भारतीय सेना को हिमाचल प्रदेश के रोहतांग दर्रे पर सोमवार को 4 भारतीय जवानों के शव मिले। बैच नंबर से मलखान सिंह की पहचान हुई। मलखान सिंह सहारनपुर से 30 किलोमीटर दूर फतेहपुर गांव के रहने वाले थे। मलखान के अलावा 2 शवों की पहचान सिपाही नारायण सिंह और क्रॉफ्टमैन थॉमस चरण के रूप में हुई। चौथे शव की पहचान अभी नहीं हो पाई है। जो विमान हादसे का शिकार हुआ, वह ट्विन इंजन एएन-12 टर्बोप्रॉप ट्रांसपोर्ट विमान था। इससे पहले, 2019 तक इस हादसे से जुड़े 5 शव बरामद किए गए थे। प्लेन का मलबा 2003 में मिला था। रक्षा मंत्रालय की ओर से बुधवार को मलखान सिंह का पार्थिव शरीर वायु सेना के जवान लेकर आए। आसपास के कई गांवों के करीब एक हजार लोग अंतिम दर्शन करने पहुंचे। मलखान सिंह अमर रहें…भारत माता की जय के नारे लग रहे हैं। देशभक्ति गीतों से माहौल गमगीन है। पहले पार्थिव शरीर लाए जाने के 3 तस्वीरें देश का सबसे लंबा रेस्क्यू ऑपरेशन
यह विमान 7 फरवरी, 1968 को लापता हो गया था। साल 2003 में विमान का मलबा रोहतांग में मिला। फिर डोगरा स्काउट्स और तिरंगा माउंटेन रेस्क्यू की एक जॉइंट टीम ने रेस्क्यू शुरू किया। जो रेस्क्यू अभी भी जारी है। इसे देश का सबसे लंबा रेस्क्यू ऑपरेशन कहा जाता है। सोमवार को इसमें भारतीय सेना को बड़ी सफलता हाथ लगी, जब 4 शव और मिले। अटल सरकार में शुरू हुआ रेस्क्यू, 2019 तक 5 शव मिले
दरअसल, फतेहपुर गांव के रहने वाले वायु सैनिक मलखान सिंह 7 फरवरी, 1968 को हिमाचल के रोहतांग में शहीद हो गए थे। अटल सरकार के कार्यकाल से 2003 में सेना ने रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। 2019 तक 5 शव बरामद कर लिए गए। मलखान सिंह को शहीद हुए 56 साल हो चुके हैं। ऊस बीच, उनके माता-पिता और पत्नी की मौत हो चुकी है। एक बेटा था, उसकी भी 2010 में मौत हो गई थी। अब मलखान की बहू, दो पोते और 3 पोती हैं। 56 साल बाद परिवार वाले खुश हैं, लेकिन गम भी है। उनका कहना है कि शव लाए जाने का गम है, अगर जिंदा लौटते तो इससे बड़ी कोई खुशी नहीं होती। सोमवार को सेना ने शव मिलने की सूचना परिवार को दी
मलखान के पोते गौतम और मनीष मजदूरी करते हैं। सोमवार को जब यह खबर सेना से परिवार वालों को मिली तो पूरे गांव का माहौल गमगीन हो गया। साथ ही इस बात का संतोष भी हुआ कि आखिर 56 साल बाद भी मलखान सिंह के शव को ढूंढ लिया गया। अब परिजन पितृपक्ष में अपने पितृ को सच्ची मुक्ति दे पाएंगे। शहीद के छोटे भाई ईसम पाल ने बताया- जिस वक्त परिवार को मलखान के पार्थिव शरीर की घर वापसी की जानकारी दी गई, तो हर कोई स्तब्ध रह गया। वो बच्चे जो अपने दादा-परदादा की कहानी सुनकर बड़े हुए, उन्हें अब उनके दर्शन करने और आखिरी सफर में शामिल होने का मौका मिलेगा। पोते सोचते…दादा एक दिन जरूर आएंगे
मलखान सिंह के पोते-पोती गौतम और मनीष बचपन में अपनी मां-पिता से दादा के जहाज से कहीं गुम हो जाने की कहानी सुनते थे। वे बताते हैं कि उनकी मां इंद्रो देवी और पिता राम प्रसाद कहानी सुनाते थे। कहते थे, दादा मलखान का जहाज अचानक आसमान और बर्फीली पहाड़ियों में गुम हो गया। पोते अक्सर यही सोचते थे कि उनके दादा एक न एक दिन वापस जरूर आएंगे। पोते ने कहा- मलखान सिंह के लापता होने के बाद परिवार को कोई मदद नहीं मिली। इसके बाद मलखान के दोनों पोते शहर आ गए और मेहनत-मजदूरी करके अपना गुजारा करने लगे। ये भी पढ़ें:- कानपुर में प्रॉपर्टी के लिए पत्नी को मार डाला, कुल्हाड़ी से काटा, फिर ट्रेन के आगे कूदकर सुसाइड की कोशिश कानपुर में बुधवार सुबह प्रॉपर्टी के लिए बुजुर्ग ने पत्नी को कुल्हाड़ी से काटकर मार डाला। इसके बाद खुद ट्रेन के आगे कूदकर सुसाइड की कोशिश की। क्षेत्रीय लोगों ने पति को गंभीर हालत में हैलट में एडमिट कराया है। गुजैनी पुलिस और फोरेंसिक टीम ने जांच-पड़ताल के बाद शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया। बर्रा के पिपौरी गांव निवासी प्रहलाद ने 55 साल की पत्नी पत्नी शशि सैनी की हत्या की है। प्रहलाद के दो बेटे सिक्योरिटी गार्ड सत्येंद्र और आदित्य हैं। छोटा बेटा आदित्य पत्नी के साथ बाहर रहकर नौकरी करता है। बड़ा बेटा सत्येंद्र और उसकी पत्नी पूजा सास-ससुर के साथ में रहती हैं। पढ़ें पूरी खबर…

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