उत्तर प्रदेश का सबसे पुराना, KGMU का पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग आज स्थापना के 26वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। हर साल इस डिपार्टमेंट में करीब 15 हजार बच्चों का इलाज होता है। सालाना 2200 से ज्यादा सर्जरी की जाती है। 1 दिन से 18 साल तक के उम्र के बच्चों की ओपन सर्जरी से लेकर लैप्रोस्कोपिक सर्जरी की जाती है। पर अभी तक रोबोटिक सर्जरी की सुविधा यहां उपलब्ध नही है। कैंपस@लखनऊ सीरीज के 21वें एपिसोड में KGMU के पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ. जेडी रावत से खास बातचीत… डॉ. जेडी रावत कहते हैं कि कई बार हमारे डिपार्टमेंट में कई ऐसे बच्चे आते हैं, जिनके प्राइवेट पार्ट ठीक से डेवलप नहीं हो पाते हैं। इनमें कई ऐसी बच्चियां भी रहती हैं जिनमें यूट्रस नहीं होने के कारण वजाइना से जुड़े कई पार्ट्स ठीक से डेवलप नहीं हो पाते हैं। पर ओवरी होने के कारण उनमें हार्मोन जरूर आते हैं। सेकेंडरी सेक्सुअल कैरेक्टर जैसे ब्रेस्ट, प्यूबिक हेयर, साउंड जैसे फीमेल कैरेक्टर भी डेवलप हो जाते हैं। हालांकि यूट्रस नहीं होने के कारण उनमें पीरियड नहीं आते। ऐसे बच्चों में डॉक्टर सभी जरूरी जांच करके आंत के हिस्से से वजाइना के अविकसित हिस्सों को डेवलप करते हैं। जिससे उनकी सेक्सुअल लाइफ को बेहतर किया जा सके। अच्छी बात ये हैं कि इन मामलों में युवती मां भी बन सकती है, बशर्ते उसके ओवम को लेकर बाहर फर्टीलाइज कर किसी सरोगेट मदर में इम्प्लांट किया जाए। ऐसी सर्जरी भी डिपार्टमेंट में की जाती है।

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