मैनपुरी में सपा को मुस्लिम-यादव फैक्टर के साथ मुलायम के निधन की सहानुभूति का फायदा मिल रहा है। सपा सांसद डिंपल यादव चुनावी मैदान में हैं, उनको सीधी फाइट भाजपा के ठाकुर जयवीर सिंह से मिल रही है। जनरल बिरादरी के जयवीर ठाकुर, शाक्य और भाजपा के कोर वोट बैंक के सहारे चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन उनकी राह आसान नहीं दिख रही। गुंडागर्दी और लॉ एंड ऑर्डर के मुद्दों पर जयवीर सपा के गढ़ में सेंधमारी की कोशिश कर रहे हैं। अमित शाह और योगी आदित्यनाथ मैनपुरी में हिंदू, हिंदुत्व और राम मंदिर की बातें कर रहे हैं। मगर डिंपल अकेले ही भाजपा के कुनबे पर भारी दिख रही हैं। हालांकि मैनपुरी 28 साल से सपा की सुरक्षित सीट रही है। मायावती ने यादव बहुल सीट पर गुलशन देव शाक्य का टिकट काट दिया। यादव कैंडिडेट को उतारकर सपा को डेंट देने की कोशिश की है। वेस्ट यूपी में मैनपुरी चुनिंदा सीटों में से एक है, जहां चुनाव हिंदू-मुस्लिम नहीं हो रहा है। 14.5% जनरल वोटर के साथ अगर भाजपा को 49.9% ओबीसी वोटर्स का सपोर्ट नहीं मिला, तो मैनपुरी में जीतना मुश्किल होगा। इसकी 3 वजह दिखाई पड़ती हैं… रामपुर-आजमगढ़ की तरह सपा के वर्चस्व वाली सीट मैनपुरी छीनकर भाजपा देना चाहती है बड़ा मैसेज… 2024 लोकसभा चुनाव में मैनपुरी सीट पर ये चेहरे आमने-सामने पॉलिटिकल एक्सपर्ट
क्या मुलायम की मौत के 2 साल बाद भी सहानुभूति फैक्टर काम करेगा?
सीनियर जर्नलिस्ट दिलीप शर्मा कहते हैं, ‘मैनपुरी मुलायम की कर्मभूमि रही है। उन्होंने मैनपुरी के लोगों से अपनेपन का रिश्ता बनाया। पिछड़ों की राजनीति की। नेताजी के निधन के बाद उपचुनाव में डिंपल को हर वर्ग का वोट मिला। मगर, इस बार सहानुभूति वाला फैक्टर नहीं है। सपा का जो परंपरागत वोट बैंक है, वो ही उनके साथ है। क्या डिंपल छोटी-छोटी सभाएं करके जनता से कनेक्ट हो रही हैं?
दिलीप कहते हैं, ‘डिंपल 2 महीने से गांव-गांव जाकर लोगों से मिल रही हैं। पिछले उपचुनाव में डिंपल के साथ अखिलेश और पूरा यादव परिवार था, लेकिन इस बार ऐसा नहीं है। अखिलेश केवल नामांकन के समय उनके साथ रहे। शिवपाल, रामगोपाल, धर्मेंद्र यादव भी अपने-अपने चुनाव में व्यस्त हैं। वहीं, विपक्ष की ओर से बड़े-बड़े नेता जनसभा कर रहे हैं। मगर, डिंपल यादव गांवों में छोटी-छोटी सभा कर रही हैं। लोगों के बीच इसका पॉजिटिव मैसेज भी जा रहा है। उनकी छवि भी बेदाग है। जिस अंदाज में वो महिलाओं से मिल रही हैं और अपनी बात रख रही हैं। वो उनकी इमेज को और मजबूत बना रहा है।’ डिंपल के सामने क्या चुनौती है?
