्ञानेंद्र सिंह, मनीष रावत, वीरेंद्र सिंह लोधी, राजीव तरारा, मुकेश चौधरी, विकास गुप्ता, देवेंद्र सिंह लोधी, श्रीमती मनीषा, ज्ञान तिवारी, अंकुर तिवारी, चेतराम, पीयूष रंजन निषाद, प्रेम सागर पटेल, गौरीशंकर वर्मा, राजेश्वर सिंह, ओमप्रकाश, कमाल अख्तर, तूफानी सरोज, महेंद्र नाथ यादव, जय प्रकाश अंचल, पूजा सरोज, राहुल राजपूत, जयकुमार जैकी और गुलाम मोहम्मद। स्थानीय निकायों के लेखा परीक्षा प्रतिवेदनों की जांच संबंधी समिति सभापति- मनीष आसीजा सदस्य- सरिता भदौरिया, अजीत पाल त्यागी, वेद प्रकाश गुप्ता, डॉ. डीसी वर्मा, गुरु प्रसाद मौर्य, ओपी श्रीवास्तव, स्वामी ओमवेश, बेचई सरोज, विनोद चतुर्वेदी और रामकृष्ण भार्गव। पंचायतीराज समिति सभापति- लोकेंद्र प्रताप सिंह सदस्य- देवेंद्र कुमार निम, अनिल कुमार सिंह, प्रभात कुमार वर्मा, राज प्रसाद उपाध्याय, मुकेश चंद्र वर्मा, रामअचल राजभर, अभय सिंह, सुरेश्वर सिंह, संजीव दिवाकर और रमेश चंद्र मिश्रा। अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और विमुक्त जातियों संबंधी संयुक्त समिति सभापति- श्रीराम चौहान सदस्य- विजयापाल आड़ती, जयदेवी, बाबूराम पासवान, सुरेश कुमार, नागेंद्र सिंह राठौर, मूलचंद्र सिंह निरंजन, राजेंद्र कुमार, दिनेश रावत, सरोज सोनकर, बंबा लाल दिवाकर, इंद्रजीत सरोज, मनोज कुमार पारस, डॉ. रागिनी सोनकर, विजय सिंह, डॉ. वीरेंद्र यादव और सरोज कुरील। लोक लेखा समिति सदस्य- राम नरेश अग्निहोत्री, अनिल पाराशर, रामचंद्र यादव, डॉ. नीरज बोरा, प्रो. श्याम बिहारी लाल, सौरभ श्रीवास्तव, फतेह बहादुर सिंह, तेजपाल सिंह नागर, विवेकानंद पांडेय, अदिति सिंह, डॉ. अमित सिंहब, पूरन प्रकाश, महबूब अली, दुर्गा प्रसाद यादव, डॉ. राकेश कुमार वर्मा, धर्मराज सिंह यादव, प्रदीप कुमार यादव और वाचस्पति। प्रतिनिहित विधायन समिति सभापति- विपिन कुमार डेविड सदस्य- अजय सिंह, प्रेम नारायण पांडेय, महेश द्विवेदी, गणेश चंद्र, भगवान सिंह कुशवाहा, डॉ. राघवेंद्र शर्मा, बृजेश कुमार, माधवेंद्र प्रताप सिंह, रफीक अंसारी, डॉ. हृदय नारायण सिंह पटेल, गौरव रावत और अखिलेश। नियम समिति सभापति- सतीश महाना, विधानसभा अध्यक्ष सदस्य- नंद किशोर, हरेंद्र सिंह, डॉ. धर्मपाल सिंह, श्रीकांत शर्मा, राजेंद्र सिंह पटेल, विनय कुमार द्विवेदी, रानी पक्षालिका सिंह, जवाहरलाल राजपूत, आशू मलिक, मो. ताहिर खान, सूहेब उर्फ मन्नू अंसारी, राजेंद्र कुमार और प्रसन्न कुमार। संसदीय शोध, संदर्भ एवं अध्ययन समिति सभापति – सतीश महाना, विधानसभा अध्यक्ष सदस्य- रमापति शास्त्री, योगेश शुक्ला, रामरतन कुशवाहा, प्रदीप शुक्ला, सुरेंद्र कुमार कुशवाहा, रमेश जायसवाल, डाॅ. शलभ मणि त्रिपाठी, डॉ. असीम कुमार, कमलाकांत राजभर, हाकिम लाल बिंद और कवींद्र चौधरी। प्रश्न एवं संदर्भ समिति सभापति- सतीश महाना, विधानसभा अध्यक्ष सदस्य- सुरेंद्र मैथानी, मेघश्याम, सौरभ सिंह सोनी, प्रभाष कुमार, श्रीकांत कटियार, राजेश कुमार गौतम, राजीव सिंह पारीक्षा, राजकुमार