हिंसा में 200 से अधिक लोगों की जान चली गई। कई हज़ार लोगों को घर-द्वार छोड़ कर विस्थापित होना पड़ा। इससे पहले पूर्वोत्तर राज्य के ये तीन मुख्य जातीय समूह ऐतिहासिक रूप भौगोलिक स्थिति के मुताबिक यहां रहते आ रहे थे।

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