मुझे गाल ब्लैडर में स्टोन है। अस्पताल में दिखाया, तो ऑपरेशन का खर्च 55 हजार बता दिया। इतने पैसे कहां से लाते? अस्पताल में आयुष्मान कार्ड दिखाया। उन्होंने मना कर दिया कि हमारे यहां ये नहीं चलेगा। फिर कई अस्पतालों में गए। मगर ऑपरेशन नहीं हो पाया। यह कहते हुए अमजद अली लंबी सांस छोड़ते हैं। वह फतेहपुर सीकरी में किले के बाहर आइसक्रीम बेचते हैं। हमने पूछा- क्या राशन मिलता है? जवाब में कहा- साढ़े 4 किलो में क्या परिवार चलता है? महंगाई इतनी कि हर चीज के दाम 4 गुना बढ़ गए। तब वोट किसे करेंगे? जवाब मिला- किसी को तो देंगे ही। ऐसा नहीं है कि फतेहपुर सीकरी में किसी को सरकारी योजनाओं का फायदा नहीं मिला। हमारी मुलाकात संदीप कुमार से हुई। हमने पूछा- क्या सरकारी योजनाओं की मदद मिल रही है? संदीप कहते हैं- हमने इश्तहार देखकर आवेदन किया। सरकारी मदद से हमारा पक्का घर बन गया। कोटेदार से फ्री में राशन भी मिलता है। जिला अस्पताल से आयुष्मान कार्ड बना, मगर उसका इस्तेमाल नहीं किया। हमने पूछा- 7 तारीख को वोट किसे करने वाले हैं? बोले- जिसने फायदे दिए, उन्हीं को वोट भी करेंगे। पास खड़े पवन और अमन बीच में कहते हैं- राशन हमें भी मिलता है, बहुत मदद हो जाती है। चूड़ियों के शहर फिरोजाबाद में फ्री राशन का पॉजिटिव माहौल दिखा। बरेली, आंवला, एटा में लोगों की सत्ता पक्ष से नाराजगी दिखी। संभल, हाथरस, मैनपुरी में 50:50 अनुपात में ऐसे लोग मिले। जिन्हें फायदा मिला, वे वोट देते वक्त इसको ध्यान में रखने की बात भी कहते हैं। पश्चिम के 2 फेज के चुनाव में फ्री राशन का असर दिखा, मगर तीसरे फेज में असर सिर्फ हिंदू वोटर्स पर दिखा। 10 सीट पर 7 मई को वोटिंग है, पहले यहां के सियासी समीकरण देखिए… 10 सीट पर योजनाओं का असर, 3 पॉइंट में समझिए… आयुष्मान हेल्थ कार्ड : ज्यादातर लोगों के आयुष्मान कार्ड नहीं बने हैं। एक्टिव राशन कार्ड और परिवार में 5 सदस्यों की अनिवार्यता के नियमों में लोग फंसे दिखे। ऐसे लोगों को फ्री इलाज भी नहीं मिला। ये लोग विपक्ष की पार्टियों को वोट देने की बात कहते हैं। फ्री राशन : फ्री राशन लोगों को मिल रहा है। मुस्लिम परिवार फ्री राशन योजना को वोटिंग का आधार नहीं मानते। गर्मी में बाजरा मिलने से लोग नाराज दिखे। फायदा लेने वाले लोग योगी-मोदी के फेस पर वोटिंग करने की बात करते हैं। PM आवास : सबको फायदा नहीं मिल रहा। नियम है कि परिवार का कोई सदस्य अगर 1.20 लाख सालाना से ज्यादा कमाता है, तो आवास नहीं मिलेगा। 10 सीटों पर एक बड़े तबके में इस योजना का फायदा नहीं मिलने की नाराजगी दिखी। सरकारी योजनाओं के असर को समझने का हमारा सफर फतेहपुर सीकरी से शुरू हुआ… फतेहपुर सीकरी में आयुष्मान, उज्ज्वला असरदार, मगर जिन्हें फायदा नहीं, वो नाराज
