यूपी वालों पर ड्रग्स का नशा चढ़ने लगा है। इसमें मारफीन, स्मैक, चरस और अफीम तो है हीं, पहली बार मेफेड्रॉन ड्रग्स यानी MDMA की बरामदगी हुई है, जिसने चिंता और बढ़ा दी है। पूर्वी यूपी में पान-मसाला की आड़ में MDMA बेचा जा रहा है। हर साल अरबों रुपए का काला कारोबार सिर्फ यूपी में हो रहा है। इसे रोकने के लिए नारकोटिक्स कंट्राेल ब्यूरो है। यूपी में अलग से एक एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स (ANTF) भी बनाया गया है, जिसने इस साल 100 करोड़ से अधिक के नशीले पदार्थ बरामद किए हैं। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने भी मई तक 127 करोड़ का नशा पकड़ा है। लेकिन, ओडिशा-आंध्र प्रदेश से यूपी में गांजे की खेप आ रही है। नेपाल से बहराइच, बलरामपुर और महाराजगंज के रास्ते हेरोइन, चरस की खेप तस्करी कर लाई जा रही है। जानिए यूपी के किन शहरों में सबसे ज्यादा नशे का कारोबार चल रहा है? किस जिले में सबसे ज्यादा खपत है? यह ड्रग्स कहां से आ रहा है और एएनटीएफ और नारकोटिक्स कंट्राेल ब्यूरो ने क्या कार्रवाई की है? इस साल अप्रैल महीने में 26 किलो से ज्यादा मिथाइल एनेडियोक्सी मेथैम्फेटामाइन (MDMA) बरामद किया गया था। कीमत करीब 52 करोड़ आंकी गई। ये बरामदगी चार विदेशी नागरिकों से ग्रेटर नोएडा में हुई थी। MDMA को सबसे घातक नशा माना जाता है। ज्यादा डोज से मौत तक हो सकती है। अफीम रिफाइन कर स्मैक बनाई जाती है। स्मैक का एडवांस वर्जन मॉर्फीन होती है। मॉर्फीन में केमिकल मिलाकर इसे मेफेड्रॉन ड्रग्स यानी MDMA बनाया जाता है। एमडीएमए की कीमत सबसे अधिक होती है। 1 ग्राम की कीमत 10 हजार से 15 हजार रुपए तक होती है। ये महंगा नशा है, इसलिए सबसे ज्यादा रईसजादे इसमें फंस रहे हैं। लखनऊ, कानपुर, नोएडा, गाजियाबाद और मेरठ जैसे बड़े शहरों में शहरों में इसका इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है। मॉर्फीन का इस्तेमाल लखनऊ, नोएडा, गाजियाबाद में ज्यादा हो रहा है। बाकी शहरों में चरस और अफीम की खपत ज्यादा है। इसमें बरेली, शाहजहांपुर, गोरखपुर, प्रयागराज, वाराणसी हैं। गांजा सबसे ज्यादा बुंदेलखंड में खप रहा है। इसमें आगरा तक की बेल्ट शामिल है। तंबाकू-पान मसाले की आड़ में ड्रग्स बेचा जा रहा
पुलिस महकमे में ड्रग्स के बारे में जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने बताया कि पूर्वांचल के जिलों वाराणसी, गोरखपुर, जौनपुर, भदोही, मिर्जापुर जैसे जिलों में तंबाकू और पान मसाले की आड़ में ड्रग्स बेचा जा रहा है। इससे उस क्षेत्र में न सिर्फ खपत बढ़ी है, बल्कि लोग नशे के आदी होते जा रहे हैं। सभी तरह की ड्रग्स की सबसे अधिक खपत एनसीआर के शहरों में है। इसमें नोएडा और गाजियाबाद के अलावा मेरठ और सहारनपुर मुख्य अड्डे बन रहे हैं। अफीम, स्मैक और मॉर्फीन बरेली में भी बड़ी मात्रा में पकड़ी जा रही है। इसके अलावा आगरा यूनिट और बाराबंकी एएनटीएफ थाने की फाेर्स ने अच्छी खासी बरामदगी की है। आगरा, झांसी और बुंदेलखंड इलाके में गांजे की खपत ज्यादा हो रही है। सबसे बड़ी 11 क्विंटल गांजे की बरामदगी भी आगरा यूनिट में हुई है। मुम्बई से पकड़ी थी सबसे बड़ी खेप
