प्रदेश में 10 में से 9 सीटों पर उप चुनाव की घोषणा हो चुकी है। समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस के लिए दो सीटें छोड़ी हैं, जिससे कांग्रेस नाखुश नजर आ रही है। इसके पीछे की वजह यह है कि दोनों सीटों पर बीजेपी अन्य पार्टियों से ज्यादा मजबूत है। गाजियाबाद से कांग्रेस लगातार चार चुनावों में हारी है, कुछ ऐसा ही हाल अलीगढ़ की खैर सीट का भी है। जहां कांग्रेस लगातार पांच बार हारी है। यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय का कहना है कि उन्हें सीट शेयरिंग की कोई जानकारी नहीं है। सपा की ओर से छोड़ी गई दो सीटों पर कांग्रेस की स्थिति समझिए…

सबसे पहले दो बयानों से समझिए कांग्रेस और सपा की स्थिति… यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने कहा- यूपी में उप चुनाव वाली 10 सीटों में से पांच सीटों का प्रस्ताव बनाकर केंद्रीय नेतृत्व को सौंपा था। सपा ने कांग्रेस को कितनी सीटें दी हैं, मेरी जानकारी में नहीं है। केंद्रीय नेतृत्व का जो निर्देश होगा, पालन किया जाएगा। सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता अमीक जामेई ने कहा- जल्द ही सपा-कांग्रेस के बीच गठबंधन का आधिकारिक एलान हो जाएगा, उसके बाद ही अपनी प्रतिक्रिया दूंगा। एक बात तय है यूपी उपचुनाव सपा और कांग्रेस मिलकर इंडिया गठबंधन के तहत लड़ेगी। गाजियाबाद में कांग्रेस 22 साल पहले जीती, फिर कभी नहीं
गाजियाबाद में समाजवादी पार्टी सिर्फ एक बार 2004 में जीत हासिल पाई है। वह भी तब जब उसकी सत्ता में उप चुनाव हुए। जबकि, कांग्रेस यहां आखिरी बार 22 साल पहले जीती थी। 2022 का विधानसभा चुनाव छोड़ दें तो कांग्रेस इस सीट पर हमेशा सपा से आगे रही है। 2017 में जब सपा-कांग्रेस के बीच गठजोड़ हुआ तो सपा ने यह सीट कांग्रेस के लिए छोड़ दी थी। हालांकि, कांग्रेस यह सीट हार गई थी और भाजपा ने बड़ी जीत दर्ज की। गाजियाबाद सीट पर पिछले पांच चुनावों की बात करें तो भाजपा तीन और बसपा व कांग्रेस एक-एक बार चुनाव जीतने में कामयाब रही है। 2022 चुनाव में कांग्रेस को यहां 11 हजार 778 वोट ही मिले। खैर सीट: 40 साल से कांग्रेस की वापसी नहीं
इसी तरह अलीगढ़ की खैर सीट पर भी कांग्रेस 40 साल से नहीं जीती है। 2022 में कांग्रेस की मोनिका को सिर्फ 1,514 वोट मिले, जबकि भाजपा के अनूप वाल्मीकि को एक लाख 39 हजार से ज्यादा वोट मिले थे। यही हाल सपा का है। सपा इस सीट पर पिछले पांच चुनावों में खाता नहीं खोल सकी है। यहां दो बार रालोद और तीन बार भाजपा ने जीत दर्ज की। सपा का प्रदर्शन यहां हमेशा निराशाजनक रहा। 2022 में सपा-रालोद का गठबंधन था तो यह सीट रालोद के खाते में चली गई थी। बाकी चुनावों में तो सपा को 10 हजार वोट मिलना भी मुश्किल रहा। 2002 से लेकर अब तक हुए पांच चुनाव में यहां दो बार भाजपा और दो बार रालोद जीती है। जबकि एक बार यह सीट बसपा के खाते में गई। गाजियाबाद में कांग्रेस अपनी लोकसभा प्रत्याशी डॉली शर्मा को एक बार फिर मैदान में उतार सकती है। इसके अलावा सुशांत गोयल के नाम की भी चर्चा है। इसी तरह खैर में कांग्रेस रोहताश सिंह जाटव को प्रत्याशी बना सकती है। कांग्रेस ने मांगी 5, सपा ने दो सीटें छोड़ीं
कांग्रेस ने यूपी उपचुनाव के लिए उन पांच सीटों का प्रस्ताव केंद्रीय नेतृत्व को भेजा था, जिन पर 2022 में सपा नहीं जीती थी। इसमें मीरापुर की भी सीट शामिल थी, जहां 2022 में सपा-रालोद का गठबंधन था, जो कि बाद में टूट गया। रालोद भाजपा के साथ चली गई। इसके अलावा मझवां, फूलपुर, गाजियाबाद और खैर सीट पर कांग्रेस ने दावेदारी पेश की है। सपा का मानना है कि मीरापुर में सपा गठबंधन की जीत हुई थी। वहीं, मझवां और फूलपुर में न सिर्फ सपा मजबूती के साथ लड़ी, बल्कि कांग्रेस की पोजिशन काफी खराब रही थी। सपा नेताओं का मानना है कि इन दोनों सीटों पर वह जीत हासिल कर सकती है। सपा के कई नेताओं ने इन सीटों पर अपनी दावेदारी पेश की थी। वहीं कांग्रेस ने इन दोनों सीटों पर कार्यकर्ता सम्मेलन कर अपनी ताकत दिखाने की कोशिश की, लेकिन सपा उससे प्रभावित नहीं हुई। कांग्रेस से समझौता सपा की मजबूरी या गठबंधन धर्म
