चुनाव चल रहे हैं और धर्म, समाज, सब कुछ किसी न किसी रूप में चुनावी गणित के मुख्य किरदार बने हुए हैं। ऐसे में सेक्युलरिज्म या धर्मनिरपेक्षता को समझना ज़रूरी है। आख़िर ये धर्मनिरपेक्षता क्या है? अक्सर लोग इसका अर्थ शब्दकोशों में ढूँढते हैं। यह ठीक नहीं। दरअसल, धर्मनिरपेक्षता का संबंध समाज से नहीं, राज्य से है। शासन से है। हमारा समाज तो पूरी तरह धार्मिक है, लेकिन शासन या राज्य धर्मनिरपेक्ष होता है। इस मायने में देखा जाए तो गांधी जी सबसे बड़े हिंदू और मौलाना आज़ाद बहुत बड़े मुसलमान थे, लेकिन दोनों धर्मनिरपेक्ष थे। कुल मिलाकर धर्मनिरपेक्षता का मतलब अधार्मिक होना या किसी धर्म को न मानना क़तई नहीं है। मोटे तौर पर धर्म एक तरह की जीवन शैली है। यह अंधे का हाथी भी नहीं कहा जा सकता और रिलीजन जैसे शब्द में सीमित या समाहित भी नहीं हो सकता। हिंदुस्तान में विभिन्न धर्मों के लोग रहते हैं, लेकिन धार्मिक होने के बावजूद ये लोग एक ऐसे समाज में रहना चाहते हैं जिसमें शांति, भाईचारा और आपसी एकता हो। यहीं शासन की भूमिका स्पष्ट होती है। कोई राज्य या स्टेट या शासन धर्मनिरपेक्ष (सेक्युलर) हो यह ज़रूरी है, लेकिन वह भी अधार्मिक नहीं हो सकता। शासन इस तरह धर्मनिरपेक्ष हो सकता है कि वह एक धर्म को दूसरे पर हावी न होने दे। सभी धर्मों का बराबर यानी समान आदर करे। यदि कभी दो धर्मों में टकराव हो तो शासन दोनों से बराबर दूरी बना ले और फिर अपना निर्णय सुनाए। इन्हीं संदर्भों में हमारा राज्य या शासन धर्मनिरपेक्ष हो सकता है। यहाँ समाज की धर्मनिरपेक्षता के बजाय शक्ति के धर्मनिरपेक्षीकरण की बात ज़्यादा प्रासंगिक है। इस परिप्रेक्ष्य में महान राजनीतिज्ञ अटल बिहारी वाजपेयी के मुताबिक सेक्युलरिज्म को धर्मनिरपेक्ष के बजाय सर्व धर्म समभाव कहें तो ज़्यादा बेहतर होगा। इनसाइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका में सेक्युलरिज्म की परिभाषा उपयोगितावादी नैतिकता के रूप में की गई है जिसकी अभिकल्पना मानव जाति के भौतिक, आध्यात्मिक और नैतिक सुधार के लिए की गई हो। … और जो धर्म के आस्तिकता संबंधी पक्ष की न तो पुष्टि करता हो और न ही उसका खण्डन करता हो। इनसाइक्लोपीडिया ऑफ़ सोशल साइंसेस में इसकी परिभाषा ज्ञान का स्वायत्त क्षेत्र स्थापित करने के ऐसे प्रयास के रूप में की गई है जो अलौकिक हो और तमाम पूर्व धारणाओं से मुक्त भी। एआर ब्लैकशीड ने पश्चिम में सेक्युलरिज्म की सीमाओं को नियत करने का प्रयास किया। उनके अनुसार सेक्युलरिज्म का अर्थ धार्मिक स्वतंत्रता, सहिष्णुता, हेतुवाद, भौतिकवाद और मानववाद आदि विचारों के प्रति आदर माना जा सकता है। डोनाल्ड यूजीन स्मिथ ने भारतीय संदर्भ में सेक्युलरिज्म की जो परिभाषा दी, उसके अनुसार धर्मनिरपेक्ष राज्य वह है जो धर्म की व्यक्तिगत तथा समवेत स्वतंत्रता प्रदान करता है और जो न तो किसी धर्म का प्रचार करता है और न ही उसमें हस्तक्षेप करता है। पश्चिम के विपरीत, भारत में सेक्युलरिज्म का जन्म किसी चर्च तथा राज्य के परस्पर संघर्ष के कारण नहीं हुआ। इसकी जड़ें संभवतया भारत के अपने इतिहास तथा उसकी अपनी संस्कृति में विद्यमान हैं। हो सकता है कि वह उसके बहुलवाद का तक़ाज़ा हो या हो सकता है इसके पीछे संविधान निर्माताओं की यह इच्छा रही हो कि वे संख्या के भेदभाव के बिना, सभी समुदायों के प्रति न्यायोचित तथा निष्पक्ष व्यवहार करें।

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