शहर में दाखिल होते ही हमारी मुलाकात इरफान से हुई, हमने पूछा- गैस कनेक्शन, राशन, सम्मान निधि.. किसका फायदा ले रहे? वह नाराज होकर बोले- हमें कुछ नहीं मिलता। न पानी, न रोजगार। इलाज करवाना था, जिला अस्पताल खूब दौड़े-भागे। मगर आयुष्मान कार्ड नहीं बन सका। वो लोग कहते हैं कि राशन कार्ड में परिवार के लोग कम दर्ज हैं, ऐसा होता है क्या? फिर सरकार फ्री राशन दे रही है। उसमें 2 किलो बाजरा आता है, उसका गर्मी में क्या करें? हम कबूतरों को खिला देते हैं। वैसे भी ये राशन स्कीम, तो कांग्रेस के समय की है। दयाशंकर उपाध्याय कहते हैं- हमें प्रधानमंत्री आवास मिला, उज्ज्वला योजना में गैस-चूल्हा मिला। सिलेंडर भी इधर कुछ सस्ता हो गया है। मेरी पत्नी का ऑपरेशन होना था, आयुष्मान कार्ड से 40 हजार की मदद मिल गई। हर महीने फ्री राशन भी मिल जाता है। बाकी सरकारों ने इतना गरीबों के लिए नहीं सोचा। बुलंद दरवाजे के पास चांद खां कैमरा देखकर हटने लगते हैं। हमने पूछा- सरकारी योजना का फायदा तो लेते होंगे? जवाब मिला- हमें कोई फायदा नहीं मिला। ज्यादा कहेंगे तो घर पर बुलडोजर आ जाएगा। यह कहते हुए वह आगे बढ़ गए। थोड़ी दूर पर खड़े मूलचंद कहते हैं- फ्री राशन और आयुष्मान की मदद बहुत है। जो लोग वोट देने जाएंगे, इसका ख्याल जरूर रखेंगे। फिरोजाबाद में फ्री राशन से पॉजिटिव माहौल
अब हम फिरोजाबाद पहुंचे। यहां ठेले पर कांच की चूड़ियां बेचते अनीस खां दिखे। उज्ज्वला कनेक्शन मिला या फ्री राशन? वह खफा होकर बोले- मुझे कुछ नहीं मिला। कोशिश की हमने, फॉर्म भी भरा, मगर कोटेदार राशन नहीं देता। 20 साल से ठेला ही खींच रहे हैं, आगे भी यही करेंगे। पास खड़े अनवर अहमद कहते हैं- हमें कुछ नहीं चाहिए। न हम मांगते हैं। हमने पूछा- तब वोट किसे करेंगे? वह कहते हैं- हमारे वोट तय हैं, सब एक ही डायरेक्शन में जाएंगे। यहां से करीब 2 किमी शहर के अंदर जाने पर हमारी मुलाकात संदीप कुमार से हुई। हमने पूछा- क्या सरकारी योजनाओं की मदद मिल रही? संदीप कहते हैं- हमने इश्तहार देखा, आवेदन किया। सरकारी मदद से हमारा पक्का घर बन गया है। कोटेदार से फ्री में राशन भी मिलता है। जिला अस्पताल से आयुष्मान कार्ड भी बन गया है, मगर उसको इस्तेमाल नहीं किया है। हमने पूछा 7 तारीख को किसे वोट करने वाले हैं? वह बोले- जिसने फायदे दिए, उन्हीं को वोट भी करेंगे। पास खड़े पवन और अमन बीच में कहते हैं- राशन तो हमारे घर भी पहुंच रहा है। बहुत मदद हो जाती है। हाथरस : सरकारी सिस्टम से राहत नहीं, ऐसे लोग सत्ता से नाराज
अब हम हाथरस पहुंचे। पहली मुलाकात चंद्रपाल सिंह से हुई। हमने पूछा- फ्री इलाज और राशन मिला क्या? वह कहते हैं- हमारी गुजर-बसर अपने बूते हो रही। राशन कार्ड बनवाने गए थे, ऑफिस में बाबू ने कह दिया कि अभी तो कार्ड नहीं बन रहे। 1 साल हो गया दौड़ते-दौड़ते। ऐसे ही CMO ऑफिस से आयुष्मान कार्ड भी नहीं बना। वहां भी हमें नियम-कानून समझा दिए गए। यहां से कुछ दूर घर के बाहर बैठे राजेंद्र वार्ष्णेय कहते हैं- हमारी 5 बीघा खेती है। टाइम से हमारे बैंक खाते में 2 हजार रुपए सम्मान निधि के आते हैं। हमें तो आवास नहीं मिला, लेकिन हमारे कई जानने वाले लोगों को मिले हैं। यह सब कमल का बटन ही दबाएंगे। कुछ और आगे बढ़ने पर हमें ठेला लगाकर बैठे चंद्रमोहन मिले। वह कहते हैं- हमारा राशन कार्ड ही नहीं