लोकतंत्र के यज्ञ की आधी से ज़्यादा आहुति पूरी होने वाली है, 7 मई को। पहले चरण में 102 और दूसरे चरण में 88 सीटों पर मतदान हो चुका है। तीसरे चरण में सात मई को 94 सीटों पर मतदान होने वाला है। इसके बाद 543 में से आधे से अधिक यानी 284 सीटों पर मतदान पूर्ण हो जाएगा। बहुत हद तक परिणाम के अंदाज़े भी पुख़्ता रूप लेते जाएँगे। कम वोटिंग का मतलब किसके लिए क्या? इससे किसे फ़ायदा और किसे नुक़सान? चर्चाएँ ज़ोरों पर होंगी। नेताओं के भाषणों, आरोपों- प्रत्यारोपों में, और अधिक तल्ख़ी आएगी। कुछ हद तक हल्कापन भी आ सकता है। उनकी आक्रामकता यकायक ग़ुस्से में बदलती जाएगी। इस बीच पिछले हफ़्ते राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के क्रमश: अमेठी और रायबरेली से चुनाव लड़ने की संभावनाएँ ज़ोरों पर थी लेकिन ये संभावनाएँ तब क्षीण गईं जब राहुल ने अमेठी की बजाय रायबरेली से नामांकन पत्र दाखिल कर दिया और प्रियंका एक बार फिर चुनाव लड़ने से दूर ठिठक गईं। जाने क्यों, कांग्रेस प्रियंका को चुनाव लड़ाने से बचती फिरती है? हो सकता है यह प्रियंका का अपना निर्णय हो, लेकिन इसे ठीक तो नहीं कहा जा सकता। दरअसल, सत्ता पक्ष के आरोपों का सही और सटीक जवाब फ़िलहाल कांग्रेस की तरफ़ से प्रियंका ही दे रही हैं। लोग उनकी बातों को सुन भी रहे हैं। हो सकता है नेतृत्व क्षमता उनमें हो! कहीं, कांग्रेस उन्हें नेतृत्व सौंपने से डर तो नहीं रही है? बेहतर होता कि राहुल अमेठी से चुनाव लड़ते और प्रियंका रायबरेली से। लेकिन यहाँ तो मामला उल्टा ही पड़ गया। अमेठी की बजाय रायबरेली से चुनाव लड़ने के राहुल के निर्णय के बाद भाजपा उन्हें भगोड़ा कहने लगी सो अलग! भाजपा ने तो यहाँ तक कह दिया कि राहुल जी बार- बार सीटें बदलने से कुछ नहीं होने वाला है। क्योंकि दिक़्क़त सीटों में नहीं, आप में है! इस नए आरोप के सामने कांग्रेस के पास कोई जवाब नहीं है। अकेली प्रियंका गांधी आख़िर किस किस को जवाब देंगी? बाक़ी कांग्रेसी नेताओं को तो कोई जवाब सूझ ही नहीं रहा। इक्का- दुक्का कोई बोल भी रहा है तो, या तो उनकी कोई सुन नहीं रहा है या सुन भी रहा है तो तवज्जो नहीं दे रहा है। भाजपा उत्तर और मध्य भारत में जहां उसकी अधिकतम सीटें पहले से हैं, उनमें कुछ सीटें कम होने की आशंका से परेशान है, वहीं कांग्रेस इन इक्का- दुक्का सीटों को जीतने की संभावना से ही ख़ुश हो रही है। विपक्ष को इस तरह कमजोर स्थिति में देखना ठीक तो नहीं लगता, लेकिन समय और परिस्थितियों का कोई क्या कर सकता है?

By

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Subscribe for notification