4 अप्रैल से प्रदेश की अलग-अलग लोकसभाओं में जा रहा दैनिक भास्कर का चुनावी रथ मंगलवार को उन्नाव पहुंचा। यहां हम मजदूरों के बीच गए। व्यापारियों और किसानों के बीच पहुंचे। उन युवाओं की बात भी सुनी जो इस चुनाव में निर्णायक भूमिका में रहेंगे। इस दौरान बड़ी संख्या में लोगों ने भास्कर की मुहिम ‘मेरी बात सुनो’ के जरिए अपनी बात लिखकर हमें सौंपी। उन्नाव में बीजेपी ने 2014 से सांसद साक्षी महाराज को प्रत्याशी बनाया है। सपा-कांग्रेस गठबंधन ने अनु टंडन और बसपा ने अशोक पांडेय को उतारा है। किसके पक्ष में क्या माहौल है? किन मुद्दों पर वोट पड़ेगा? बदलाव होगा या बरकरार रहेगा, यह सब हमने वहीं के लोगों से जाना। आइए सबसे पहले युवाओं के बीच चलते हैं… शिक्षा को व्यवसाय बनने से रोकना होगा
दैनिक भास्कर का चुनावी रथ डीएसएन पीजी कॉलेज पहुंचा। यहां पुष्पेंद्र पांडेय कहते हैं, सरकार को शिक्षा में लगातार बढ़ रहे व्यवसायीकरण को रोकना होगा। आज पिछले 45 सालों में बेरोजगारी का स्तर सबसे ऊपर पहुंच गया है। किसी भर्ती को लेकर प्रदर्शन करने पर सरकार कठोर कार्रवाई करने लगी है, जबकि प्रदर्शनकारी छात्रों के लिए एक सीमा में रहकर ही कार्रवाई करनी चाहिए। सुधांशु सिंह कहते हैं कि सरकार को स्किल बेस्ड एजुकेशन पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। 12वीं तक की पढ़ाई के बाद भी कोई स्किल डेवलप नहीं हो पा रही। हें सीमित व्यवस्थाओं में ही बेहतर करने की कोशिश करनी होगी। बाकी रही सरकार की योजनाओं की बात तो उनकी हर योजनाओं पर सवाल बनता है। अग्निवीर को लेकर पहला सवाल तो यही है कि 4 साल बाद युवा जाएगा कहां? क्या देश के लिए उसके मन में पहले जैसा सेवा भाव होगा? 1 बार फॉर्म भरने पर दो बार परीक्षा नहीं होनी चाहिए
राजेंद्र नई शिक्षा नीति को लेकर कहते हैं कि इससे छात्रों पर एक्स्ट्रा प्रेशर डाल दिया गया। पाठ्यक्रम जोड़ दिए गए। हमारी सरकार से एक जरूरी मांग यह है कि एक बार फॉर्म भरने पर दो बार परीक्षा नहीं होनी चाहिए। परीक्षा लीक को लेकर सख्त कानून बनाए जाने की जरूरत है। पंकज भी राजेंद्र की बातों पर सहमत होते हैं, कहते हैं, पेपर लीक से उन बच्चों का अधिकार छिन जाता है जो इस नौकरी से अपने परिवार के लिए बेहतर कर सकता था। लगातार भर्ती निकले यह जरूरी है। प्राइमरी से बीएड को बाहर रखने के फैसले को प्रवीण सकारात्मक बताते हैं, कहते हैं कि हमारे पास टीजीटी, पीजीटी व बीएसए बनने जैसे अवसर हैं। आकांक्षा मौजूदा सरकार को लेकर कहती हैं कि सुरक्षा पर तो काम हुआ है लेकिन तमाम और जगहों पर काम की जरूरत है, सरकार का फोकस निजीकरण की तरफ है जो ठीक नहीं है। दूसरी बात यह कि जब चुनाव समय पर हो सकते हैं तो भर्तियां क्यों नहीं। गांव के शौचालय की स्थिति बेहद खराब