बना। इसलिए गेहूं-चावल भी नहीं मिलता। फ्री इलाज के लिए आयुष्मान कार्ड का आवेदन किया था, वह भी नहीं बना। एक दुकान पर हमें रेखा मिलीं। हमने पूछा- सिलेंडर महंगे तो नहीं मिल रहे? वह कहती हैं- आज लड़कियां आराम से घूमती हैं, उन्हें सिक्योर माहौल मिल रहा है। हमारी रसोई में जो चूल्हा रखा है, वह मुफ्त में सरकार ने दिया। सिलेंडर हम खरीदते हैं, उसकी सब्सिडी खाते में आती है। मैनपुरी में PM आवास, राशन, आयुष्मान सब असरदार
हम सपा के गढ़ मैनपुरी में पहुंचे। सड़क किनारे हमारी मुलाकात राम शरण से हुई। वह कहते हैं- गैस-चूल्हा मिला है, फ्री राशन भी मिलता है। बहुत मदद हो जाती है, गरीब आदमी को और क्या चाहिए? थोड़ा आगे बढ़ने पर राहुल मिलते हैं। हमने पूछा- भाजपा वाले कहते हैं कि सरकारी योजनाओं का फायदा सबको मिल रहा है, आपको भी कुछ मिला क्या? वह कहते हैं- राशन कोटे से मिल जाता है। डूडा से मदद मिली, तब पक्का मकान बन सका। सरकारी बाबू ने आयुष्मान कार्ड भी बनवा दिया है। तो वोट किसे देंगे? वह कहते हैं- भाजपा को देंगे। पास में कपड़े की दुकान पर काम करने वाले मुन्ना कहते हैं- हमें सरकार से ढाई लाख रुपए की मदद मिली। तब मकान बन सका। हमने पूछा- तो क्या भाजपा को देंगे? वह कहते हैं- सरकार अच्छा काम कर रही है। आगरा में आयुष्मान से सबसे ज्यादा फायदा
आगरा में त्रिवेणी लाल कहते हैं- आज देखिए इलाज कितना महंगा हो चुका है। मिडिल क्लास परिवार में कोई बीमार पड़ जाए, तो 50 हजार से ज्यादा खर्च होने पर लोग हिम्मत छोड़ देते हैं। सरकार ने आयुष्मान से 5 लाख की मदद दिलाई, ये बड़ी बात है। तो क्या लोग वोट करते वक्त इसको ध्यान में रखेंगे? त्रिवेणी कहते हैं- बिल्कुल रखेंगे, सुविधाएं देने वाले चुनेंगे। इसके बाद हमारी मुलाकात प्रेम शंकर गुप्ता से हुई। वह कहते हैं- राशन हर महीने मिलता है। कोटेदार थोड़ी हेराफेरी करता है, लेकिन उसमें सरकार का क्या दोष, उज्ज्वला का चूल्हा भी हमें मिला है। सिलेंडर की सब्सिडी के 300 रुपए भी आते हैं। बाजार से कम रेट पर हमें गैस मिल जाती है। दुकान चलाने वाले मनोज शर्मा कहते हैं- हमारे घर में कोटे का राशन तो आ रहा है, मगर आयुष्मान और उज्ज्वला का फायदा नहीं मिल रहा। कई बार इन योजनाओं के कार्ड बनवाने का प्रयास किया, मगर फायदा नहीं मिला। संभल में उज्ज्वला के चूल्हे मिले, सिलेंडर लोग नहीं खरीद पा रहे
अब हम संभल में पहुंचे। यहां जिला अस्पताल चौराहा पर चाय की दुकान चलाते हुए भगतजी मिले। क्या किसी सरकारी योजना का फायदा मिला आपको? वह मुस्कराते हुए कहते हैं- आयुष्मान कार्ड तो बना है। मगर इस्तेमाल नहीं किया, इसलिए इसका फायदा नहीं पता। बाकी किसी योजना का हमें फायदा नहीं मिलता। यहां से कुछ दूरी पर हमारी मुलाकात इतवारी लाल से हुई। वह कहते हैं- फ्री राशन से बहुत मदद मिलती है। उज्ज्वला का चूल्हा फ्री में मिला। गैस हर महीने नहीं खरीद पाते। यहां से करीब 1 किमी आगे बढ़ने पर हमारी मुलाकात एवस खान से होती है। वह परचून की दुकान चलाते हैं। क्या कोई मदद सरकार से मिली? वह दुकान की तरफ इशारा करते हुए कहते हैं- हमने पहले 10 हजार का लोन लिया, धंधे में लगाया, मुनाफा बढ़ने के बाद वापस कर दिया। फिर 20 हजार और बाद में 50 हजार का लोन लिया। सरकार से आर्थिक मदद मिलने के बाद मैं दो वक्त की रोटी कमा पा रहा हूं। आंवला में जिन्हें फायदा नहीं, उनमें नाराजगी
