सहारनपुर के स्वास्थ्य विभाग में एक फर्म द्वारा कराए गए निर्माण कार्यों पर सवाल खड़े हो रहे हैं। हाईकोर्ट के आदेश के बाद फर्म का भुगतान रोका गया। जांच करने के आदेश भी दिए गए। ठेकेदार जांच से पहले ही पुराने निर्माण कार्यों में लीपापोती करने में जुट गया है। पुराने कार्यदेश का काम निपटने के बाद दोबारा से क्यों काम कराया जा रहा है, ये बड़ा सवाल है। ऐसे में प्रमुख अधीक्षक ने प्रमुख सचिव स्वास्थ्य और डीजी से पत्राचार कर निर्माण कार्य में हो रही लीपापोती को लेकर दिशा-निर्देश मांगे हैं। पुराने कार्यों पर दोबारा मरम्मत
जिला अस्पताल में मरम्मत एवं निर्माण कार्यों को लेकर ठेका छोड़ने में अनियमितता और काम के नाम पर खानापूर्ति किए जाने के मामले में हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया हुआ है। हाईकोर्ट ने निर्माण कार्य कराने वाली फर्म पदमलता निम कांट्रेक्टर्स के भुगतान पर रोक लगाया था। जांच के बाद रिपोर्ट 4 नवंबर देने का आदेश दिए था। लेकिन लखनऊ से जांच टीम आने से पहले ही फर्म ने पुराने कार्यादेश पर कराए गए कार्यों पर दुरुस्त करना शुरू कर दिया। जिससे जांच करने आई टीम को कोई साक्ष्य न मिले। सीएमएस ने महानिदेशक (डीजी) स्वास्थ्य को ईमेल से पत्र भेजकर दिशा-निर्देश मांगे हैं। हाईकोर्ट ने फर्म के रोक दिया था भुगतान
स्वास्थ्य विभाग में निर्माण कार्यों में करोड़ों के फर्जीवाड़े का आरोप लगाते हुए दाखिल की गई जनहित याचिका को हाईकोर्ट इलाहाबाद ने गंभीर मामला मानते हुए संबंधित फर्म के भुगतान पर 11 सितंबर को रोक लगा दी थी। भाजपा विधायक की मां के नाम पर बनाई गई फर्म पर चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा महा निदेशक के फर्जी हस्ताक्षर करने का भी आरोप है। अब मामले की सुनवाई चार नवंबर को होगी। समाजसेवी ने पीआईएल की थी दाखिल
नवीन नगर के रहने वाले अशोक पुंडीर ने स्वास्थ्य विभाग में करोड़ों के फर्जीवाड़े का आरोप लगाते हुए चार सितंबर को उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दाखिल की थी। कोर्ट ने 11 सितंबर को इस पर सुनवाई शुरू करते हुए मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली ने प्रमुख सचिव को मैसर्स पदमलता निम कांट्रेक्टर द्वारा कराए गए निर्माण कार्यों का भुगतान रोकने के आदेश दिए। चार नवंबर तक करनी होगी जांच
मुख्य न्यायाधीश ने आदेश में कहा कि फर्म को ई-टेंडरिंग प्रक्रिया अपनाए बगैर ही बिना अनुबंध के टेंडर दिया गया है। कोर्ट ने प्रदेश के प्रमुख सचिव, सहारनपुर डीएम, निदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य सेवाएं, सीएमओ और एसबीडी अस्पताल के सीएमएस को फर्म के सभी भुगतान तत्काल प्रभाव से रोकने के आदेश दिए। वहीं प्रमुख सचिव को पूरे मामले की जांच कराकर चार नवंबर 2024 को पेश करने के लिए कहा था। याचिकाकर्ता के ये हैं आरोप
याचिकाकर्ता का आरोप है कि मैसर्स पदमलता निम एलएलपी कांट्रेक्टर को टेंडर देने में अनियमितता बरती गई है। फर्म को जीएसटी नंबर मिलने से 10 दिन पहले ही 4 दिसंबर 2023 को वर्कआर्डर दे दिया गया। इतना ही तत्कालीन मंडलीय सहायक अभियंता सुरेंद्र कुमार इनका कार्य देखते थे, जो रिटायरमेंट के बाद फर्म में साझीदार बन गए। फर्म पर निदेशक, चिकित्सा स्वास्थ्य सेवाएं के जाली हस्ताक्षर करने का आरोप है। वहीं याचिकाकर्ता का यह भी आरोप है कि भाजपा विधायक अपनी मां की फर्म के लिए स्वास्थ्य अधिकारियों पर दबाव बनाते हैं। नियम विरुद्ध काम कराते हैं और फर्जी बिलों से भुगतान लेते हैं। कोर्ट ने विशेष सचिव द्वारा महानिदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य सेवाएं को याचिका में लगाए गए आरोपों की जांच के आदेश दिए हैं। जांच की रिपोर्ट अगली तारीख पर कोर्ट के सामने पेश करनी होगी। साथ ही मैसर्स पदमलता निम कांट्रेक्टर को भी नोटिस जारी कर चार नवंबर 2024 तक जवाब मांगा गया है। पूर्व विधायक बोली-ठेकेदारी करने वाली जनप्रतिनिधियों पर हो कार्रवाई
पूर्व विधायक शशिबाला पुंडीर ने जिला अस्पताल में खामियों पर सवाल उठाया है। सोशल मीडिया पर उन्होंने लिखा है कि तीन माह से जिला अस्पताल में सीटी स्कैन की मशीन खराब पड़ी है। मुख्यमंत्री जी और प्रमुख सचिव स्वास्थ्य के आने के बावजूद स्थिति नहीं सुधरी। कई मंत्री भी यहां आते-जाते हैं। सरकारी अस्पताल में गरीब लोग सीटी स्कैन कराते हैं। मुख्यमंत्री योगी और स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक गरीबों का दर्द समझें। यहां जनप्रतिनिधि सिर्फ अस्पतालों में ठेकेदारी करते हैं, फर्जी काम करते हैं। हाईकोर्ट ने बहुत सख्त निर्णय लिया है। मैंने पहले भी अस्पताल की हालत के बारे में लिखा था। ठेकेदारी करने वाले जनप्रतिनिधियों पर कार्रवाई करें। अस्पताल की कोई चिंता नहीं हैं।

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