दिलीप कहते हैं, ‘मैनपुरी में एक बड़ा तबका ऐसा है जो सपा सरकार में परेशान था। भाजपा शासन में कानून व्यवस्था में सुधार हुआ है। लोगों में इसकी चर्चा है। डिंपल के सामने ये बड़ी चुनौती होगी कि वह लोगों को विश्वास दिला सके कि किसी के साथ गलत नहीं होने दिया जाएगा।’ जानिए मैनपुरी इतनी अहम सीट क्यों बन गई है…
सपा के गढ़ में 2022 में भाजपा ने मैनपुरी में 2 विधानसभा जीतीं
वेस्ट यूपी की मैनपुरी में 4 विधानसभा सीटें आती हैं। भोगांव, मैनपुरी, किशनी (सुरक्षित), करहल। 2022 के विधानसभा चुनाव में 2 सीटें भाजपा ने जीती थीं। मैनपुरी में भाजपा के जयवीर सिंह को 61.5 % वोट मिले। भोगांव में भाजपा के रामनरेश को 62% वोट मिले। किशनी और करहल सीटें सपा ने जीतीं। करहल में अखिलेश को 65.5 % वोट मिले थे। VIP सीट मैनपुरी का माहौल पब्लिक से समझिए… लोग बोले-मैनपुरी में टक्कर का मुकाबला ही नहीं वीआईपी सीट के माहौल को समझने के लिए हम मैनपुरी बस अड्‌डा पहुंचे। चाय की दुकान पर सुमन कुमार से मुलाकात हुई। कौन जीत रहा है? वह बोले, ‘भइया यहां टक्कर में कोई नहीं, डिंपल ही जीतेंगी। मैनपुरी में सपा ने ही डेवलपमेंट कराया है। विधानसभा चुनाव में सिर्फ 5 हजार वोट से जयवीर जीते थे। इस बार उनके सामने डिंपल यादव हैं। पास में ही कोल्ड ड्रिंक की दुकान चलाने वाले अनुज कहते हैं, ‘केंद्र में भले ही भाजपा आए, मगर मैनपुरी में सपा ही जीतेगी। नेताजी का काम आज भी बोल रहा है। यूपी में सीएम योगी ने अच्छा काम कराया, मगर मैनपुरी तो सपा के पास ही रहेगी।’ भाजपा के लिए चुनाव का चेहरा मोदी
अब हम बस अड्‌डे से आगे बाजार में पहुंचे, यहां रानू भदौरिया से मुलाकात हुई। वो कहते हैं, ‘चुनाव में समीकरण बिल्कुल अलग है। इस बार सपा और भाजपा में कांटे की टक्कर है। वो समय चला गया। प्रत्याशी कोई भी हो, लेकिन चेहरा मोदी का ही है। ठीक है यहां पर मुलायम सिंह ने काम किया, लेकिन ऐसा भी नहीं है कि भाजपा ने काम नहीं किया। ऐसा नहीं कह सकते कि सपा की एक तरफा जीत होगी।’ सपा शासन की गुंडागर्दी से यहां के लोग भी परेशान
मैनपुरी रेलवे स्टेशन के पास पेड़ के नीचे सैलून चलाने वाले गिरीश चंद्र कहते हैं, ‘चुनाव में सपा ही आगे लग रही है। मगर, सपा के टाइम बड़ी दिक्कत ये है कि गरीब और छोटे लोग परेशान रहते हैं। गुंडागर्दी भी खूब होती है। मगर, योगी के राज में इस पर लगाम लगी है।’ पास में बैठे हरिदास कहते हैं, ‘हम सपा को वोट देते आ रहे हैं। सपा के लोग ही परेशान करते हैं। जमीन पर कब्जा करा लिया। इसके बाद सुनवाई भी नहीं होती थी। सपा के टाइम में सबसे बड़ी दिक्कत यही थी।’ महिलाएं बोलीं- डिंपल को जीतना चाहिए
मार्केट में सब्जी का ठेला लगा रही रूबी सक्सेना कहती हैं, ‘डिंपल को जीतना चाहिए।’ कभी उनसे मिलीं हैं? वह कहती हैं, ‘नहीं उन्हें बस टीवी और मोबाइल पर ही देखा है।’ सब्जी खरीद रही रचना कहती हैं, ‘डिंपल की इमेज काफी अच्छी है। उनके अंदर घमंड नहीं है। अच्छी बात ये है कि इस बार वो अकेले ही कैंपेनिंग कर रही हैं, वह खुद हर व्यक्ति से जुड़ रही हैं। इसका फायदा डिंपल को मिलेगा।’ पॉलिटिकल लीडर ……………………………………………………….

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