आंवला में एंट्री करते वक्त हमारी मुलाकात चमेली से हुई। वह शिवपुरी गांव की रहने वाली हैं। पति और बच्चों के साथ बकरी चराकर घर लौट रही थीं। हमने पूछा- फ्री गैस कनेक्शन, मकान या कोई और सरकारी योजना का फायदा मिला है क्या? वह पल्लू संभालती हुई कहती हैं- हमें कोई फायदा नहीं मिला। शौचालय के लिए कागज लिखकर प्रधानजी को दिए थे। प्रधान ने पूछा- तुमने हमको वोट दिया था क्या? इसके बाद हमारा शौचालय नहीं बन सका। बाद में हमने 10 हजार खर्च करके बनवाया। हमने कहा- ठीक है, कोई और फायदा मिला? चमेली कहती हैं- राशन कार्ड बना है, हर महीने 5 किलो राशन मिलता है। आयुष्मान कार्ड का फायदा नहीं मिला। हमारे पति बीमार हुए थे। हमने पैसा खर्च करके इलाज कराया। तो वोट किसे देंगी? वह कहती हैं- जब हमें कोई फायदा ही नहीं मिला, तो आखिरी वक्त पर तय करेंगे, किसको देना है। बरेली में योजनाएं लोगों तक पहुंची, योगी-मोदी के फेस पर वोटिंग
अब हम बरेली पहुंच चुके थे। यहां स्टेशन रोड पर रेहड़ी लगाकर सामान बेचते परवेज अहमद कहते हैं- हमको सिर्फ मुफ्त राशन मिल रहा है। आयुष्मान कार्ड और वेंडर्स लोन के कागज तो दफ्तरों में दिए थे, मगर फायदा नहीं मिला। इनके अलावा हम जैसे लोग ज्यादा योजनाओं के बारे में जानते भी नहीं। मुझे लगता है कि सरकार योजनाएं दे रही, मगर बीच का सिस्टम इतना उलझा रहा है कि गरीब आदमी को फायदा नहीं मिल पाता। कुछ आगे चलने पर सुभाषनगर में हमारी मुलाकात पवन अग्रवाल से हुई, वह दुकानदार हैं। क्या आपको राशन मिलता है? वह कहते हैं- जी बिल्कुल मिलता है। उज्ज्वला कनेक्शन भी मिल चुका है। हर महीने सब्सिडी भी खाते में आती है। हमारे एक चाचा है, उनकी 10 बीघा खेती है, उन्हें सम्मान निधि भी मिल रही है। वोट किसे देंगे? वह कहते हैं- हमें छोड़िए, जिन्हें भी फायदा मिल रहा है, वो तो मौजूदा सरकार को ही चुनेंगे। एटा में लोग बोले- फायदा एक वर्ग विशेष उठा रहा
एटा में हमारी मुलाकात हिमांशु से हुई। वह दुकान चलाते हैं। हमने पूछा- यहां भाजपा के सांसद हैं, क्या आपको लगता है कि योजनाओं का असर वोटिंग पैटर्न पर पड़ेगा? वह कहते हैं- हमारा राशन और आयुष्मान कार्ड बना हुआ है। इसके अलावा किसी योजना का फायदा नहीं मिला। कोटेदार घटतौली करता है। आयुष्मान कार्ड को अस्पताल वाले गंभीरता से नहीं लेते हैं। जो योजनाएं हैं, वो हवा में हैं। सरकारी योजनाओं का फायदा एक वर्ग विशेष के लोगों को ही मिलता है। वो वोट देंगे या नहीं, ये कहा नहीं जा सकता है। तो फिर वोट नहीं देंगे क्या लोग? हिमांशु कहते हैं- ये कहना मुश्किल है। वोटिंग-डे तक कई एजेंडा हावी हो जाते हैं। फिर भी योजना का फायदा लेने वालों का एक सॉफ्ट कार्नर तो रहता ही है। अब हमें राजीव जैन मिले। वह कहते हैं- राशन कार्ड तो बना हुआ है, लेकिन आयुष्मान कार्ड नहीं बन सका है। हमने जिला अस्पताल से पता किया, तो सामने आया कि हमारा लिस्ट में नाम ही नहीं था। सिर्फ उन्हीं लोगों के नाम थे, जिनके परिवार में 5 से ज्यादा सदस्य हैं। बदायूं में आयुष्मान और राशन का असर ज्यादा
