लखनऊ में विजिलेंस ने बड़ी कार्रवाई की है। आय से अधिक संपत्ति मामले में जल निगम के अधिकारियों के ठिकानों पर छापेमारी की। इंदिरानगर, गोमती नगर और विकास नगर में एक साथ विजिलेंस की टीम पहुंची और घर के आस-पास के एरिया को सील कर दिया। 8 घंटे तक अधिकारी फाइल खंगालते रहे। सर्च ऑपरेशन के दौरान आरोपी अधिकारियों के ठिकानों से करोड़ों रुपए की अघोषित संपत्ति मे निवेश के दस्तावेज मिले हैं। मकान, खेती की जमीन, फ्लैट, गाड़ियों के कागज भी बरामद हुए हैं। म्यूचुअल फंड, बीमा पॉलिसी, पोस्ट ऑफिस और कई कंपनियों में इन्वेस्टमेंट के डॉक्यूमेंट भी मिले हैं। सर्च ऑपरेशन के दौरान भारी मात्रा में ज्वेलरी भी बरामद हुई है। जिन अफसरों पर एक्शन हुआ है। उनके नाम हैं- जल निगम के सीएनडीएस विभाग के प्रोजेक्ट मैनेजर राघवेंद्र गुप्ता, चीफ एग्जीक्यूटिव इंजीनियर सत्यवीर सिंह, एग्जीक्यूटिव इंजीनियर अजय रस्तोगी, प्रोजेक्ट मैनेजर कमल कुमार खरबंदा और असिस्टेंट इंजीनियर कृष्ण कुमार पटेल। सूत्रों के मुताबिक, इन अफसरों पर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप है। 2019-2020 में शुरू हुई थी जांच
विजिलेंस विभाग ने 2019-2020 में शासन के आदेश पर सीएंडडीएस इकाई के अधिकारियों के खिलाफ जांच शुरू की थी। जांच के दौरान इन अधिकारियों पर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का मामला पाया गया। इसके बाद से अब तक 11 मामलों में मुकदमे दर्ज किए जा चुके हैं, जिनकी जांच विजिलेंस के अलग-अलग सेक्टरों में चल रही है। 12 जून 2020 को जांच के आदेश हुए थे जारी
शासन ने भ्रष्टाचार की शिकायतों पर 12 जून 2020 को विजिलेंस की टीम को जांच का आदेश दिया था। जल निगम की निर्माण इकाई सीएंडडीएस के तत्कालीन परियोजना प्रबंधक कमलेश कुमार केसरी आय से अधिक संपत्ति के दोषी पाए गए थे। जांच के लिए निर्धारित अवधि के दौरान आय और खर्च की पड़ताल भी की गई थी। तब सामने आया था कि निर्धारित अवधि में 58.60 लाख रुपए की आय के मुकाबले कमलेश कुमार ने भरण-पोषण और संपत्ति जुटाने में 1.78 करोड़ रुपए से अधिक रकम खर्च की। कुल आय से 1.19 करोड़ रुपए अधिक खर्च किए जाने को लेकर वह जांच एजेंसी को संतोषजनक उत्तर भी नहीं दे सके थे। कुल आय 29.56 ला, खर्च 10 लाख
तत्कालीन सहायक अभियंता (परियोजना प्रबंधक) सीएंडडीएस कृष्ण कुमार पटेल आय से अधिक संपत्ति के दोषी हैं। इनके खिलाफ हुई विजिलेंस की खुली जांच में निर्धारित अवधि में कुल आय 29.56 लाख रुपए की तुलना में भरण-पोषण और संपत्तियों में 39.56 लाख रुपए खर्च किए गए। उन्होंने आय से लगभग 10 लाख रुपए से अधिक खर्च किए और उसका काेई संतोषजनक उत्तर नहीं दे सके। अजय रस्तोगी सर्विस से हो चुके हैं रिटायर
जल निगम के मानव संसाधन विकास प्रकोष्ठ के तत्कालीन अधीक्षण अभियंता अजय रस्तोगी (अब सेवानिवृत्त) के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज है। प्रयागराज के किदवई नगर निवासी पूर्व अधीक्षण अभियंता की निर्धारित अवधि में कुल आय 65.90 लाख रुपए थी। जबकि उन्होंने भरण-पोषण और संपत्तियां जुटाने में 1.14 करोड़ रुपए खर्च किए। कुल आय की तुलना में उन्होंने 48.27 लाख रुपए अधिक खर्च किए, जिसका कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दे सके।