कानपुर में गंगा बैराज इलाके का शंकरपुर सराय इलाका इस वक्त बढ़े हुए पानी से परेशान है। 4 दिन पहले बंधा टूट जाने से इलाके में अचानक पानी भर गया। अब बच्चों को कंधे पर बैठाकर स्कूल के लिए भेजा जा रहा। इसी इलाके में रविवार की सुबह 10 साल के बच्चे की डूबने से मौत हो गई। दैनिक भास्कर की टीम इस इलाके में पहुंची और पानी से होते हुए उन लोगों के पास पहुंची जो इससे प्रभावित हैं। हमारी मुलाकात सबसे पहले नीता गुप्ता से हुई। नीता के घर तक पहुंचने के लिए हमें करीब 3 फीट के पानी से होकर गुजरना पड़ा। पानी भरने से अब नौकरी पर संकट
नीता गुप्ता कहती हैं कि पिछले 4 दिनों से यहां पानी भरा है। हम करीब 6 सालों से यहां रह रहे हैं, लेकिन इसके पहले कभी पानी नहीं आया। पानी भर जाने की वजह से हम लोग ऑफिस नहीं जा पा रहे हैं। ऑफिस से फोन आया कि अगर नहीं आ सकती तो घर ही रहिए। छोड़ दीजिए नौकरी। बच्चों को कंधे पर बैठाकर स्कूल भेजा जा रहा है। हमने पूछा कि यह पानी कहां से आ रहा? नीता कहती हैं कि यहीं पास में बंधा टूट गया। रात में यह टूटा और फिर देखते देखते पानी बढ़ने लगा। हम रात में ही निकलकर दूसरी जगह गए। यहां से 17-18 परिवार तो छोड़कर दूसरी जगह चले गए। प्रशासन को फोन करके हमने पूछा कि क्या यहां से पानी निकालने की कोई व्यवस्था है? उधर से जवाब आता है कि पानी निकालने की व्यवस्था नहीं है, सूखने पर ही खत्म होगा। पानी से घर में सांप-बिच्छू आ रहे
यहीं रहने वाली शशिकला कहती हैं कि पानी बढ़ने की वजह से यहां सांप-बिच्छू निकल रहे हैं। बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। कई लोग ड्यूटी तक नहीं जा पा रहे। अब दिक्कत तो है। यहीं की दिव्या सिंह कहती हैं कि संडे की रात जब हम सोए तो बहुत कम पानी था, लेकिन जब उठे तो पानी ही पानी दिख रहा था। घरों की दीवारों पर सांप-बिच्छू चढ़ रहे हैं। हम लोग अब खिड़की खोलकर नहीं रह रहे हैं। उमा तिवारी कहती हैं कि यहां बाढ़ का पानी कभी नहीं आया। ये सब बंधा कट जाने के बाद आया है। बारिश के पानी पर जब पानी बढ़ जाता है तब थोड़ा बहुत जमा हो जाता है, लेकिन कम भी हो जाता है। जब यहां पानी बढ़ा तो हमने प्रशासन को बताया। यहां से भी 200-250 लोग गए और वहां पूरा काम किया। बाकी दिक्कत तो है, लोग बच्चे को कंधे पर बैठाकर बाहर ला रहे और फिर कपड़े पहनाकर स्कूल भेज रहे। मछली पकड़ने वालों ने बंधा काटा
मनोज कटियार कहते हैं कि मछली पकड़ने वाले ने बंधा काट दिया था। पानी का बहाव तेज था, जिसके बाद वह लगातार बढ़ता चला गया। कुछ लोग इसके लिए पकड़े भी गए हैं। बाकी यहां इसके पहले कभी पानी नहीं आया है। जिनका घर डूबा है उनको दिक्कत तो है, लेकिन धीरे-धीरे ठीक हो जाएगा। हम इसके बाद बंधे पर गए। वहां अब मिट्टी डालकर टूटे हुए हिस्से को जोड़ दिया गया है। लोग कहते हैं कि जिस वक्त टूटा था धीरे-धीरे करीब 10 फीट तक सड़क बह गई थी। अगर मौके पर ही प्रशासन हरकत में नहीं आता तो दोगुना पानी मोहल्ले में होता। यहीं से कुछ दूरी पर बनियापुरवा गांव में रविवार की सुबह राजकुमार अपने 10 साल के बेटे के साथ खेत जा रहे थे। खेतों में गहरे गड्ढे थे। उसी गड्ढे में बेटा गिरा और डूबने लगा। राजकुमार भी उसमें कूद गए और किसी तरह से बच्चे को निकाला। वह करीब 30 मिनट तक अपने बच्चे को लेकर इधर से उधर भटकते रहे, लेकिन इलाज नहीं मिल सका और बच्चे की मौत हो गई। ये भी पढ़ें:- कानपुर के 8 गांवों में बाढ़, संपर्क टूटा: भगवानदीनपुरवा में हालात खराब; गांव छोड़ रोड किनारे लोगों ने बनाए तंबू गंगा नदी अभी भी खतरे के निशान से सिर्फ 24 सेंटीमीटर दूर रह गई है। चेतावनी बिंदु से 76 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है। इसका असर बिठूर से बैराज और बैराज से आगे कटरी के चैनपुरवा तक पड़ा है। तेरह गांव बाढ़ से घिरे हुए हैं। वहीं लोग गांव छोड़कर सड़कों पर तंबू बनाकर रह रहे हैं। जानवर भी गांव के बाहर ले आए हैं। पढ़ें पूरी खबर…