हमने आरती से पूछा कि सरकार की हर घर शौचालय की स्कीम कितनी प्रभावी है, वह कहती हैं कि तमाम दावे सिर्फ कागजों पर ही हैं। हकीकत एकदम अलग है। गांव में शौचालय इतना जर्जर है कि अब किसी के पास बचा ही नहीं। सरकार जिस दावे के साथ बखान करती है उसे उसी तरह काम करके दिखाने की जरूरत है। साक्षी भर्ती नहीं आने से युवाओं के डिप्रेशन में जाने और सुसाइड के लगातार मामलों पर चिंता जताती हैं। पारुल चौरसिया कहती हैं कि राम मंदिर बनाना गलत नहीं लेकिन उसका प्रचार बहुत ज्यादा किया गया। राम मंदिर का उद्धाटन सरकार को राम नवमी के दिन करना था। बीजेपी सरकार जितना धर्म पर ध्यान देती है उतना बेरोजगारी पर नहीं। मन की बात में दूसरे के मन की बात की फिक्र नहीं। आप प्राइमरी स्कूलों को देखिए। एक स्कूल में 1-2 टीचर हैं, उन्हीं से मिड-डे मील से लेकर बाकी सारे काम करवाए जा रहे। इसके अलावा कई मुस्कान, पारुल, प्रिया, कीर्ती सहित कई और लड़कियों ने अपनी बातों को रखा। कॉलेज के बाद हम कोतवाली पहुंचे। भाजपाई हूं लेकिन साक्षी महाराज को वोट नहीं दूंगा
उन्नाव कोतवाली के पास हमें सुशील दीक्षित और अश्वनी शुक्ला मिले। सुशील कहते हैं, साक्षी महाराज अगर अकेले लड़ जाएं तो 300 वोट नहीं पा सकते। मोदी-योगी के नाम पर वह सांसद बने हैं। यहां साधु-महात्माओं को बुलाकर साक्षी महाराज करोड़ो रुपए खर्च कर देते हैं लेकिन आज तक एक भी सड़क नहीं बनवाई। आप उनके गौशाला में चले जाइए, आपको हर दिन गाएं मरी हुई मिलेंगी। सुशील के ही बगल अश्वनी शुक्ला खड़े थे। वह कहते हैं, मैं जन्म से भाजपाई हूं लेकिन साक्षी महाराज के चलते नोटा पर वोट दूंगा। क्योंकि साक्षी महाराज ने यहां एक भी काम नहीं करवाया है। हमने कहा कि दूसरों को भी दे सकते हैं वह कहते हैं कि बाकियों का तो दूल्हा भी तय नहीं, हमारे में तो मोदी हैं। श्याम सुंदर कहते हैं कि साक्षी महाराज का यहां जबरदस्त विरोध है। यहां के किसान गौवंश से परेशान हैं, पूरा दिन वह मजदूरी करते हैं और रात में छुट्टा जानवरों से अपने खेत बचाते हैं। रही बात बीजेपी के 400 पार की तो इस बार ये लोग 272 के बहुमत तक भी नहीं पहुंच पाएंगे। इसके अलावा भास्कर का चुनावी रथ उन्नाव के शुक्लागंज बाजार में भी पहुंचा। यहां बड़ी संख्या में मजदूर मिले। उनमें तमाम ऐसे लोग हैं जिन्हें सरकार की तमाम योजनाओं का लाभ नहीं मिला। किसी का राशन कार्ड नहीं बना तो किसी पीएम आवास योजना का लाभ नहीं मिला। लगातार मजदूरी नहीं मिलने से भी वह परेशान दिखे। भास्कर पर पब्लिक ओपिनियन और भी है… कानपुर में वादे बहुत हुए पर काम कम; छात्राओं ने कहा- राम मंदिर बीजेपी को फायदा दे रहा दैनिक भास्कर का चुनावी रथ सोमवार को कानपुर पहुंचा। यहां हम जिले के अलग-अलग हिस्सों में गए। मजदूर, बुजुर्ग, महिला और युवाओं से बात की। यह समझने की कोशिश की कि कानपुर की दोनों लोकसभा सीटों पर किन मुद्दों पर वोट पड़ेगा? कौन से मुद्दे निर्णायक होंगे? यूथ को सरकार से क्या उम्मीद है? पूरी खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें…

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