सपा शुरू से कहती आ रही है कि यूपी के उपचुनावों में समाजवादी पार्टी I .N.D.I.A गठबंधन के तहत चुनाव लड़ेगी। हालांकि, सपा ने इसका आधिकारिक एलान नहीं किया। हरियाणा चुनाव के बाद अखिलेश यादव ने कहा था कि कांग्रेस को समझना चाहिए कि भाजपा से गठबंधन करके ही निपटा जा सकता है। पिछले चार चुनावों की बात करें तो सपा ने गठबंधन करके ही चुनाव लड़ा। 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ। 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा के साथ और 2022 के चुनाव में क्षेत्रीय दलों के साथ समझौता कर चुनाव लड़ा। 2024 के लोकसभा चुनाव में सपा-कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़े और यूपी में भाजपा की सीटें कम करने में कामयाब हुए। ऐसे में समाजवादी पार्टी समझौते को न सिर्फ तवज्जो दे रही है. बल्कि उसकी कोशिश है कि गठबंधन बना रहे। हालांकि, हरियाणा और कश्मीर के चुनाव में कांग्रेस की ओर से उसे एक भी सीट नहीं मिली। हरियाणा में सपा ने अपने उम्मीदवार नहीं उतारे, जबकि कश्मीर में सपा ने 20 सीटों पर चुनाव लड़ा। जहां सभी सीटों पर जमानत जब्त हो गई। सपा ने महाराष्ट्र-झारखंड के लिए कांग्रेस पर बनाया दबाव
सपा की ओर से यूपी उपचुनाव में कांग्रेस को दो सीटें देने को रणनीति के तौर पर भी देखा जा रहा है। इससे महाराष्ट्र और झारखंड में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस पर दबाव बनाया जा सकता है। सपा इन दोनों राज्यों में चुनाव लड़ना चाहती है। महाराष्ट्र में पहले से उसके दो विधायक हैं। इस बार वह 12 सीटों की दावेदारी पेश कर रही है। वहीं, झारखंड में भी वह यादव बाहुल्य सीटों पर अपनी दावेदारी पेश कर रही है। झारखंड में राजद का पहले से कांग्रेस-झारखंड मुक्ति मोर्चा के साथ गठबंधन है। ऐसे में वहां सपा को सीट मिलने की उम्मीद कम है। लोकसभा चुनाव में हिट रही सपा-कांग्रेस की जोड़ी
समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने इंडी अलायंस के तहत 2024 के लोकसभा चुनाव में गठबंधन किया था। सपा 63 और कांग्रेस 17 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। सपा ने इसमें से 37 सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस के खाते में 6 सीटें आईं। कांग्रेस इस बात का दावा करती रही है कि यूपी में सपा की जीत में उसकी उतनी ही भागेदारी है, जितनी सपा के लोगों की। वहीं, सपा के लोगों का कहना है कि उनकी वजह से कांग्रेस यूपी में दोबारा पोजीशन में आ गई। वहीं, यूपी में भाजपा को कांग्रेस और सपा दोनों मिलकर 33 सीटों पर रोकने में कामयाब हो गए थे। सपा-कांग्रेस गठबंधन से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… क्या यूपी उपचुनाव में सपा-कांग्रेस अलग होंगी?:अखिलेश ने महाराष्ट्र में मांगी सीटें यूपी में विधानसभा की 10 सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच बात नहीं बन पा रही है। दोनों पार्टियां एक-दूसरे पर दबाव बनाने में जुटी हैं। सपा ने 6 सीटों पर प्रभारी नियुक्त कर दिए हैं, कांग्रेस ने सभी 10 सीटों पर पर्यवेक्षक नियुक्त किए हैं। सीट बंटवारे को लेकर हो रही देरी से दोनों दलों के कार्यकर्ताओं के बीच बेचैनी बढ़ रही है। पूरी खबर पढ़ें…

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