सहयोगी, उमर अली खान, संदीप सिंह पटेल,सर्वेश सिंह और जगदीश नारायण। विधान पुस्तकालय समिति सभापति- सतीश महाना, विधानसभा अध्यक्ष सदस्य- मुक्ता संजीव राजा, अशोक कुमार राणा, बीरेंद्र सिंह राना, विनोश शंकर अवस्थी, डॉ. एमपी आर्य, जयद्रथ उर्फ प्रवक्तानंद, अमन गिरी, निर्मल वर्मा, आशुतोष शुक्ला, अशोक कुमार, गुडिया देवी, श्यामधनी राही, मोहम्मद हसन रूमी, नवाज जान, चंद्रप्रकाश लोधी, हिमांशु यादव, नसीर अहमद खान, जीतलाल पटेल और ऋषि त्रिपाठी। विशेषाधिकार समिति सभापति- सतीश महाना, विधानसभा अध्यक्ष सदस्य- सिद्धार्थनाथ सिंह, राकेश कुमार गोस्वामी, योगेश धामा, दीनानाथ भाष्कर, जय प्रताप सिंह, मोहन वर्मा, समरपाल सिंह, श्याम सुंदर भारती और आराधना मिश्रा मोना । याचिका समिति सभापति- सतीश महाना, विधानसभा अध्यक्ष सदस्य- सत्यपाल सिंह राठौर, अनुराग सिंह, लक्ष्मीराज सिंह, संजय कुमार शर्मा, विवेक कुमार वर्मा, अनुपमा जायसवाल, राजेश पाल सिंह उर्फ राजेश चौधरी, विनय प्रकाशगोंड, विमलेश पासवान, फरीद महफूज किदवई, प्रभु नारायण यादव, अभिताभ बाजपेयी, अतुल प्रधान और डॉ.सुरभि। आचार समिति (एथिक्स कमेटी) सभापति- सतीश महाना, विधानसभा अध्यक्ष सदस्य- नीलकंठ तिवारी, धीरेंद्र सिंह, रमाशंकर सिंह, जयवीर सिंह, ईं.सरवन निषाद, डाॅ. वीर विक्रम सिंह प्रिंस, आलमबदी और राम खिलाड़ी यादव। महिला एवं बाल विकास संबंधी संयुक्त समिति सभापति- नीलिमा कटियार सदस्य- चंद्रपाल सिंह, अर्चना पांडेय, ओममणी वर्मा, अलका सिंह, मंजू त्यागी, आशा मौर्या, डॉ. मनोज कुमार प्रजापति, सलोना कुशवाहा, पिंकी सिंह, नादिरा सुल्तान, उषा मौर्या और सैयदा खातून। संसदीय अनुश्रवण समिति सभापति- सतीश महाना, विधानसभा अध्यक्ष सदस्य- रत्नाकर मिश्रा, विनोद सिंह, सुशील कुमार शाक्य, अंजुला माहौर, शशांक वर्मा, शशांक द्विवेदी, मीनाक्षी सिंह, कैलाश नाथ, मनीष कुमार उर्फ मंटू, प्रदीप चौधरी, राजेंद्र प्रसाद चौधरी, नफीस अहमद, पंकज पटेल, अनिल प्रधान, राम अवतार सिंह और डॉ.आर.के.पटेल। आवास संबंधी संयुक्त समिति सभापति- सतीश महाना, विधानसभा अध्यक्ष सदस्य- पंचानंद पाठक, पूनम शंखवार, योगेश वर्मा, राम बिलाश चौहान, संजीव अग्रवाल, रामसिंह पटेल और विजमा यादव। ये भी पढ़ें… उपचुनाव में सपा-कांग्रेस में कहां फंसी बात:जम्मू-कश्मीर में सपा ने कांग्रेस के खिलाफ उतारे कैंडिडेट; यूपी में क्या संभावनाएं यूपी में उपचुनाव वाली 10 सीटों पर कांग्रेस रैली और कार्यकर्ता सम्मेलन कराने जा रही है। तारीख तय करके प्रभारी और पर्यवेक्षक भी नियुक्त कर दिए हैं। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने हर सीट पर 5 से 10 हजार कार्यकर्ताओं को जुटाने का लक्ष्य रखा है। कांग्रेस के इस रुख से चर्चा तेज हो गई है कि यूपी उपचुनाव में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन होगा या नहीं? संभावनाएं क्या बन रही हैं? आखिर पेंच कहां फंसा है? पढ़ें पूरी 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