‘अब देखें, एक राज्य की सीएम तक ने कह दिया है कि वो इस्तीफा देने के लिए तैयार हैं। ऐसे कैसे काम चलेगा? राजनीति को चाहिए बिल्कुल ढीठ लोग।’ इस अमृतकाल में भी एक पत्रकार ने एक स्वघोषित राष्ट्रभक्त नेता से आखिर रेल दुर्घटनाओं को लेकर सवाल पूछ ही लिए। उसने पूछा कि इतनी सारी रेल दुर्घटनाएं हो रही हैं, लेकिन अपनी जिम्मेदारी तय करते हुए आखिर रेलमंत्री इस्तीफा क्यों नहीं देते? सवाल सुनकर सरकार भक्त ने जो उत्तर दिया वह ज्यों का त्यों इस प्रकार है, ‘सड़कें टूट रही हैं, पुल गिर रहे हैं, हवाई अड्डे की छत गिर रही है, बड़ी-बड़ी मूर्तियां गिर गईं लेकिन सरकार जस की तस है।’ क्या बात है! उधर आए दिन हो रहीं रेल दुर्घटनाओं ने रेलवे की साख की रेल बना रखी है, लेकिन सरकार चलती ही जा रही है। इसे कहते हैं मजबूत सरकार! अक्सर बताया जाता है कि पुराने समय में जिम्मेदारी लेने वाले मिसाल कायम करते थे। ऐसी ही एक मिसाल इतिहास के पन्नों पर दर्ज है कि अपने समय में लाल बहादुर शास्त्री जैसे जिम्मेदार नेता ने उस दौरान एक रेल दुर्घटना की जिम्मेदारी लेते हुए रेलमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था। इस तरह के जिम्मेदार लोग कभी हुआ करते थे लेकिन ये क्या बात हुई! अरे भाई वर्तमान सरकारें यदि इस तरह से इस्तीफे देने लगें तो इस्तीफों का अंबार लग जाएगा। मिसाल के तौर पर कहीं की सड़क टूटी तो परिवहन मंत्री का इस्तीफा, रेल दुर्घटना पर रेल मंत्री का इस्तीफा, रुपया गिरा तो वित्त मंत्री का इस्तीफा, किसानों का मनोबल टूटा तो कृषि मंत्री का इस्तीफा…! अब देखिए, एक राज्य की मुख्यमंत्री तक ने कह दिया है कि अगर लोग चाहें तो वे अपने पद से इस्तीफा देने के लिए तैयार हैं। मगर सवाल यही है कि अगर ऐसा ही होता रहा तो फिर भला सरकारें कैसे चलेंगी? अरे भाई, जरा समझने की कोशिश करो, सरकार को मजबूत होना चाहिए। हकीकत तो यह है कि यूं ही किसी भी बात-बेबात पर इस्तीफा देने वाले गैरतमंद लोगों की राजनीति में कोई जगह नहीं है। राजनीति को दृढ़ लोग चाहिए। बिल्कुल ढीठ। शत प्रतिशत बेशर्म। दंगा, अव्यवस्था, अराजकता, दुष्कर्म या कुछ भी होता हो, लेकिन भाई अपनी मजबूत सरकार नहीं गिरने दें। अरे भाई एक चुनाव कितना महंगा पड़ता है, कुछ अंदाजा भी है आपको? हमारे महान राजनीतिज्ञ चाहे जिससे गठबंधन करके सरकार बचाते हैं। सरकार बनाने के लिए विचारधारा तक की अनदेखी कर देते हैं। ये बेचारे अपने कर्मठ कार्यकर्ताओं का दिल टूटने का दर्द सह लेते हैं और आप कह रहे हैं कि मंत्री जी इस्तीफा दे दें! अगर मंत्रीजी या मुख्यमंत्री ऐसे ही इस्तीफे देते रहे तो हम विश्वगुरु कैसे बनेंगे? अरे भैया समझने की कोशिश करो, विश्वगुरु बनने के लिए हमें एक बड़ी ही मजबूत सरकार चाहिए। जरा सोचो सरकार बनी रहेगी तो नई ट्रेन चला लेंगे। इस ट्रेन से काम नहीं बनेगा तो बुलेट ट्रेन चला लेंगे। अपने देश की चीजों की आलोचना करने वाले देशभक्त हो ही नहीं सकते। इसलिए कुछ भी हो जाए। सरकार का कोई मंत्री इस्तीफा नहीं देगा। क्योंकि, सरकार का काम सरकार चलाना है, रेल चलाने का काम रेल ड्राइवर का है! ये कॉलम भी पढ़ें… सिर-फुटव्वल पड़ोसियों में हो और घायल हों हम!:बरसाती पानी सड़कों पर भरता है तो विपक्ष को सरकार पर उछालने के लिए कीचड़ मिल जाता है