सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन का सही तरीके से पालन नहीं कराने से संविदा पर कार्यरत दो कर्मचारियों की जान गई है। पिता-पुत्र की मौत के बाद विभाग ने 2 जेई को सस्पेंड कर दिया है। मौत के लिए जिम्मेदार जल निगम के जेई मोनिश और गुडलक वर्मा को सस्पेंड कर दिया गया है। हालांकि इसके घटना के लिए कार्यदायी संस्था के केके स्पेन और उसके इंजीनियर अथर कादरी ज्यादा जिम्मेदार है। उसके अलावा तीन सुपरवाइजर पूरे इलाके के लिए तैनात है। उसके बाद भी इस स्तर पर लापरवाही से जल निगम की व्यवस्था की पोल खुल गई है। बताया जा रहा है कि मामले में सीधे नगर विकास मंत्री एके शर्मा ने हस्तक्षेप करते हुए तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए थे। विभाग से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि पिछले 5 साल में लखनऊ में इस तरह की लापरवाही से 7 कर्मचारियों की जान जा चुकी है। उसके बाद भी इस स्तर पर लापरवाही करने से कार्यदायी संस्था और उसके लोग बाज नहीं आते हैं। सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन के खिलाफ जाकर काम किया
सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर 2023 में सीवर सफाई को लेकर नए सिरे से गाइड लाइन दिया था। उसमें साफ लिखा था कि अगर किसी मजबूरी में सफाई कर्मचारी सीवर में उतरता है तो उस दौरान सभी मानक का पूरा ध्यान रखा जाएगा। इसमें ऑक्सीजन मास्क सबसे जरूरी है। इसके अलावा बाकी सुरक्षा उपकरण भी नहीं लिया गया था। काफी समय से मैनहोल बंद था इसलिए अंदर आक्सीजन नहीं थी। इस वजह से दोनों की दम घुटने से मौत हो गई। जानते हैं कि नियम क्या है
मैनुअल स्कैवेंजिंग एक्ट 2013 के तहत सीवर में सफाई के लिए किसी भी व्यक्ति को मैनहोल में नहीं उतारा जा सकता है यह पूरी तरह गैर-कानूनी है। अगर व्यक्ति को सीवर में उतारना ही पड़ जाए तो उसके लिए कई तरह के नियमों का पालन जरूरी है। मसलन, जो व्यक्ति सीवर की सफाई के लिए उतर रहा है, उसे ऑक्सीजन सिलेंडर, स्पेशल सूट, मास्क, सेफ्टी उपकरण इत्यादि देना जरूरी है। सफाई के दौरान कम से कम तीन कर्मचारी व एक पर्यवेक्षक को रहना चाहिए। मेनहोल के भीतर आक्सीजन की कमी और सम्मिलित विषैली गैसों के लिए परीक्षण करना चाहिए। एक फ्लैग मैन स्थल से 50 फीट आगे तैनात हो जो कि 500 फीट के लिए आने वाले यातायात के लिए दिखाई दे। ठेकेदारी प्रथा की वजह से होते हादसा
लखनऊ जल संस्था एवं नगर निगम चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी संघ के अध्यक्ष शैलेश धानुक का कहना है कि, सफाई के लिए आधुनिक मशीनों की सुविधाएं नहीं होने और ज्यादातर जगहों पर अनुबंध की व्यवस्था होने से सफाईकर्मियों की मौतें हो रही हैं। विभाग सफाई कर्मियों के हितों का उचित ध्यान नहीं रखती हैं। ठेकेदार केवल कमाई के लिए काम करता है। किसी भी कार्यदायी संस्था के अनुबंध के कार्य को देखने का जिम्मा संबंधित विभाग के प्रोजेक्ट हेड के पास होता है। ब्लैक लिस्ट कंपनी को कोर्ट से मिली राहत
जिस कंपनी को काम मिला है कि वह ब्लैक लिस्ट हो चुकी थी। हालांकि उसके बाद वह कोर्ट चली गई। सुप्रीम कोर्ट से उसको राहत मिली। उसके बाद वहां से स्टे मिला तो कंपनी से यहां फिर से काम शुरू कर दिया। हालांकि कई बार इस कंपनी के खिलाफ जुर्माना और बाकी तरह की कार्रवाई की गई है। जानते हैं लखनऊ में पिछले 14 साल में हुई मौत आश्रितों को मिलेगा 30 लाख रुपए मुआवजा
शोबरन व सुशील के परिजनों को मुआवजे के तौर पर 30 लाख रुपए मिलेंगे। सीतापुर से परिजन देर रात तक लखनऊ पहुंच गए। बता दें कि मैनुअल स्क्वेजंर्स एंड रिहेब्लिएशन एक्ट के अंतर्गत शासनादेश के तहत सीवर व सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान कर्मियों की मौत होने पर उनके परिजनों को 30 लाख रुपए दिए जाने का प्राविधान है। वहीं, पूर्ण रूप से अपंग होने पर 20 लाख और आंशिक रूप से अपंग होने पर 10 लाख रुपए मिलेगा।
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