वेस्ट यूपी की सीट बदायूं सपा का गढ़ मानी जाती है। शिवपाल यहां से अच्छा चुनाव लड़ सकते थे, मगर उन्होंने अपने बेटे आदित्य यादव के लिए सीट छोड़ दी। अब आदित्य गांव-गांव कैंपेनिंग कर रहे हैं, लोगों के मुद्दे समझ रहे हैं। यह उनका पहला चुनाव है। शुरुआत में धर्मेंद्र यादव चुनाव मैदान में थे, वह बदायूं से 2 बार सांसद भी रहे हैं। लेकिन अखिलेश यादव ने ऐन वक्त पर शिवपाल के नाम का ऐलान कर दिया। यादव परिवार के अंदर एक और सियासत चल रही थी। जिसकी धूरी बदायूं बनी। शिवपाल ने आदित्य की पॉलिटिकल एंट्री करवा दी। इसके बाद आम चुनाव में बदायूं सीट चर्चा में आ गई। इससे पहले लोगों ने बदायूं की सांसद संघमित्रा को मंच पर रोते हुए देखा। उनका टिकट कटा था। भाजपा ने ब्रज क्षेत्र के अध्यक्ष दुर्विजय शाक्य को कैंडिडेट बनाया, वह संघ की पसंद हैं, उन्हें संगठन का पूरा सपोर्ट भी है। बदायूं सीट पर भाजपा और सपा, दोनों कैंडिडेट पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं। यहां फाइट भी इन्हीं दोनों के बीच है। बसपा ने मुस्लिम कैंडिडेट मुस्लिम खां को उतारकर 15.91% मुस्लिम वोटर को नया विकल्प दिया है। मुस्लिम वोटर बंटता है, तब हार-जीत का मार्जिन कम हो सकता है। मौजूदा स्थिति में भाजपा के लिए बदायूं में चैलेंज ज्यादा है। इसकी 3 वजह दिखती हैं… बदायूं के लिए भाजपा की जोर आजमाइश
भाजपा के लिए बदायूं सीट प्रतिष्ठा का प्रश्न बन चुकी है। भाजपा अगर लगातार दूसरी बार बदायूं जीत जाती है तो यादव परिवार की एक और सुरक्षित सीट खत्म हो जाएगी। बदायूं में 1996 के बाद से सपा परिवार का वर्चस्व बना रहा, 2019 का चुनाव भाजपा जीत गई। अब आदित्य यादव इस सीट को बचाने के लिए चुनाव लड़ रहे हैं। आदित्य के सामने भाजपा से दुर्विजय शाक्य हैं। वह पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं, उन्हें संगठन का अनुभव है, मगर चुनाव का नहीं। वह मोदी-योगी के नाम पर चुनाव मैदान में हैं। कार्यकर्ताओं में जोश भरने के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आ चुके हैं। सीएम योगी आदित्यनाथ 3 बार बदायूं में जनसभाएं कर चुके हैं। PM नरेंद्र मोदी बगल की सीट आंवला की जनसभा से बदायूं को साध चुके हैं। 5 साल में सपा का वोट 2.91% घटा और सीट गंवानी पड़ी
2009 के चुनाव में सपा जीती। उनका वोट शेयर 31.07% था। टक्कर बसपा से थी, उन्हें 27.29% वोट मिले। 2014 के चुनाव तक सपा का वोट शेयर 16.8% बढ़कर 48.50% हो गया। एक बार फिर धर्मेंद्र यादव चुनाव जीत गए। दूसरे पायदान पर भाजपा के वागीश थे, उन्हें 32.31% वोट मिले। 2019 के चुनाव में सपा का वोट शेयर सिर्फ 2.91% घटा और उन्हें सीट गंवानी पड़ी। संघमित्रा को 47.30% वोट मिले। दरअसल, 1996 से 2004 तक यहां सपा के सलीम इकबाल शेरवानी बदायूं में सपा से जीतते रहे। भाजपा यहां 1991 और 2019, सिर्फ दो चुनाव जीत सकी है। इसलिए 2024 का चुनाव ज्यादा दिलचस्प माना जा रहा है। एक फैक्ट यह भी है कि बदायूं की 5 विधानसभा सीटों में 2 पर भाजपा के विधायक हैं। ये सीटें बदायूं और बिल्सी हैं। गुन्नौर, बिसौली और सहसवान सीटों पर सपा के विधायक हैं। 2019 के चुनाव में सपा, बसपा और रालोद गठबंधन में थे। मगर इसका फायदा बदायूं सीट पर नहीं मिला था। अब गठबंधन में कांग्रेस है। पॉलिटिकल एक्सपर्ट
क्या सपा के पक्ष में माहौल बन रहा है, दलित वोट भाजपा को शिफ्ट होता दिख रहा है क्या?
