गोला गोकर्णनाथ में जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस बार विशेष रूप से विभिन्न मंदिरों को रंग-बिरंगी झालरों, फूलों की मालाओं और विद्युत लड़ियों से सजाया गया है। श्रीराम जानकी मंदिर, श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर, पौराणिक शिव मंदिर, ज्वाला मंदिर, कोतवाली परिसर स्थित हनुमान मंदिर सहित अन्य मंदिरों की भव्य सजावट देखने लायक है। गोला के राधाकृष्ण मंदिर में पिछले 38 वर्षों से जन्माष्टमी का आयोजन भव्य तरीके से किया जाता है। आयोजनकर्ता मनोज कुमार मिश्रा ने बताया कि इस मंदिर की स्थापना 1985 में हुई थी। उनके पिता स्व. रमेश चंद्र मिश्रा, जिन्हें क्षेत्र में फलाहारी बाबा के नाम से जाना जाता था, ने जन्माष्टमी की इस परंपरा की शुरुआत की थी। समय के साथ आयोजन की भव्यता बढ़ती गई समय के साथ इस आयोजन की भव्यता बढ़ती गई और अब यह एक प्रमुख धार्मिक उत्सव बन चुका है। मंदिर में श्रीकृष्ण की जेल में जन्म से लेकर उनके बाल्यकाल की लीलाओं, गोवर्धन पर्वत उठाने और कंस वध की झांकियां सजीव रूप में प्रस्तुत की जाती हैं। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में झांकियां कम हो गई हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि जो लोग पहले इस आयोजन में सक्रिय सहयोग देते थे, वे अब बाहर चले गए हैं। इसके बावजूद, आयोजनकर्ताओं की कोशिश रहती है कि इस पावन अवसर पर कुछ विशेष किया जाए। मंदिर के अंदर ही एक कारागार भी तैयार किया गया है, जहां से श्रीकृष्ण जन्म की लीलाएं आरंभ होती हैं। बांकेगंज क्षेत्र में रथ वाला राधाकृष्ण मंदिर की भव्य सजावट बांकेगंज क्षेत्र में राधाकृष्ण के मंदिर को इस बार रथ के आकार में सजाया गया है। यह पूरा मंदिर रथ के पहियों पर बना हुआ है, और भगवान जगन्नाथ के रूप में रथ जैसा मंदिर आसपास के जिले में कहीं और देखने को नहीं मिलता। इस मंदिर का निर्माण दयानारायण राठी और उनके सहयोगियों ने कराया था। पहले यहां एक क्रेशर भी चलता था। जन्माष्टमी पर इस मंदिर में हर साल भव्य झांकियां सजाई जाती हैं और पर्व की खास तैयारियां की जाती हैं।