अब तो चोरियां भी सफाई के मामले में अलग मुकाम पर पहुंच गई हैं! यहां एक ऐसी लूट की कहानी है जो कई बड़ी कंपनियों की नाक के नीचे हो रही थी और वे इससे अनजान थे क्योंकि इसे खुद कंपनी के कर्मचारी कर रहे थे। ब्रिटेन में कर्मचारियों द्वारा पिछले एक साल में तकरीबन 3.3 अरब पाउंड (34 हजार करोड़ रु.) की कीमत की चोरी हुई। बोल्टन, ब्रिटेन में मैनचेस्टर के करीब एक जगह है जहां एक हजार कर्मचारी एमेजॉन के रोबोट-संचालित गोदाम में ऑर्डर लेते व पैक करते हैं। यहां कन्वेयर बेल्ट 8 किमी लंबे हैं। आप समझ गए होंगे कि यहां किस स्तर पर काम होता है। 25 वर्षीय अरबाज जफर वहां काम करता था। उसकी तरह तमाम कर्मचारियों की अंदर-बाहर जाने पर चेकिंग होती है। वह एक पिन भी अंदर या बाहर नहीं ला सकता क्योंकि चौबीसों घंटे कैमरे की नजर रहती है। फिर भी उसे दिसंबर व फरवरी के बीच गोदाम से 46 आईफोन चुराने का दोषी पाया गया और कोर्ट में सजा सुनाई गई। सिर्फ वही नहीं, पिछले महीने तीन अन्य स्टाफ को गोदाम से 78.75 लाख रु. के स्मार्टफोन व इलेक्ट्रॉनिक्स चोरी करते हुए पकड़ा गया! खुद जफर ने बिना सुराग छोड़े 67,75,860 रु. कीमत के आईफोन चुराए। आप जानने को बेताब होंगे कि चोरी करने का यह कौन-सा तरीका है, आगे पढ़ें। वे लोग अपने लिए किताब जैसी छोटी चीज ऑर्डर करते थे, फिर पैकेजिंग में आईफोन रख देते थे और अपने घर के पते का लेबल लगा देते थे। बस उन्होंने एक गलती की कि अपने असली घर का पता लिख दिया। जफर के घर की तलाशी में एमेजॉन के पैकेट्स और 26.25 लाख रु. नकद मिले। रीटेल स्टोर्स को चोरी से बचने के लिए सुरक्षा व टेक्नोलॉजी पर भारी खर्च करना पड़ता है, फिर भी कई दुकानों से चोरी में 49 हजार करोड़ रु. का नुकसान हुआ। इसमें 34 हजार करोड़ का नुकसान तो सिर्फ कर्मचारियों द्वारा की गई चोरी से हुआ। मार्क एंड स्पेंसर, क्रिस्टियां डियॉ, नेक्स्ट और यहां तक कि हैरड्स जैसे स्टोर में भी कर्मचारियों को खुद को क्रेडिट नोट जारी करते हुए, या अपने लिए लाखों के हैंडबैग-आफ्टरशेव चोरी करते देखा गया। ये कैसे हो रहा है? क्योंकि, इस लूट में एक और पेंच है। हम भलीभांति जानते हैं कि कई स्टोर्स में स्थाई भुगतान में कटौती करने के लिए गिग वर्कर (अस्थायी कर्मचारी) रखना आम बात हो गई है, जिन्हें पीएफ या हेल्थ जैसी बाकी दुर्घटनाओं में कोई इंश्योरेंस का फायदा नहीं देना पड़ता। गिग कामगारों को रखते समय कई कंपनियां भी बैकग्राउंड चेक करना छोड़ देती हैं क्योंकि उन्हें भी काम के दबाव को कम करने के लिए वे कर्मचारी एक दिन या कुछ हफ्तों के लिए चाहिए होते हैं। ऐसे अपराधों का अध्ययन करने वाले सुरक्षा विशेषज्ञों और अकादमिक अध्ययनकर्ताओं को लगता है कि इन गिग कर्मचारियों की सप्लाई, चोरी आदि का विधिवत प्रशिक्षण देने के बाद संगठित माफिया करते हैं। इस क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञ कहते हैं कि ऑनलाइन शॉपिंग बढ़ने से वितरण केंद्रों पर कर्मचारियों द्वारा चोरी की वारदातें नाटकीय गति से बढ़ी हैं। विक्रेता खुद इसके लिए जिम्मेदार हैं, वे कर्मचारियों की जांच करने में विफल रहते हैं, नतीजतन गिरोह सप्लाई चेन में सेंधमारी करने में सफल हो जाते हैं। अमेरिका जैसे देशों में लॉजिस्टिक्स प्रबंधन में काम करने वाले हर व्यक्ति को ऐसी डार्क कहानियां बताई जाती हैं, ताकि वे भी ऐसे कोई सेंधमारी पकड़ सकें। यह वितरण व्यवसाय से जुड़े व्यक्तियों को अलर्ट रखता है। फंडा यह है कि एक पेशेवर के रूप में यदि आप वास्तविकता से बचते हैं (समाज में होने वाली घटनाएं, वह भी आपके क्षेत्र में) तो फिर उसके परिणामों से नहीं बच सकते।

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