बलिया में ट्रेन पलटाने की साजिश हुई। बकुलहा-मांझी रेलवे स्टेशन के बीच पटरी पर पत्थर रख दिया गया। डाउन लाइन से आ रही लखनऊ-छपरा एक्सप्रेस के लोको पायलट की नजर पड़ी, तो उसने इमरजेंसी ब्रेक लगाकर ट्रेन रोकी। इसके बावजूद पटरी पर रखा पत्थर ट्रेन के कैटल गार्ड से टकरा गया। हालांकि, ट्रेन को कोई नुकसान नहीं पहुंचा। बाद में लोको पायलट ने सेफ्टी चेक करने के बाद ट्रेन को रवाना कर दिया। पहले 2 तस्वीरें… बलिया-छपरा रेल खंड के बीच लखनऊ-छपरा डाउन एक्सप्रेस जा रही थी। शनिवार सुबह करीब 10.25 बजे जैसे ही ट्रेन बकुल्हा रेलवे स्टेशन से आगे बढ़ी, मांझी पुल (यह यूपी-बिहार को जोड़ता है) से कुछ पहले ड्राइवर को पटरी के बीच पत्थर रखा दिखा। इस पर लोको पायलट ने ट्रेन का इमरजेंसी ब्रेक लगा दिया। डीआरएम के पीआरओ अशोक कुमार ने बताया कि लोको पायलट ने पटरी पर रखे पत्थर को देखकर इमरजेंसी ब्रेक लगाया। इंजन के कैटल गार्ड से पत्थर टकरा कर हट गया। इसके बाद सेफ्टी सुनिश्चित कर लोको पायलट द्वारा ट्रेन को रवाना किया गया। शाम को पहुंची इंटेलिजेंस और डॉग स्क्वायड की टीम जांच में जुटी है। 16 अगस्त को कानपुर में हुआ था ट्रेन हादसा 16 अगस्त की देर रात वाराणसी से अहमदाबाद के लिए जा रही साबरमती एक्सप्रेस गोविंदपुरी स्टेशन से आगे झांसी रेलवे लाइन से होकर जा रही थी। रात करीब ढाई बजे गुजैनी के पास अचानक इंजन से लोहे का टुकड़ा (पटरी का टुकड़ा) टकरा गया था। इसके बाद पूरे 22 के 22 डिब्बे बेपटरी हो गए थे। मौके पर पहुंचे अधिकारियों ने सभी यात्रियों को उनको गंतव्य स्थान पर अन्य ट्रेनों के जरिए पहुंचाया था। हादसे में जान-माल का नुकसान नहीं हुआ था, लेकिन पटरियों और गाटर की स्थिति को देखते हुए यह अनुमान लगाया गया कि हादसा कितना भयावह था। 24 अगस्त को फर्रुखाबाद में ट्रेन को पलटने की साजिश हुई थी फर्रुखाबाद के अमलइया गांव में 24 अगस्त को ट्रेन पलटने की साजिश की गई थी। यहां ट्रैक पर लकड़ी का टुकड़ा (बोटा) रख दिया गया था। ट्रैक से जैसे ही फर्रुखाबाद एक्सप्रेस गुजरी, लकड़ी का टुकड़ा इंजन में फंस गया। पायलट ने इमरजेंसी ब्रेक लगाकर ट्रेन रोकी थी। इससे हादसा होने से बच गया था। लकड़ी का टुकड़ा 137 सेंटीमीटर लंबा था। इसके एक सिरे की गोलाई 65 सेंटीमीटर और दूसरे की 75 सेंटीमीटर थी। वजन 35 किलोग्राम था। ट्रेन कासगंज से फर्रुखाबाद जा रही थी। घटना से 2-3 घंटे पहले यहां से दो ट्रेनें गुजरी थीं। 8 सितंबर को कालिंदी एक्सप्रेस ट्रैक पर सिलेंडर से टकरा गई थी, पेट्रोल-बारूद मिला था 8 सितंबर को कानपुर में ट्रेन को डिरेल करने की कोशिश की गई थी। अनवर-कासगंज रूट पर कालिंदी एक्सप्रेस ट्रैक पर रखे सिलेंडर से टकरा गई थी। सिलेंडर फटा नहीं और ट्रेन से टकराकर ट्रैक के किनारे गिर गया था। घटना के बाद RPF, GRP और रेलवे के सीनियर अफसरों ने जांच की थी। सोमवार को भी IB, STF, ATS और NIA ने मौके पर पहुंचकर जांच की थी। ट्रैक से सिलेंडर के अलावा बोतल में पेट्रोल, माचिस, एक मिठाई का डिब्बा और झोला मिला था। झोले में बारूद जैसा पदार्थ पाया गया था। RPF ने कहा था कि आतंकी साजिश से इनकार नहीं किया जा सकता। वहीं, भाजपा ने भी आतंकी या राजनीतिक साजिश की आशंका जताई थी। 18 सितंबर को रामपुर में नैनी दून एक्सप्रेस को बेपटरी करने की साजिश हुई थी रामपुर में पटरी पर लोहे का खंभा रखकर 18 सितंबर को नैनी दून एक्सप्रेस (12091) को बेपटरी करने की कोशिश की गई थी। हालांकि लोको पायलट की सतर्कता से हादसा होने से बच गया था। लोको पायलट ने समय रहते इमरजेंसी ब्रेक लगाकर ट्रेन रोक दी थी। घटना रात करीब 11 बजे की है। यह ट्रेन उत्तराखंड के काठगोदाम से देहरादून के बीच चलती है।
सूचना मिलने पर GRP और पुलिस प्रशासन ने मौके पर पहुंचकर खंभे को ट्रैक से हटवाया था। इस दौरान ट्रेन करीब 20 मिनट तक खड़ी रही थी। खबर अपडेट हो रही है

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