रेप, हत्या और भ्रष्टाचार के आरोपी पीडब्लूडी के बाबुओं के खिलाफ एक्शन शुरू हो गया है। प्रमुख अभियंता व विभागाध्यक्ष ने जांच रिपोर्ट को प्रमुख सचिव शासन को कार्रवाई के लिए भेज दिया है। यह जानकारी प्रमुख अभियंता ने महिला आयोग को दी है। शिकायत के बाद गठित तीन सदस्यीय कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर यह कार्रवाई शुरू हुई है। विभागीय कार्रवाई शुरू होने के बाद लोक निर्माण विभाग में माहौल गरम हो गया है। आइए जानते हैं क्या है मामला पीडब्ल्यूडी नियमित वर्कचार्ज कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष भारत सिंह ने महिला आयोग समेत अन्य जगह एक शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत में इन बाबुओं पर आरोप है कि विभाग में तैनात रही एससी वर्ग की महिला कर्मचारी ऊषा गौतम की इन्होंने रेप के बाद हत्या कर दी। यह महिला इनके कर्मचारी संघ में संगठन मंत्री के पद पर तैनात रही। आरोप है कि महिला का यौन शोषण किया गया। गर्भवती होने के बाद गर्भपात कराया गया। इसके बाद राजकीय चालक संघ के भवन में ले जाकर बिजली का करंट देकर उसकी हत्या कर दी गई। विधानमंडल की समिति में भी शिकायत भारत यादव ने इसकी शिकायत विधानमंडल की अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों तथा विमुक्त जातियों सम्बन्धी संयुक्त समिति से की। समिति के अध्यक्ष श्रीराम चौहान ने विभागाध्यक्ष को कार्रवाई के लिए लिखा। कार्रवाई में लेट होने पर श्रीराम चौहान ने इस गंभीर मामले की जांच एसआईटी को अब तक न भेजे जाने और चारों आरोपियों को अब तक स्थनांतरण न किए जाने पर कड़ी नाराजगी जताई थी। इस मामले में उन्नाव के पुरवा विधानसभा क्षेत्र से विधायक अनिल सिंह और एमएलसी विक्रांत सिंह रिशू ने भी लगातार उच्चाधिकारियों से कार्रवाई किये जाने की मांग की है। आइए जानते हैं जांच कमेटी की सिफारिश महिला आयोग को विभागाध्यक्ष की ओर से दी गई जानकारी में तीन सदस्यीय जांच कमेटी की रिपोर्ट शासन को भेजने की बात कही गई है। शासन को भेजे रिपोर्ट में ऊषा गौतम, वरिष्ठ सहायक का शोषण करने और उनकी हत्या सम्बन्धी आरोपों की जांच की गई है। आरोपी कर्मचारियों को मूल तैनाती वर्ग से हटाकर स्थानांतरण के लिए लिपिकीय संवर्ग के तहत प्रधान सहायक के पदों की रिक्तियों का ब्योरा भी शासन को भेजा गया है। आयोग को यह भी जानकारी दी गई है कि मामला आपराधिक प्रकृति का होने के कारण इसकी उच्च स्तरीय जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी या पुलिस विभाग को संदर्भित किया जा रहा है। ये हैं बाबुओं पर आरोप
इन चारों कर्मचारियों पर भारत सरकार की आलोचना, विभागीय नीति के विरुद्ध समाचार पत्रों व मीडिया में बयान देना, नियुक्ति से लेकर लगभग 20 वर्षों से एक ही वर्ग में तैनात रहना, अनुसूचित जाति की महिला कर्मी व पदाधिकारी के साथ बलात्कार करके हत्या करना और आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप है। इन बाबुओं पर लगे हैं आरोप जिन बाबुओं पर आरोप लगे हैं उनमें बीरेन्द्र कुमार यादव, प्रधान सहायक और अध्यक्ष, मिनिस्ट्रियल एसोसिएशन, ओम प्रकाश पटेल, प्रधान सहायक व महामंत्री, मिनिस्ट्रियल एसोसिएशन, सुनील कुमार यादव, प्रधान सहायक व अध्यक्ष, वृत्तीय मिनिस्ट्रियल एसोसिएशन 30वां वृत्त, लखनऊ, वीरेंद्र कुमार यादव प्रधान सहायक और शिव कुमार यादव, वाहन चालक अध्यक्ष, राजकीय वाहन चालक संघ शामिल हैं। विभागीय जांच में दोषी सूत्राें के मुताबिक फिलहाल विभागीय जांच में इन बाबुओं को दोषी भी माना गया है। यह कर्मचारी लगभग 20 वर्षों से एक ही पटल पर जमे हुए हैं। इसकी भी पुष्टि विभाग की ओर से गठित तीन सदस्यीय समिति ने की है। इसके साथ ही सरकार की आलोचना के आरोप की भी पुष्टि होना पाया गया है। उन्होंने मीडिया में अपनी ही विभाग की नीतियों के विरुद्ध बयान देकर कर्मचारी आचरण नियमावली – 1956 के नियम – 3 (क) का उल्लघंन किया है। भ्रष्टाचार की जांच सतर्कता अधिष्ठान को संस्तुति
विभागीय जांच समिति ने आपरााधिक प्रकृति का कृत पाते हुए आरोपियों के विरुद्ध पुलिस विभाग से कार्रवाई करने के लिए और आय से अधिक सम्पत्ति के मामले में जांच सतर्कता अधिष्ठान को संदर्भित करने की भी संस्तुति की है। इस बैठक में असगर विधायक और समिति सदस्य त्रिभुवन राम ने प्रस्ताव प्रस्तुत किया था। इनके समक्ष यह मामला जब पहुंचा तो इन्होंने इतने गंभीर प्रकरण को समिति के सामने रखा था। समिति के निर्देश पर जांच कर कार्रवाई तय की गयी और अब इसकी जांच रिपोर्ट की सिफारिश कार्रवाई के लिए शासन भेद दी गई है।

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