वाराणसी में शिव और गणेश मंदिरों से अब साईं बाबा की मूर्तियां हटाई जा रही हैं। इन मूर्तियों को गंगा में विसर्जित किया, बाहर रखा या साईं बाबा के मंदिरों में पहुंचाया जा रहा है। काशी में सनातन रक्षक दल ने मंगलवार दोपहर तक 14 मंदिरों से मूर्तियों को हटाया है। अभी 100 और मंदिरों की लिस्ट बनाई है। दल के प्रदेश अध्यक्ष का कहना है कि सनातन मंदिर में सनातन देवी-देवता होने चाहिए। अब इसका विरोध शुरू हो गया है। तीन दिन पहले शहर के सबसे प्रमुख बड़ा गणेश मंदिर से साईं बाबा की मूर्ति को हटाकर गंगा में विसर्जित किया गया। पुरुषोत्तम मंदिर से भी मूर्ति हटाई जा चुकी है। इसके अलावा कई मंदिरों में सफेद कपड़े में मूर्तियों को लपेट दिया गया है। इस अभियान का आगाज शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने किया था। अब सनातन रक्षक दल ने अभियान शुरू किया है। मूर्तियों के हटाए जाने का विरोध, पहले पढ़िए- सपा MLC बोले- आखिर कब तक मंदिर-मस्जिद पर बात होगी स्नातक MLC और सपा नेता आशुतोष सिन्हा ने कहा- बनारस आस्था का केंद्र है। आजकल नई-नई बातें सुनने को मिल रही हैं। इससे पहले लगातार पूजा होती रही है। मैं किसी धर्म या भगवान पर टिप्पणी नहीं कर रहा। समझ नहीं आ रहा कि इसकी जरूरत क्यों पड़ी। आज बनारस की मुख्य समस्या सीवर-पानी है। गंगा के प्रदूषण पर बात नहीं हो रही। विकास के नाम पर यहां 50 से ज्यादा मंदिर तोड़े गए। इस पर चर्चा नहीं हुई। आखिर कब तक ऐसे मंदिर, मस्जिद, भगवान और साईं बाबा पर बात होगी। पढ़ाई-लिखाई, बनारस की तरक्की और रोजगार पर बात होनी चाहिए। बड़ा गणेश से मूर्ति हटाई, टुकड़े गली में पड़े बड़ा गणेश मंदिर के पास रहने वाले बुजुर्गों से भास्कर ने बात की। उन्होंने कहा- आज हमने देखा साईं बाबा की मूर्ति यहां से हटा दी गई थी। अगर सनातन मंदिर में मूर्ति से आपत्ति थी तो उन्हें लगाना ही नहीं चाहिए था, अगर लगा दिया तो उन्हें सम्मान से हटाते। इस तरह गलियों में उनके टुकड़े फेंक देना उचित नहीं है। हालांकि, टुकड़े मूर्ति के नहीं, बल्कि सिंहासन से जुड़े हैं। एक और बुजुर्ग ने कहा- इस तरह मूर्तियों को लगा कर उन्हें हटा देना गलत है। रविवार को बड़ी संख्या में सनातन रक्षक दल के सदस्य लोहटिया स्थित बड़ा गणेश मंदिर पहुंचे। यह ऐतिहासिक मंदिर है, यहां रोज हजारों भक्तों की भीड़ रहती है। मंदिर परिसर में 5 फीट की साईं मूर्ति भी स्थापित थी। सनातन रक्षक दल के सदस्यों ने यहां से साईं की मूर्ति को कपड़े में लपेटकर ले गए और गंगा में विसर्जित कर दिया। पुजारी बोले- जानकारी के अभाव में पूजा होती रही
बड़ा गणेश मंदिर के महंत रम्मू गुरु ने कहा- जानकारी के अभाव में साईं की पूजा हो रही थी। शास्त्र के अनुसार, इनकी पूजा वर्जित है। जानकारी होने के बाद स्वेच्छा से प्रतिमा हटवा दी गई। अन्नपूर्णा मंदिर के महंत शंकर पुरी ने कहा- शास्त्रों में कहीं भी साईं की पूजा का वर्णन नहीं मिलता है। इसलिए अब मंदिर में स्थापित मूर्ति हटाई जा रही है। अजय शर्मा बोले- काशी में शिव परिवार ही पूजनीय
सनातन रक्षक दल के प्रदेश अध्यक्ष अजय शर्मा ने बताया- काशी में देवाधिदेव उमापति महादेव ही एकमात्र पूजनीय हैं। शहर के मंदिरों में जानकारी के अभाव में लोगों ने साईं की प्रतिमा स्थापित की। इससे भक्तों में नाराजगी है। उन्होंने मंदिरों के महंतों और सेवयतों से अनुरोध किया कि साईं की मूर्ति को ससम्मान मंदिर परिसर से हटा दें। भक्तों की भावनाओं को देखते हुए ही शहर के मंदिरों से साईं प्रतिमा को हटवाने का अभियान चलाया जा रहा है। त्रयंबकेश्वर मंदिर से पहले बड़ा गणेश मंदिर और पुरुषोत्तम सहित 14 मंदिरों से साईं की प्रतिमा हटाई जा चुकी है। जल्द ही अगस्त्यकुंडा और भूतेश्वर मंदिर से प्रतिमा हटवाई जाएगी। माता-पिता और गुरु की पूजा घर में करें अजय शर्मा ने बताया- तीन दिन से हम मूर्तियों को हटाने का अभियान चला रहे हैं। बड़ा गणेश मंदिर की मूर्ति तीन दिन पहले हटाकर गंगा में विसर्जित की गई। 2013 में यहां साईं की मूर्ति लगाई गई। अब गणेश मंदिर में उस जगह पर लक्ष्मी जी की मूर्ति लगवाएंगे। सनातन मंदिर में सनातन देवी-देवता होने चाहिए। साईं की मूर्ति स्थापित करनी है तो उनकी अलग से मंदिर बनाकर पूजा कीजिए। माता-पिता और गुरु की पूजा व्यक्तिगत होती है, घर में आप पूजा कर सकते हैं। हमें कोई आपत्ति नहीं है।

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