हमारे देश में आए दिन भ्रष्टाचार उजागर होता है, पर उसका रहस्य नहीं खुल पाता। एक सरकारी अधिकारी ने बताया था कि जो भी कुर्सी अधिकार संपन्न है, जो भी पद थोड़ा ऊंचा है, उसमें 70% रुपया अपने आप मिलता है, कुर्सी के प्रभाव से मिलता है। कुर्सी पर बैठने वाले व्यक्ति को भ्रष्टाचार करने की जरूरत ही नहीं पड़ती। भ्रष्ट लोगों के बीच यह सिद्धांत चल रहा है कि अगर आप कुछ भी नहीं करोगे, तो अधिकार संपन्न कुर्सी आपको 70% उस आय से भर देगी, जिसे भ्रष्टाचार कहते हैं। इसलिए भ्रष्टाचार पकड़ा भी जाए, तो भी उसका रहस्य बना रहेगा। अब तो वही ईमानदार है, जिसको बेईमानी का मौका नहीं मिला। भ्रष्टाचार से एक बात बचा सकती है, वो है नैतिकता, और नैतिकता को बल मिलता है आध्यात्मिकता से। आत्मबल ही धनबल को नियंत्रित कर सकता है, वरना धनबल अच्छे-अच्छे ईमानदारों को अपने अखाड़े में नीचे पटक देता है।

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