लगभग पांच महीने पहले यूपी एएनटीएफ के गाजीपुर थाने की पुलिस ने तीन किलो से ज्यादा हेरोइन मुंबई से बरामद की थी। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत तीस करोड़ रुपए आंकी गई थी। दरअसल, गाजीपुर एएनटीएफ की टीम ने मार्च में जौनपुर के प्रेम चंद तिवारी नाम के व्यक्ति को गिरफ्तार किया था। जिसके पास से 440 ग्राम नशीला पदार्थ बरामद हुआ। जांच में पता चला था कि पूर्वी उत्तर प्रदेश में गुटखे और पान मसाले में बड़े पैमाने पर इसका इस्तेमाल कर लोगों को नशे का आदी बनाया जा रहा है। पुलिस ने जब गहराई से छानबीन की तो पता चला कि प्रेमचंद तिवारी का बेटा राजेश तिवारी मुंबई में यही काम करता है। गाजीपुर एएनटीएफ ने मुंबई पुलिस की मदद से न सिर्फ मुंबई में राजेश को पकड़ा, बल्कि सबसे बड़ी रिकवरी भी की। मुख्य सप्लायर तक नहीं पहुंच पाती पुलिस
पुलिस ज्यादातर मामलों में करियर तक ही पहुंच पाती है। एएनटीएफ ने पौने दो साल में 470 लोगों को गिरफ्तार किया है। इसमें से बड़ी संख्या करियर की ही है, जो मादक पदार्थों के ट्रांसपोर्ट का काम करते हैं। इसमें ज्यादातर युवाओं को ही इस्तेमाल किया जाता है, जिनका एज ग्रुप 20 से 30 साल है। केवल 34 लोग हैं, जिनके खिलाफ हिस्ट्रीशीट खोली गई है। इन जिलों में अफीम का आधिकारिक कारोबार
यूपी के नौ जिलों गाजीपुर, लखनऊ, बाराबंकी, बदायूं, शाहजहांपुर, बरेली, पीलीभीत, सहारनपुर और बिजनौर में अफीम का आधिकारिक कारोबार होता है। इसके अलावा अफीम की एक फैक्ट्री पूर्वी उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में है। देश में अफीम की दो ही फैक्ट्री हैं। गाजीपुर के अलावा मध्यप्रदेश के नीमच में अफीम की फैक्ट्री है। आधिकारिक कारोबार का मतलब सरकार इसकी पैदावार और बेचने के लिए लाइसेंस जारी करती है। इस साल 100 करोड़ से ज्यादा का ड्रग्स पकड़ा गया
एएनटीएफ ने इस साल 15 सितंबर तक करीब 100 करोड़ रुपए के मादक पदार्थ बरामद किए हैं। इस दौरान 92 केस दर्ज हुए और 191 लोगों को गिरफ्तार किया गया। यानी हर महीने 10 के करीब केस सामने आ रहे हैं, 20 से ज्यादा लोगों की गिरफ्तारी की जा रही है। वहीं, नारकोटिक्स कंट्राेल ब्यूरो ने मई तक 3723 केस दर्ज किए, 4585 गिरफ्तारी की है। 2022 में बना एएनटीएफ
यूपी में एएनटीएफ का गठन दिसंबर 2022 में हुआ था। शुरुआत में गाजीपुर और बाराबंकी में एएनटीएफ थाना बनाया गया। बाद में चार नए थाने बनाए गए, जिसमें गोरखपुर, झांसी, मेरठ और सहारनपुर शामिल है। इसके अलावा सभी जोनल हेड क्वार्टर पर एक-एक यूनिट है। इसमें लखनऊ, कानपुर, प्रयागराज, वाराणसी, गोरखपुर, मेरठ, आगरा और बरेली शामिल है। एएनटीएफ के गठन के बाद से अब तक 185 मामले दर्ज किए गए हैं। 470 लोगों की गिरफ्तारी हुई है। कुल 20 हजार किलो मादक पदार्थ बरामद किए गए हैं। 175 करोड़ रुपए के मादक पदार्थ पकड़े गए हैं। ये भी पढ़ें… नेपाली लड़कियां कपड़े में चरस छिपाकर तस्करी कर रहीं:5 हजार में 5 करोड़ की चरस को बॉर्डर पार करके लाती हैं यूपी यूपी के सिद्धार्थनगर जिले का भारत-नेपाल का बढ़नी बॉर्डर। दोपहर के वक्त सुरक्षाकर्मी एक 35 साल की युवती को रोकते हैं। तलाशी ली जाती है, तो युवती कपड़ों के अंदर अपने पैर से बंधे एक के बाद एक 10 पैकेट निकालकर टेबल पर रख देती है। हर पैकेट का वजन 1 किलो होता है। जांच की जाती है तो सभी पैकेटों में चरस होती है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में 10 किलो चरस की कीमत 5 करोड़ रुपए है। युवती बताती है, 10 पैकेट बॉर्डर पार कराने के लिए उसे 5 हजार रुपए मिले हैं। पढ़ें पूरी खबर…