वाराणसी में वर्दी की आड़ में लुटेरों का गैंग चलाने वाले दरोगा सूर्य प्रकाश पांडे को पुलिस की लचर पैरवी से जमानत मिल गई। हाईकोर्ट के आदेश पर प्राइवेट क्राइम ब्रांच चलाने वाले दरोगा को रिहा हो गया है। अभियोजन की लचर पैरवी और पुलिस के अधूरे साक्ष्य उसकी जमानत नहीं रोक सके। लूटकांड में आरोपी दरोगा के खिलाफ बर्खास्तगी समेत कठोर कार्रवाई का अधिकारियों का दावा भी हवा हवाई हो गया। 42.50 लाख की लूट साबित होने के बाद जांच करने वालों की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। वहीं आला अधिकारी इस जमानत से बेखबर थे, जब पता चला तो अधीनस्थों पर तेवर दिखाए। समय से उच्चाधिकारियों को अवगत नहीं कराने पर पुलिस आयुक्त ने नाराजगी जताई है। तत्कालीन एसीपी कोतवाली और रामनगर थाना प्रभारी के खिलाफ विभागीय जांच बैठाई गई है। पुलिस आयुक्त ने फिलहाल ACP कोतवाली अमित श्रीवास्तव को हटाकर एसीपी सुरक्षा बना दिया है और इंस्पेक्टर रामनगर अनिल कुमार शर्मा को लाइन हाजिर कर दिया है। सबसे पहले बताते हैं पूरी कहानी वाराणसी में वर्दी की आड़ में एक दरोगा सूर्य प्रकाश पांडे लुटेरों का गैंग चला रहा था। दरोगा ने 4 शातिर युवकों के साथ नकली ‘स्पेशल क्राइम ब्रांच’ बनाई और हाईवे पर लूट करने लगा। दोस्त रेकी करते थे फिर दरोगा साथियों के साथ छापेमारी करता। इसके बाद जब्त माल को आपस में बांट लेते थे। उसने 22 जून को जीटी रोड पर ज्वेलरी कारोबारी के कर्मचारियों से 93 लाख रुपए पकड़े थे। हवाला का पैसा बताकर 42 लाख रुपए रख लिए और 51 लाख लौटा दिए थे। कारोबारी ने केस दर्ज कराया, तब पुलिस ने जांच शुरू की। वारदात के वक्त दरोगा का नंबर घटनास्थल पर मिला। यह पता चलने पर कमिश्नर मोहित अग्रवाल ने सख्त कार्रवाई करने का आदेश दिया। इसके बाद पुलिस ने दरोगा और उसके 2 साथियों को गिरफ्तार किया तो दरोगा से अब तक 8 लाख रुपए बरामद हो चुके हैं। अभी दरोगा जिला जेल में निरुद्ध है। सर्राफ का रुपया लेकर कोलकाता जा रहे थे कर्मचारी 22 जून की रात नीचीबाग कूड़ाखाना गली में रहने वाले ज्वेलरी कारोबारी जयपाल ने अपने 2 कर्मचारियों अविनाश और धनंजय को 93 लाख रुपए का देकर बस में बैठाया। दोनों वाराणसी से कोलकाता जा रहे थे। इसके बाद जयपाल घर आ गए। थोड़ी देर बाद अ‌विनाश ने कारोबारी को फोन किया। कहा- पुलिस ने कैश पकड़ लिया है। एक व्यक्ति पुलिस की वर्दी में और 2 सादे कपड़े में थे। उन्होंने खुद को चंदौली के सैयदराजा थाने की क्राइम टीम का हिस्सा बताया और हमें बस से नीचे उतार लिया। इसके बाद बिना नंबर प्लेट की कार में बैठाया। हमारे मोबाइल बंद करा दिए। हम दोनों से पूछताछ की। डरा-धमका कर 93 लाख में से 42 लाख रुपए ले लिए और फरार हो गए। हमने उन्हें बताया कि लीगल पैसा है, उन्हें डॉक्यूमेंट्स भी दिखाए। लेकिन उन्होंने एक न सुनी और पैसे लेकर चले गए। कोर्ट में साथियों संग खिलखिलाता रहा था दरोगा गिरफ्तारी के बाद जब पुलिस ने दरोगा को गिरफ्तारी के बाद सीधे ACJM कोर्ट में पेश किया गया था तो पेशी के दौरान दरोगा हंसता न जर आया था। हालांकि जज ने लूट और डकैती के आरोप में जमानत याचिका को खारिज कर दिया था लेकिन शायद उसे यकीन था कि पुलिस की लचर जांच जमानत दिला ही देगी। कोर्ट रूम से बाहर निकलने के बाद दरोगा और उसके सहयोगी पुलिसकर्मी वकीलों के साथ हंसी मजाक करते नजर आए। उनका वीडियो सामने आने के बाद पुलिस की जमकर किरकिरी हुई थी लेकिन शायद पुलिस का एक भी कागज दरोगा की जमानत नहीं रोक सका और वहीं हुआ जो दरोगा की अपेक्षा थी। दरोगा समेत गिरफ्तार तीन आरोपियों से मिली थी रकम 42 लाख की लूट में पुलिस ने 3 लोगों को गिरफ्तार किया था, जिनसे ज्वेलरी कारोबारी से लूट के 8 लाख 5 हजार रुपए मिले थे। आरोपियों से 2 पिस्टल और कारतूस भी बरामद किया गया था। विकास मिश्रा के पास से लूट के 5 लाख 70 हजार रुपए, एक पिस्टल 32 बोर और कारतूस मिला। दरोगा सूर्य प्रकाश पांडेय के साथ अजय गुप्ता, नीलेश यादव, मुकेश दुबे उर्फ हनी और योगेश पाठक उर्फ सोनू पाठक शामिल थे।

By

Subscribe for notification