लखनऊ की सड़कों पर 3 दिन से ‘हसन नसरुल्लाह जिंदाबाद’ और ‘इजराइल मुर्दाबाद’ के नारे गूंज रहे हैं। हसन नसरुल्लाह की मौत के बाद शिया मुसलमान कैंडल मार्च निकालकर श्रद्धांजलि दे रहे हैं, साथ ही अमेरिका और इजराइल का जमकर विरोध कर रहे हैं। प्रधानमंत्री जो बिडेन और नितिन याहू के पोस्टर जला रहे हैं। लखनऊ में देर रात कैंडल मार्च निकाला गया जिसमें हजारों की तादाद में के लोग शामिल हुए। छोटे इमामबाड़े से लेकर घंटाघर, रूमी गेट से होते हुए बड़े इमामबाड़े तक विरोध प्रदर्शन किया गया। इस दौरान प्रदर्शनकारी हाथों में हसन नसरुल्लाह की तस्वीर लेकर श्रद्धांजलि दे रहे थे। प्रदर्शनकारियों के हाथ में इजराइल और अमेरिका के प्रधानमंत्री की तस्वीरें थी। नेतन्याहू और जो बाइडेन की तस्वीरों पर रेड क्रॉस बना था। उसको जलाकर लोग विरोध दर्ज करा रहे थे। हसन नसरुल्लाह को लेकर लखनऊ में हुए प्रदर्शन की तस्वीरें…। घर में बैठे हुए व्यक्ति को मार देना शक्ति नहीं
प्रदर्शन में शामिल शिया धर्म गुरु मौलाना यासूब अब्बास ने हसन नसरुल्लाह की मौत का विरोध किया। यासूब अब्बास ने कहा कि यह सीधे तौर पर आतंकी हमला हुआ है। हम लोग शहीद होने वालों के साथ हैं। अन्याय करने वाले लोगों का कभी हमने साथ नहीं दिया। हसन नसरुल्लाह ने कमजोर और पीड़ितों का साथ दिया है। वह आतंकवादी नहीं थे। आतंकवाद से उनका कोई संबंध नहीं था। इजराइल को अगर लड़ना था तो सामने से आकर युद्ध करता। घर में बैठे हुए व्यक्ति को मार देना शक्ति का प्रतीक नहीं है। भारत सरकार से मांग करते है कि इजराइल से संबंध खत्म करे। ईरान से संबंध बढ़ाएं उससे हमारे पुराने रिश्ते हैं। 100 किलोमीटर का सफर तय करके कैंडल मार्च में शामिल हुए
कैंडल मार्च में शामिल हुए जुनैद अंसारी ने बताया कि वह सीतापुर से आए हैं। लखनऊ से उनका घर 100 किलोमीटर दूर है। हसन नसरुल्लाह को श्रद्धांजलि देने के लिए इजराइल का विरोध जताने के लिए लंबा सफर तय करके लखनऊ पहुंचे हैं। वो कहते हैं कि इजराइल षड्यंत्र के तहत दुनिया को बांटना चाह रहा है। शिया और सुन्नी को लड़ाने का प्रयास कर रहा है। हम सब लोग एक हैं। मिलकर इस लड़ाई को लड़ेंगे। हम सुन्नी समुदाय से संबंध रखते हैं। शिया भाइयों के प्रदर्शन में शामिल होकर उनका साथ देने आए हैं। हसन रसरुल्लाह की मौत बड़ी क्षति है। वो हमारे आइडियल थे। हमेशा रहेंगे। ‘लगातार जारी रहेगा शोक का ससिलसिला’
प्रदर्शन में शामिल अजीम हुसैन ने बताया कि विगत 3 दिनों से लगातार शोक मना रहे हैं। हमारे दिलों में एक पीड़ा है जिस का हम गम मना रहे हैं। नसरुल्लाह फिलिस्तीन और इंसानियत की मदद करने वाले व्यक्ति रहे हैं।फिलिस्तीन में मासूम बच्चों और महिलाओं के ऊपर हमला किया जा रहा था। जिसकी वो लड़ाई लड़ रहे थे। यह दुख कभी खत्म होने वाला नहीं है। हसन नसरुल्लाह इमाम हुसैन के मानने वाले थे। इमाम हुसैन ने हमेशा इंसानियत और मानवता का संदेश दिया। इमाम हुसैन ने हमें शिक्षा दिया कि अत्याचार करने वाले के साथ ना खड़े हो। हमेशा कमजोर का साथ दिया जाए। हम लोग लगातार नसरुल्लाह की मौत का दुख मना रहे हैं। आगे भी मनाते रहेंगे। हसन नसरुल्लाह के संबंध में पढ़ने की आवश्यकता है
प्रदर्शन में शामिल रजा अब्बास ने कहा कि आज लोग नहीं जानते कि हसन नसरुल्लाह कौन थे। लोगों को उनका इतिहास जानना चाहिए। हम लोगों से कहना चाहते है कि पहले पढ़ो, जानो फिर किसी के बारे में बोलो। एक समय था कि भारत हसन नसरुल्लाह की तारीफ करता था। हसन नसरुल्लाह ने हजरत जैनब के दरगाह की सुरक्षा किया। इजराइल ने हसन नसरुल्लाह की हत्या करके हमारे ऊपर अत्याचार किया है। हम लोग कभी इस घटना को भूल नहीं पाएंगे। हसन नसरुल्लाह ने जो काम किया है लोगों की जिंदगी बचाने का वो बेहद सराहनीय है। हम लोग हमेशा नसरुल्लाह को याद करते रहेंगे। ‘नसरुल्लाह ने 45 नर्सों की बचाई थी जान’
प्रदर्शन में शामिल होने आई इरम ने कहा कि हसन नसरुल्लाह की मौत से पूरा शिया समुदाय दुखी है। उनकी मौत का गम दुनिया में जहां भी इंसानियत है वहां मनाया जा रहा है। उनके तमाम महान कामों में एक काम यह भी है कि जब भारत की 45 नर्सें सीरिया में फंसी थी तो उनको सुरक्षित बाहर निकाल कर लाए थे। उस समय हसन नसरुल्लाह ने किसी की जाति और धर्म देखकर मदद नहीं किया था। पूरा भारत उनकी प्रशंसा कर रहा था। आज हमारे घरों के बच्चे बुजुर्ग महिलाएं सभी लोग शोक मना रहे हैं। हमने अपने घरों पर काला झंडा लगाया है। इमामबाड़ों में काला झंडा लगाकर मजलिस पढ़ रहे हैं। विरोध प्रदर्शन से पूरी दुनिया को बता रहे हैं कि हसन नसरुल्ला को इजराइल ने धोखे से मारा है।