यूपी में पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन कर दिया गया है। सीतापुर के पूर्व सांसद राजेश वर्मा अध्यक्ष बनाए गए हैं। राजेश वर्मा ने 1996 में बसपा से विधानसभा चुनाव लड़कर अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी। 1999 में वे पहली बार सांसद चुने गए थे। 2013 में राजेश ने बसपा छोड़कर भाजपा जॉइन कर लिया। 2014 में वह भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़े और विजेता बने। लेकिन, 2024 के आम चुनाव में कांग्रेस के राकेश राठौर ने हरा दिया। सियासी जानकारों का कहना है कि सरकार ने कुर्मी वोट बैंक को साधने के लिए वर्मा को अध्यक्ष बनाया है। आयोग में मिर्जापुर के सोहनलाल श्रीमाली, रामपुर के सूर्य प्रकाश पाल को उपाध्यक्ष बनाया गया है। आयोग में 24 सदस्य भी नामित हुए हैं। इन सभी का कार्यकाल एक साल के लिए है। पिछले दो साल से इस आयोग का गठन नहीं हुआ था। यूपी में लोकसभा चुनाव में बीजेपी के खराब प्रदर्शन के बाद बिना देरी किए आयोगों के गठन का फैसला हुआ था। संघ, सरकार और संगठन की बैठक के बाद सियासी नियुक्तियां शुरू की गई हैं। देखिए पूरी लिस्ट… फूल बदन कुशवाहा को सदस्य बनाया गया
हाल ही में सीएम योगी के आवास पर संघ पदाधिकारियों और बीजेपी के बड़े नेताओं की बैठक हुई थी। जिसमें खाली पड़े आयोगों और निगम में नेताओं और पदाधिकारियों को नामित करने पर चर्चा हुई थी। पिछड़ा वर्ग आयोग में अब कुल 27 लोगों का पैनल पिछड़ों के हितों से जुड़े मुद्दों को लेकर काम कर सकेगा। हिंदू युवा वाहिनी में पदाधिकारी रहे फूल बदन कुशवाहा को भी पिछड़ा वर्ग आयोग का सदस्य बनाया गया है। यूपी सरकार में डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने आयोग के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और नामित सदस्यों को बधाई दी है। उन्होंने कहा, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पिछड़ा वर्ग राज्य आयोग के नव मनोनीत अध्यक्ष-उपाध्यक्ष व सभी सदस्यों को हार्दिक बधाई और उज्ज्वल कार्यकाल की शुभकामनाएं। ढाई साल से कार्यकर्ता नियुक्तियों के इंतजार में
प्रदेश में 25 मार्च 2022 को योगी सरकार 2.0 का गठन हुआ था। उसके बाद से कार्यकर्ता राजनीतिक नियुक्तियों का इंतजार कर रहे हैं। करीब ढाई साल बाद अब पिछड़ा वर्ग आयोग बनाया गया है। अभी भी कई निगम, आयोग और बोर्ड में करीब 11 हजार से ज्यादा राजनीतिक नियुक्तियां अटकी हुई हैं। यह मामला दिल्ली हाईकमान तक भी पहुंचा था। अफसर संभाल रहे हैं कुर्सी
प्रदेश सरकार के विभिन्न आयोग, बोर्ड और निगम में अध्यक्ष का कार्यभार IAS अफसर संभाल रहे हैं। इनमें अधिकांश संबंधित विभाग के प्रमुख सचिव या अपर मुख्य सचिव हैं। जानकार मानते हैं कि पिछड़े और दलित वर्ग के लोग, सरकारी विभाग में समस्या का समाधान नहीं होने पर आयोग में जाते हैं। वहां भी वही अफसर अध्यक्ष के रूप में बैठे मिलते हैं, तो उनकी सुनवाई नहीं हो पाती है। 20 हजार पदों पर हो सकता है समायोजन
सरकार में करीब 20 हजार से अधिक पदों पर भाजपा और RSS से जुड़े लोगों का समायोजन किया जा सकता है। इनमें से अभी तक जिला न्यायालय से लेकर उच्च न्यायालय तक सरकार की ओर से पैरवी के लिए करीब साढ़े तीन हजार वकील नियुक्त भी किए जा चुके हैं। तीन हजार से अधिक कार्यकर्ताओं का सहकारी संस्थाओं में समायोजन किया गया है। लेकिन, अभी भी जिले से लेकर प्रदेश स्तर तक की बड़ी संस्थाओं में पद खाली हैं। यह भी पढ़ें:- ED के फर्जी अफसरों ने कारोबारी के घर मारा छापा:मथुरा में सर्च वारंट दिखाया, कॉलर और बाल पकड़कर खींचा, कहा- तस्करी करते हो यूपी के मथुरा में प्रवर्तन निदेशालय यानी ED की एक फर्जी टीम शुक्रवार को सर्राफा कारोबारी के घर छापा मारने पहुंच गई। टीम में तीन पुरुष और एक महिला शामिल थी। एक व्यक्ति ने दरोगा की वर्दी पहन रखी थी। टीम की अगुआई कर रहे व्यक्ति ने पहले कारोबारी से हाथ मिलाया। फिर सर्च वारंट दिखाया और सभी अपने काम में लग गए। पढ़ें पूरी खबर…

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