अगर आप किसी रेस्टोरेंट या होटल में खाना खाने जाएं और डिश का नाम सुनकर ही चेहरे पर मुस्कान आ जाए तो मूड बन जाता है। ऐसा ही कुछ मिलता है लखनऊ के चेतराम रेस्टोरेंट में। यहां पिंडी छोले और चूर-चूर नान या भटूरे के साथ कस्टमर्स को चुलबुली लस्सी, मस्त मट्ठा और छबीला रायता सर्व किया जाता है। रेस्टोरेंट ओनर का कहना है कि डिशेज के ऐसे नाम इसलिए रखे गए हैं ताकि खाने वाले चेहरों पर मुस्कान भी अपने साथ ले जाएं। आज की जायका सीरीज में हम आपको लिए चलते हैं आराम बाग के लालबाग स्थित चेतराम रेस्टोरेंट। यहां के शॉप ऑनर बताते हैं कि हमारे यहां पिंडी छोले के साथ भटूरे और चूर-चूर नान सर्व की जाती है, जिसे यहां आने वाले लोग काफी पसंद करते हैं। वहीं हमारे यहां पहली बार आने वाले लोग जब लस्सी, मट्ठे या रायते का नाम सुनते हैं तो मुस्कुरा देते हैं। डिश का नाम सुनते ही चेहरे पर हंसी
चेतराम रेस्टोरेंट के ओनर पुनीत कुमार अग्रवाल (चेतन अग्रवाल) कहते हैं कि लस्सी तो पूरे शहर में मिलती है। लेकिन चुलबुली बोलते ही सामने वाले का मूड बदल जाता है। ऐसा ही कुछ रायते और मट्ठे के साथ भी है। वहीं, रायते की खासियत के बारे में उन्होंने बताया कि हमारे एक चम्मच रायता चखते ही उसका पूरा स्वाद आपको मिलता है। हम इसे खास तौर पर नमक, जीरा, काला नमक और पुदीना डालकर बनाते हैं। हमारे मट्ठे का भी कुछ ऐसा ही मामला है। मट्ठा वह जो मस्त करे दे, इसलिए खाने के साथ मिलने वाली इन चीजों का नाम हमने इस तरह से रखा है। 2022 में शुरू किया रेस्टोरेंट
पुनीत कहते हैं कि रेस्टोरेंट की शुरुआत 5 फरवरी, 2022 को हुई। रेस्टोरेंट में हमें रेवेन्यू चैलेंज नहीं था, हमारे लिए यहां पर असल चैलेंज था कि लोग खुश होकर वापस जाएं। वहीं रेस्टोरेंट के नाम को लेकर उन्होंने कहा कि यह यूनिक आइडिया नहीं है। यह मैंने खुद ही अपने नाम चेतन के आगे चेत राम लिखकर किया। आम तौर पर ट्रेडिशनल तरीके से जैसे भारत में और भी लोगों के बड़े-बड़े लोगों के नाम में राम लगा देते हैं ऐसे ही हमने भी रेस्टोरेंट का नाम चेतराम कर दिया। पिंडी छोले यानी रावलपिंडी के छोले
पुनीत बताते हैं कि हम यहां पर पिंडी छोले सर्व करते हैं। आम तौर पर यह डिश पाकिस्तान के रावलपिंडी की है। जहां पर इसे बनाने का तरीका इजाद किया गया। यह भी कह सकते हैं कि आज भी बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जो कि नाश्ते में छोले-भटूरे पसंद करते हैं। हम इन छोले में प्याज-लहसुन का प्रयोग बिल्कुल भी नहीं करते। इसमें छोले का खुद एक जायका होता है जो खाने वाले के मुंह में घुल जाता है। इसमें छोले को उबालकर मसालों के मिश्रण से बनाया जाता है। हालांकि, इसमें हम अदरक के साथ ही थोड़ा अनारदाना भी डालते हैं। ऐसे बनती है चूर-चूर नान
चूर-चूर नान बनाने के लिए सफेद आटा, बेकिंग पाउडर और नमक को अच्छी तरह से मिलाएं और पानी के साथ दूध डालें। नम आटा तैयार होने तक अच्छी तरह मिलाएं। फिर ऊपर से घी डालें, आटे को बार-बार दबाएं और इसे एक गीले सूती कपड़े से ढक दें। इसे लगभग 30 मिनट तक छोड़ दें। दूसरी ओर पनीर, मसाले और बीज सहित सभी सामग्री एक कटोरे में घी के साथ मिलाएं। अब आटे को हाथों से फैलाएं और उसमें घी लगाएं। इसे छोटे-छोटे गोलों में काट लें और आराम से दबाते हुए रोटी का आकार दें। इन्हें 10 मिनट के लिए रख दें। अब स्टफिंग को आटे के गोल टुकड़ों में डालें। इसे अच्छी तरह से मोड़ें, इसे सूखे आटे पर रोलिंग पिन की मदद से फैलाएं। अब इसे तंदूर में सेकें। धीमी आंच पर इसे पकाने से यह कुरकुरा हो जाता है। पिंडी छोले का इतिहास जानिए…
ऐसा बताया जाता है कि फिलहाल पश्चिमी पंजाब जो कि अब पाकिस्तान में है। वहां से जब शरणार्थी दिल्ली आए, तो उनके साथ छोले की एक वैराइटी भी देश में आई। जिसे फूले हुए भटूरे के साथ परोसा जाता है, इसे पिंडी चना कहा जाता था। इससे बनने वाले छोले पिंडी छोले कहलाते थे। इस रैसिपी में पाकिस्तान के रावलपिंडी का नाम छिपा है। वहां पर इसे ट्रेडिशनल तरीके से बताया जाता है, इसमें काबुली चने को आंवले के साथ उबाला जाता है। फिर अनारदाना, जीरा, अदरक और साथ ही कई तरह के गरम मसाले मिलाया जाता है। खास बात यह कि इसमें किसी तरह की ग्रेवी नहीं होती है। लस्सी को रूह अफजा के साथ किया जाता है सर्व
पुनीत अग्रवाल बताते हैं हमारे यहां लस्सी तो सामान्य लस्सी की तरह है। इसके टेस्ट को बढ़ाने के लिए इसमें रबड़ी, ड्राइ फ्रूट और रूह अफजाह डालते हैं, जिससे इसमें एक अलग फ्लेवर आता है। वहीं रबडी़ थोड़ी ड्राई फॉर्म में डालते हैं. जो कि मुंह में अलग ही स्वाद देती है।