सीनियर जर्नलिस्ट सौरभ शंखधार कहते हैं, ‘बदायूं का वोटर साइलेंट है। भाजपा 400 पार के दावे में खोई हुई है, मगर बदायूं में सपा के पक्ष में माहौल है। भाजपा का वोटर कनेक्ट या लोकल मुद्दों पर कोई फोकस नहीं दिख रहा है। सपा कैंडिडेट गांव-गांव सभाएं करके लोगों के मुद्दों पर बात कर रहे हैं। इतना लगता है कि दलित वोट भाजपा को शिफ्ट हो सकता है। मुस्लिम-यादव सपा का साथ ही देंगे।’ पॉलिटिकल एक्सपर्ट अंशुल जैन कहते हैं, ‘शिवपाल यूपी की सियासत में बड़ा चेहरा हैं। इसका माइलेज आदित्य को मिल रहा है। वह यूथ के चेहरे हैं, वह कैंपेन में हर वर्ग को सम्मान देते दिखते हैं। सोशल मीडिया पर भी एक्टिव हैं। यादव परिवार खुद बदायूं चुनाव की मॉनिटरिंग कर रहा है।’ अंशुल कहते हैं, ‘बसपा ने बदायूं में आखिरी वक्त पर अपना कैंडिडेट घोषित किया, ऐसे में बसपा कैंडिडेट को प्रचार के लिए पूरा वक्त नहीं मिल सका है। बसपा मुस्लिम वोटर्स में सेंधमारी करने की कोशिश में है, लेकिन बहुत कामयाब होती नहीं दिख रही है। 17% दलित वोट बसपा को मिल सकता है। मुस्लिम और यादव वोट बैंक सपा के साथ खड़ा दिख रहा है।’ लोग बोले- योगी-मोदी ने यूपी में डेवलपमेंट कराया
बदायूं में चुनाव कितना टक्कर का दिख रहा है? इस सवाल पर रामनरेश करते हैं,’ आदित्य को लेकर चुनावी माहौल अच्छा है। यह युवा हैं, लोगों की बात सुनते हैं। यहां से जीतते हैं, तो अच्छा होगा।’ कुछ दूरी पर मौजूद व्यापारी सुनील कहते हैं, ‘भाजपा के दुर्विजय शाक्य ही जीतेंगे। यूपी में खूब डेवलपमेंट हुए हैं। योगी-मोदी सबकी पसंद हैं। सुरक्षित माहौल सिर्फ भाजपा दे सकी है। इसलिए लोग कमल को ही चुनेंगे।’ पॉलिटिकल लीडर क्या कहते हैं… …………………………………………………………… पीलीभीत में क्या हैं टॉप इश्यू, पढ़िए ये स्टोरी हवा का रुख : तीसरे फेज की 5 में 2 सीटों पर भाजपा आगे:3 पर ध्रुवीकरण हुआ तब भी टक्कर; शिवपाल ने बदायूं में बेटे के समीकरण सेट किए टॉप इश्यू : राम मंदिर और आवारा पशु पीलीभीत का बड़ा मुद्दा:यहां BJP मैटर करती है; पब्लिक के लिए जितिन नया फेस; किसान बदल सकते हैं समीकरण ग्राउंड रिपोर्ट : नेपाल बॉर्डर पर हिंदुस्तान के आखिरी गांव में चुनावी माहौल:न बैनर, न होर्डिंग; पब्लिक को प्रत्याशी पता नहीं; महिला बोली-सिर पर गठरी ही हमारी जिंदगी ताजा खबरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऐप डाउनलोड करें। इस लोकसभा सीट पर क्या हैं जनता के मुद्दे और क्या है चुनावी हवा। चुनाव का सबसे सटीक और डीटेल एनालिसिस।

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