सरकार की किस योजना का लाभ मिल रहा है? इस सवाल पर पकौड़ी बेचने वाले अरुण कहते हैं- वेंडर लोन के लिए आवेदन किया, मगर मिला नहीं। परिवार को राशन मिल रहा है। PM आवास के बारे में सुना है, मगर आज तक आवेदन नहीं किया। रजनी देवी कहती हैं- हमारे पति को किसान सम्मान निधि मिलती है, अभी वो खेत पर गए हैं। हमारा राशन कार्ड कैंसिल हो गया था। मगर उज्ज्वला का कनेक्शन हमें मिला है। उसकी सब्सिडी के 300 रुपए भी खाते में आते हैं। सरकार ने हम जैसे लोगों की बहुत मदद की। हमने पूछा फिर वोट किसे करेंगी? वह कहती हैं- जरूर सरकार को ही देंगे, जो फायदा दे रही है, उसी को वोट देंगे। केंद्र की 5 योजनाएं, जिनकी यूपी में सबसे ज्यादा चर्चा 1. किसान सम्मान निधि : PM किसान योजना के तहत केंद्र सरकार प्रत्येक किसान परिवार को हर साल 6000 रुपए देती है। यह राशि 2000 रुपए की तीन समान किस्तों में दी जाती है। हर 4 महीने बाद यह सम्मान राशि सीधे किसानों के बैंक खाते में ट्रांसफर की जाती है। 2. फ्री राशन योजना : इसके तहत गृहस्थ कार्ड पर 2 किलो गेहूं और 3 किलो चावल प्रति यूनिट फ्री दिया जाता है। अंत्योदय कार्ड पर 35 किलो राशन मिलता है। इसके अतिरिक्त प्रति सदस्य 5 किलो राशन और मिल रहा है। 3. आयुष्मान भारत गोल्डन कार्ड योजना : सरकारी डेटा के मुताबिक, यूपी में लोगों को सबसे ज्यादा फायदा यही योजना पहुंचा रही है। 5 करोड़ लोगों को गोल्डन कार्ड की मदद से इलाज मिला। क्लेम पेमेंट का रेट करीब 92% है। 3716 अस्पतालों को 32.75 लाख रुपए का भुगतान किया गया है। 4. PM आवास योजना : योजना के तहत लोगों को घर बनाने के लिए 1.30 लाख रुपए तक मदद की जाती है। दिसंबर 2024 तक 36.14 लाख लोगों को इसका फायदा देने का टारगेट है। जिन लोगों के पास जमीन नहीं होती है, उन्हें जमीन मुहैया करवाई जाती है। 5. PM उज्ज्वला योजना : योजना में महिलाओं को फ्री गैस कनेक्शन दिया जाता है। सिलेंडर के लिए 300 रुपए की सब्सिडी दी जाती है। अगर सिलेंडर नहीं हो, तब सिलेंडर का कनेक्शन भी दिया जाता है। ………………………………………………… वेस्ट यूपी में क्या हैं टॉप इश्यू, पढ़िए ये स्टोरी टॉप इश्यू : राम मंदिर और आवारा पशु पीलीभीत का बड़ा मुद्दा:यहां BJP मैटर करती है; पब्लिक के लिए जितिन नया फेस; किसान बदल सकते हैं समीकरण ग्राउंड रिपोर्ट : नेपाल बॉर्डर पर हिंदुस्तान के आखिरी गांव में चुनावी माहौल:न बैनर, न होर्डिंग; पब्लिक को प्रत्याशी पता नहीं; महिला बोली-सिर पर गठरी ही हमारी जिंदगी टॉप इश्यूज : नगीना में चंद्रशेखर, बिजनौर में राममंदिर डिसाइडिंग फैक्टर:दोनों सीटों पर जाति ही मुद्दा, मोदी-योगी से लोग खुश; भाजपा प्रत्याशियों से नाराजगी

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